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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे (Assembly Election Results 2022) आज आ रहे हैं. गुरुवार सुबह 8 बजे से सभी मतगणना केंद्रों पर वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी. वैसे, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) से मतदान होने की वजह से काउंटिंग में कुछ घंटे ही लगते हैं. लेकिन अब वीवीपैट वेरिफिकेशन अनिवार्य हो जाने के चलते अंतिम नतीजे जारी होने में समय लगने लगा है. आइए काउंटिंग से जुड़ी प्रक्रिया को समझते हैं.
किसी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव कराने की जिम्मेदारी रिटर्निंग ऑफिसर यानी RO की होती है. RO सरकार या किसी लोकल अथॉरिटी के ऐसे ऑफिसर होते हैं, जिन्हें चुनाव आयोग यह जिम्मेदारी सौंपता है. मतदान से लेकर मतगणना और परिणाम की घोषणा भी RO की निगरानी में ही होती है. वोटिंग खत्म होने के बाद सभी EVM को बक्से में बंद करके पहले से तय काउंटिंग सेंटर तक पहुंचा दिया जाता है. मतगणना केंद्र कहां होगा, यह फैसला RO करते हैं.
वोटिंग पूरी होने के बाद EVM को मतगणना केंद्र तक पहुंचाया जाता है. यहां पर बने स्ट्रॉन्ग रूम्स में EVM बंद कर दी जाती हैं और दरवाजा सील रहता है, ताकि उससे छेड़छाड़ की गुंजाइश न रहे. स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा पैरामिलिट्री फोर्सेज के जिम्मे होती है.
केंद्रीय चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, मतगणना केंद्र के 100 मीटर के दायरे में बैरिकेडिंग कर पैदल जोन बना दिया जाता है. जबकि काउंटिंग सेंटर पर तीन स्तर का सुरक्षा घेरा रहता है. पहला घेरा पैदल जोन की सीमा पर, दूसरा परिसर के गेट पर और तीसरा काउंटिंग हॉल के दरवाजे पर. इस केंद्र की सुरक्षा में राज्य की पुलिस के अलावा केंद्रीय बल जैसे कि BSF, CRPF, CISF, ITBP आदि भी तैनात रहते हैं.
काउंटिंग सेंटर के भीतर काउंटिंग हॉल होता है, जहां पर वोटों की गिनती होती है. काउंटिंग हॉल एक ऐसा कमरा होता है, जिसमें चारों तरफ दीवारों होती हैं और एंट्री-एग्जिट की व्यवस्था अलग-अलग होती है. चुनाव आयोग के निर्देश हैं कि एक हॉल में एक ही विधानसभा क्षेत्र की मतगणना हो सकती है. एक काउंटिंग हॉल में 14 से ज्यादा काउंटिंग टेबल नहीं हो सकतीं. काउंटिंग हॉल के भीतर चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर को छोड़कर और कोई मोबाइल फोन नहीं ले जा सकता.
काउंटिंग सुपरवाइजर्स, काउंटिंग असिस्टेंट्स और माइक्रो-ऑब्जर्वर्स, चुनाव ड्यूटी पर लगे सरकारी कर्मचारी (पुलिस और मंत्री इसमें शामिल नहीं), उम्मीदवार, चुनाव एजेंट और काउंटिंग एजेंट्स. काउंटिंग कराने वाले अधिकारियों को तीन स्टेज पर रैंडम तरीके से चुना जाता है. RO काउंटिंग स्टाफ की नियुक्ति करते हैं. कुछ स्टाफ रिजर्व भी रखा जाता है.
सुबह 5 बजे काउंटिंग सुपरवाइजर्स और असिस्टेंट्स की रैंडम तैनाती होती है. इसके बाद तय समय पर RO, उम्मीदवारों/चुनाव एजेंट्स और ECI ऑब्जर्वर्स की मौजूदगी में स्ट्रॉन्ग रूम को खोला जाता है. लॉग बुक में एंट्री के बाद, ताले की सील चेक की जाती है और फिर तोड़ी जाती है. पूरी प्रक्रिया का डेट-टाइम स्टैंप के साथ वीडियो बनाया जाता है. EVM को काउंटिंग हॉल में टेबल तक लाया जाता है और रिटर्निंग ऑफिसर्स की निगरानी में सुबह 8 बजे मतगणना शुरू होती है.
सबसे पहले RO की टेबल पर इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट पेपर्स (ETPBs) और पोस्टल बैलट्स (PBs) की गिनती होती है. EVMs से वोटों की गिनती 30 मिनट बाद शुरू हो सकती है. हर राउंड की काउंटिंग में 14 EVM में पड़े वोट गिने जाते हैं. उस राउंड की सभी EVM की गिनती के बाद ECI ऑब्जर्वर कोई भी दो रैंडम EVM की पैरलल काउंटिंग करते हैं फिर नतीजों की टेबल तैयार होती है. हर राउंड के नतीजों पर सुपरवाइजर, काउंटिंग एजेंट्स या कैंडिडेट्स के साइन होते हैं. इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर उन पर साइन करता है. फिर बाहर आकर बताया जाता है कौन कितने वोट से आगे चल रहा है. मतगणना की पूरी प्रक्रिया वीडियो कैमरों की निगरानी में होती है. इसके बाद VVPAT वेरिफिकेशन की अनिवार्य प्रक्रिया पूरी की जाती है.
जब मतदाता EVM पर दिया कोई बटन दबाता है तो साथ लगी VVPAT मशीन से एक पर्ची निकलती है. पर्ची पर जिसे वोट दिया गया है, उस उम्मीदवार का नाम और चुनाव निशान होता है. इससे वोटर को पता चलता है कि उसका वोट सही जगह गया है. हालांकि, वोटर को VVPAT पर सात सेकंड्स के लिए पर्ची दिखती है, उसके बाद वह VVPAT मशीन के ड्रॉप-बॉक्स में गिर जाती है और एक बीप सुनाई देती है. VVPAT मशीन को केवल पोलिंग अधिकारी ही एक्सेस कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, हर विधानसभा क्षेत्र के किन्हीं पांच पोलिंग स्टेशंस की VVPAT पर्चियों का मिलान वहां की EVM के नतीजों से किया जाता है. VVPAT वेरिफिकेशन अनिवार्य है और इसे पूरा किए बिना अंतिम नतीजे जारी नहीं किए जा सकते. यदि VVPAT स्लिप्स और EVM नतीजों की गिनती मेल नहीं खाती, तो उस VVPAT की पर्चियां फिर से गिनी जाती हैं. अगर फिर भी आंकड़े नहीं मिलते तो VVPAT पर्चियों की गिनती ही मान्य होगी.
वोटों की गिनती के बाद रिटर्निंग अधिकारी विजेता उम्मीदवार को जीत का सर्टिफिकेट देते हैं. यदि किसी उम्मीदवार को नतीजों पर संदेह है तो वह 45 दिन के भीतर फिर से मतदान की मांग कर सकता है. एक बार नतीजों की घोषणा होने के बाद EVM को स्ट्रॉन्ग रूम में रख दिया जाता है. शुरुआत की तरह इस वक्त भी चुनाव अधिकारियों के अलावा उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं. उनके हस्ताक्षर भी लिए जाते हैं. नतीजों के ऐलान के 45 दिन बाद तक EVM उसी स्ट्रॉन्ग रूम में रखी जाती हैं. फिर उन्हें सुरक्षा के बीच बड़े स्टोरेज रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है.