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मुंबई : जानेमाने फिल्मकार कुंदन शाह, सईद मिर्जा और लेखिका अरुंधति रॉय समेत फिल्म बिरादरी के 24 और नामचीन लोगों ने गुरुवार को देश में असहिष्णुता के बढ़ते माहौल के खिलाफ तथा एफटीआईआई के छात्रों का समर्थन जताते हुए अपने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार लौटा दिए। इस मुहिम की शुरुआत लेखकों ने अपने साहित्य अकादमी सम्मान लौटाकर की थी जिसमें वैज्ञानिक और फिल्मकार भी जुड़ने लगे। अरुंधति ने कहा कि वैचारिक क्रूरता के खिलाफ राजनीतिक आंदोलन में शरीक होकर वे अपना नेशनल अवार्ड लौटाते हुए 'गर्व' महसूस कर रही हैं।
55 साल की अरुंधति ने वर्ष 1989 में फिल्म 'इन विच ऐनी गिव्स इट दोज वंस' के लिए नेशनल अवार्ड जीता था। वे अपनी पुस्तक 'द गॉड ऑफ स्माल थिंग्स' के लिए बुकर पुरस्कार भी जीत चुकी हैं। अरुंधति ने लिखा, 'मैं इस बात से बहुत खुश हूं कि मेरे पास एक नेशनल अवार्ड है जिसे लौटाकर मैं लेखकों, फिल्मकारों और शिक्षाविदों की ओर से वैचारिक क्रूरता के खिलाफ चलाए जा रहे राजनीतिक आंदोलन का हिस्सा बन सकती हूं।'
एफटीआईआई के पूर्व छात्र कुंदन शाह ने कहा कि अपनी मशहूर फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ के लिए उन्हें जो एक मात्र राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था, उसे छोड़ना बहुत दुखद है लेकिन एफटीआईआई के अध्यक्ष के रूप में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के खिलाफ यह एक जरूरी फैसला है। शाह ने कहा कि मैं इस सम्मान के लिए अपनी संस्था एफटीआईआई का आभारी हूं। अगर मैंने एफटीआईआई में पढ़ाई नहीं की होती तो ‘जाने भी दो यारो’ भी नहीं बनती। उन्होंने कहा कि पुरस्कार लौटाने से पहले उन्होंने एफटीआईआई के छात्रों की 139 लंबी हड़ताल में कई बार मामले को उठाया था लेकिन सरकार ने नहीं सुना।
शाह ने कहा कि क्या गजेंद्र चौहान का चुनाव सही है? यह चयन हमारी समझ का अपमान है और इस तरह के चयन पर अड़े रहना इस देश की समझदार जनता के लिए आघात की तरह है। मैं सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों, राज्यमंत्री राठौड़ और मंत्री अरण जेटली से पूछना चाहता हूं कि वे एक बहुत प्रतिष्ठित संस्थान में इस तरह की नियुक्ति करके और उस पर कायम रहकर अपने परिवार, अपने बच्चों को क्या चेहरा दिखाएंगे। एफटीआईआई के पूर्व अध्यक्ष और ‘अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ जैसी फिल्मों एवं टीवी धारावाहिक ‘नुक्कड़’ के लिए मशहूर मिर्जा ने कहा कि छात्रों ने जो आंदोलन शुरू किया था, वह अब बड़ा हो गया है और ‘असहनशीलता, विभाजन और नफरत’ के खिलाफ आंदोलन बन गया है।
लेखिका अरंधति रॉय ने 1989 में फिल्म ‘इन व्हिच एनी गिव्स इट दोज वन्स’ के लिए मिला सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार लौटा दिया। ‘अवार्ड वापसी’ कहे जा रहे इस अभियान को कुछ वर्गों से आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है जो इसे सोचा समझा प्रदर्शन करार दे रहे हैं। लेकिन शाह ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि उनकी फिल्में उस समय की कांग्रेस सरकार के भी खिलाफ थीं। उन्होंने बताया कि पुरस्कार की राशि चैरिटी में दान दे दी जाएगी और ट्रॉफी सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रतिनिधियों को सौंप दी जाएगी।
इस सूची में फिल्मकार अनवर जमाल, निर्देशक वीरेंद्र सैनी, प्रदीप कृष्णन, मनोज लोबो, ध्वनि डिजाइनर विवेक सच्चिदानंद, पीएम सतीश, अजय रैना, निर्देशक सुधाकर रेड्डी यक्कांती, फिल्मकार तपन बोस आदि के नाम हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)