क्या असम में BJP के लिए Congress-UDF हैं चुनौती, केंद्रीय मंत्री Narendra Singh Tomar ने दिया ये जवाब
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क्या असम में BJP के लिए Congress-UDF हैं चुनौती, केंद्रीय मंत्री Narendra Singh Tomar ने दिया ये जवाब

Assam Assembly Election 2021: केंद्रीय कृषि मंत्री और असम के चुनाव प्रभारी नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने राज्य में एक बार फिर बीजेपी की बड़ी जीत का दावा किया है. 

नरेंद्र सिंह तोमर (फाइल फोटो)

गुवाहाटी: भारतीय जनता पार्टी (BJP) असम में सत्ता बरकरार रखने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही है और विधान सभा चुनाव (Assam Assembly Election) को लेकर कई बड़े नेता प्रचार में लगे हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री और असम के चुनाव प्रभारी नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने राज्य में एक बार फिर बीजेपी की बड़ी जीत का दावा किया है. चुनाव से पहले नरेंद्र सिंह तोमर ने Zee News से बात की और कहा कि असम के लोग बीजेपी के काम से काफी खुश हैं.

सवाल: आप असम में चुनाव प्रभारी हैं और चुनाव का प्रचार भी हो रहा है. क्या आपको लग रहा है कि बीजेपी अपने गठबंधन के साथ बदरुद्दीन अजमल और कांग्रेस के उस चुनौती को सामना कर पाएगी, जिससे कि सत्ता बरकरार रह सके?

नरेंद्र सिंह तोमर: भारतीय जनता पार्टी (BJP) बहुत मजबूत पार्टी है. असम में 5 साल में बीजेपी का जनाधार और बढ़ा है. बीजेपी की सरकार ने इन 5 सालों में असम में शांति सुरक्षा और विकास देने का सफल प्रयास किया है. इन कारणों से बीजेपी के प्रति आम जनता के विश्वास में बढ़ोतरी हुई है. इसलिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास है. बीजेपी की असम सरकार में भरोसा है. इसलिए बीजेपी पहले से ज्यादा मतों से सरकार बनाने में सफल होगी.  जहां तक कांग्रेस और अजमल का सवाल है यह गठबंधन पूरी तरह से अप्रासांगिक है. कांग्रेस को जब रिजल्ट आएगा, तब अपनी हैसियत का पता चलेगा. अजमल एक सांप्रदायिक व्यक्ति और यूडीएफ एक सांप्रदायिक पार्टी है. लोगों को मजहबी आधार पर बांटने के लिए उनका दल पूरे असम में जाना जाता है.

तरुण गोगोई के समय में भी अजमल के साथ कभी भी समझौते की स्थिति नहीं बनी, क्योंकि तरुण गोगोई जानते थे कि अजमल किस स्थिति का व्यक्ति है. लेकिन राहुल गांधी ने अजमल के सामने घुटने टेके और और पूरी तरह से बदरुद्दीन अजमल के गोद में बैठ गए. इससे कांग्रेस का सांप्रदायिक चरित्र, एक बार फिर उजागर हुआ है. असम की जनता शांति चाहती है और असम की जनता शांति स्थापित करने के लिए बीजेपी को ही उपयुक्त पार्टी मानती है.

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सवाल: यानी उनका गठबंधन आपके लिए कोई चुनौती नहीं है? क्योंकि 2016 में यह गठबंधन नहीं था. इस बार दोनों साथ चुनाव लड़ रहे हैं?

नरेंद्र सिंह तोमर: यह बात ठीक है कि दोनों मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. यह गठबंधन नहीं, बल्कि ठगबंधन है. दोनों मिलकर असम की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन दोनों ठगों के चरित्र से असम की जनता परिचित है और दोनों ठगों को चुनाव में हैसियत बताने का काम असम की जनता जरूर करेगी.

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सवाल: आप बीजेपी के लोग भाई-बहन यानी राहुल और  प्रियंका गांधी दोनों अपने प्रचार चाय बागान पर सीमित किए हुए हैं. चाय मजदूर हों या चाय बागान के मालिक हों. उनका कहना है कि 5 साल पहले जो आपने वायदा किया था, उस वायदे को 5 साल में पूरा नहीं किया और जब हम सत्ता में आएंगे तो उन्हें डबल पैसा देंगे.

नरेंद्र सिंह तोमर: मैं तो राहुल गांधी और प्रियंका को यही कहना चाहता हूं कि 2016 से पहले 15 साल तक उन्हीं की सरकार थी. आपकी सरकार ने 15 साल में क्यों नहीं उनका रेट बढ़ाया. आपने 15 साल में चाय बागान में क्या किया?  इसका तो जवाब दो? असम में क्या किया? 5 साल में बीजेपी की सरकार ने टी-वर्कर्स की मजदूरी बढ़ाने का काम किया है. 2016 में जब हम सत्ता में आए थे तब मजदूरी 137 रुपये थी. उसे बढ़ाकर बीजेपी सरकार ने 217 रुपये किया.

सवाल: दोनों गलत बयान दे रहे है?

