अरुणाचल प्रदेश: रिसर्चर ने खोजी कीट की नई प्रजाति
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अरुणाचल प्रदेश: रिसर्चर ने खोजी कीट की नई प्रजाति

अरुणाचल प्रदेश के टाल्ले वन्यजीव अभयारण्य में अनुसंधान कर्मियों ने कीट की एक नई प्रजाति का पता लगाया है. 

अरुणाचल प्रदेश के टाल्ले वन्यजीव अभयारण्य में अनुसंधान कर्मियों ने कीट की एक नई प्रजाति का पता लगाया है.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

इटानगर: अरुणाचल प्रदेश के टाल्ले वन्यजीव अभयारण्य में अनुसंधान कर्मियों ने कीट की एक नई प्रजाति का पता लगाया है. जाइगनिद कीट की खोज जर्नल ऑफ थ्रेटेंड टैक्सा में प्रकाशित हुई है जो संरक्षण एवं वर्गीकरण का एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल है. यह खोज पिछले साल 26 दिसंबर को प्रकाशित हुई थी.

  1. अनुसंधान कर्मियों ने कीट की एक नई प्रजाति का पता लगाया है.
  2. जाइगनिद कीट की खोज जर्नल ऑफ थ्रेटेंड टैक्सा में प्रकाशित हुई है 
  3. यह खोज पिछले साल 26 दिसंबर को प्रकाशित हुई थी.

यह लेख बंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के वैज्ञानिक मॉनसून ज्योति गोगोई और तितली एवं कीटों पर अध्ययन करने वाले जाने माने विशेषज्ञ जे जे योंग और राज्य शिक्षा महकमे के कर्मी पुनियो चाडा द्वारा प्रकाशित कराया गया है.

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अनुसंधान कर्मियों ने बताया कि टाल्ले वन्यजीव अभयारण्य की यात्रा के दौरान उन्होंने एक टुकड़ा संग्रहित किया जिसमें विरूपित मादा एलसिस्मा था जिसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी. इसी के साथ यह अरुणाचल प्रदेश से पहला एलसिस्मा है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इस नयी प्रजाति का वैज्ञानिक नाम एलसिस्मा जिरोएनसिस रखा गया है.

व्‍यसनों और लतों पर काबू पाने में मददगार है ध्यान
व्यसनों पर नियंत्रण पाने के लिए पुनर्सुधार उपचारों में ध्यान का प्रयोग करने से अधिक सफलता मिलने की संभावना होती है. यह निष्कर्ष एक कंप्यूटर वैज्ञानिक द्वारा पशु और मानव अध्ययन पर किए नए सर्वेक्षण में सामने आया है। यह एक पत्रिका के नवीनतम संस्करण में प्रकाशित हुआ है. 
रिसर्चर के अनुसार, हमारा उच्चस्तरीय निष्कर्ष कहता है कि तकनीक पर आधारित उपचार किसी व्यसन से बाहर निकलने में मदद करने के लिए एक पूरक के रूप में सहायक होता है. हम इस बात का वैज्ञानिक और गणितीय तर्क देते हैं. सर्वेक्षण का उद्देश्य मौजूदा पशु एवं मानव अध्ययनों का प्रयोग कर लत को बेहतर ढंग से समझने और उसके इलाज के नए तरीकों को तलाशना है. शोधकर्ताओं ने `एलोस्टेटिक सिद्धांत` का वर्णन किया. यह सिद्धांत कहता है कि जब कोई व्यक्ति नशीली दवा लेता है या प्रतिफल (रिवार्ड) सिस्टम पर जोर देता है तो वह संतुलन की अवस्था को खो देता है. 

वनों की निगरानी का अच्छा साधन हैं तितलियां
तितलियां और छोटे-छोटे पतंगे जैव-सूचकों के रूप में काम करते हैं. उनकी इस विशेषता को देखते हुए एक नई किताब में कहा गया है कि इनका इस्तेमाल हमारे वनों की सेहत की निगरानी करने वाले एक प्रभावी साधन के रूप में किया जा सकता है.
‘बटरफ्लाईज़ ऑन द रूफ ऑफ द वर्ल्ड’ नामक पुस्तक में प्रकृति विज्ञानी पीटर स्मेटासेक लिखते हैं कि वन की सेहत का आकलन करने के लिए वे स्थानीय प्रजातियां लाभदायक होंगी, जो कि साल दर साल एक नियमित समय के दौरान सीमित क्षेत्र में पाई जाती हैं. एलेफ द्वारा प्रकाशित किताब में वह कहते हैं कि अगर कोई यह समझ ले कि ये प्राणी किसी और इलाके में जाकर क्यों नहीं रहते हैं तो वह अपने आप ही समझ जाएगा कि कोई घाटी या पहाड़ी ढलान विशेष क्यों महत्वपूर्ण है.
भारतीय तितलियों और पतंगों के बारे में विशेषज्ञता रखने वाले स्मेटासेक विज्ञान के लिए नई लगभग एक दर्जन प्रजातियों की व्याख्या कर चुके हैं. वे उत्तराखंड के भीमताल में तितली अनुसंधान केंद्र भी चलाते हैं.

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