नरेंद्र सिंह तोमर: असम में बहनें ज्यादा काम करती हैं. उनको मैटरनिटी की सुविधा नहीं मिलती थी. बीजेपी की सरकार ने उनको मैटरनिटी देने का काम किया. उनको छुट्टी देने का काम किया. 12000 रुपये एकमुश्त सहायता गर्भवती बहनों को देने का काम किया है. टी गार्डन की मौलिक सुविधाएं बढ़ाई. टी गार्डन में सड़के बनाई और टी गार्डन के वर्कर्स को 8000 रुपये देने का काम किया. टी गार्डन के वर्कर पूरी तरह से बीजेपी के काम से प्रसन्न हैं और कांग्रेस की बातों में आने वाले नहीं हैं.

सवाल: आप कह रहे हैं कि विकास किया है, लेकिन राहुल गांधी एक बार नहीं, कई बार कहते हैं कि आप नफरत चलाते हैं? बीजेपी भेदभाव करती है. संप्रदायिकता फैलती है.

नरेंद्र सिंह तोमर: राहुल गांधी और असत्य एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हो गए हैं. राहुल गांधी का नाम ले लो, असत्य आ जाता है और असत्य का नाम ले लो तो राहुल गांधी आ जाते हैं. पूरे देश में कांग्रेस के नेता के रूप में राहुल गांधी के झूठ बोलने का एक रिकॉर्ड बन चुका है और निश्चित तौर पर इसके लिए किसी संस्था द्वारा उनको सम्मानित करना चाहिए.

सवाल: आप चुनाव प्रभारी भी हैं. सालों से देखा जाता है कि बीजेपी सत्ता में होती है वहां के सीएम ऐलान किया जाता है कि अगले मुख्यमंत्री कौन होंगे, लेकिन असम में एक बार फिर से मोदी सरकार का नारा है. क्या सर्बानंद सोनोवाल को लेकर परेशानी है?

नरेंद्र सिंह तोमर: ऐसा नहीं है. मोदी जी हमारे सबसे वरिष्ठ नेता हैं और मोदी जी की सरकार होना, मोदी जी के नाम पर वोट मांगना. यह तो स्वाभाविक रूप से नेता की क्षमता होती है. तभी ऐसा होता है. इसलिए मोदी जी तो पूरे देश के नेता हैं और देश में असम भी आता है. जहां तक मुख्यमंत्री का सवाल है. जहां मुख्यमंत्री नहीं होता है, वहां पर हम मुख्यमंत्री घोषित करते हैं. यहां पर तो पहले से मुख्यमंत्री हैं. इसलिए और आगे बात करने की कोई आवश्यकता नहीं है.

सवाल: पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में आपकी पार्टी ने किसानों को लेकर कई वायदे किए हैं. किसान नेता भी वहां घूम-घूम कर कह रहे हैं कि वहां पर बीजेपी को वोट ना दें.

नरेंद्र सिंह तोमर: दरअसल, कोई कहीं भी प्रचार करें इसकी स्वतंत्रता सबको है, लेकिन जहां तक किसान आंदोलन की बात है, भारत सरकार ने बहुत ही संवेदनशीलता के साथ किसान नेताओं से 12 दौर की बातचीत की है.  50 घंटे से ज्यादा की बातचीत हुई है. उनकी भावनाओं को समझ कर संशोधित प्रस्ताव देने का काम किया, लेकिन किसान नेताओं को बात रास नहीं आई. तो हमने किसान नेताओं से कहा है कि हमारा प्रस्ताव अगर आपको पसंद नहीं है तो अपना अपना प्रस्ताव हमें तो दीजिए. हम विचार कर अपने मत से आपको अवगत कराएंगे. कई दिन हो गए हैं किसान नेताओं की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं आया है. जिस दिन भी प्रस्ताव आएगा सरकार जरूर उनसे बातचीत करना चाहेगी और हमें खुशी होगी कि वह बातचीत करें, समस्या का हल हो और आंदोलन को समाप्त करके अपने अपने घर को जाएं.

जहां तक पश्चिम बंगाल का सवाल है पश्चिम बंगाल में निश्चित रूप से केंद्र सरकार की कई योजनाएं हैं. किसानों से संबंधित योजना है, जिसका राजनीतिक कारणों से मामता दीदी अमल नहीं होने देती हैं, लेकिन बीजेपी की सरकार बनेगी तो पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा पश्चिम बंगाल के 70 लाख किसानों को भी मिलेगा. आयुष्मान भारत का लाभ भी पश्चिम बंगाल की गरीब लोगों को मिले.

सवाल: जो किसान नेता है चुनाव प्रचार कर रहे हैं और वह कहते हैं कि बीजेपी को वोट ना दें।  जबकि पहले कहते थे कि राजनीति से कोई वास्ता नहीं है।  यह कहते थे लेकिन आपको लगता है कि राजनीति से वास्ता हो गया उनका?

नरेंद्र सिंह तोमर: लेकिन मैं सोचता हूं कि जो कुछ भी उन्होंने कहा है उस पर कायम रहना चाहिए. अगर कायम नहीं रहेंगे तो अपनी ही विश्वसनीयता घटाएंगे. इस पर मैं क्या करूं.

सवाल: असम में 100+ बीजेपी की कितनी संभावना है?

नरेंद्र सिंह तोमर: बीजेपी पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है. हमारा गठबंधन बहुत मजबूत है. गठबंधन के सभी घटक मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं और हमारा विश्वास है कि भारतीय जनता पार्टी ने जो लक्ष्य तय किया है वह पूरा करेंगे. वह लक्ष्य को हम प्राप्त करेंगे.

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