नई दिल्ली के स्मृति स्थल पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक बेटी नमिता भट्टाचार्य द्वारा उन्हें मुखाग्नि देने के साथ ही भारतीय राजनीति के एक युग का अंत हो गया.
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नई दिल्ली: नई दिल्ली के स्मृति स्थल पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक बेटी नमिता भट्टाचार्य द्वारा उन्हें मुखाग्नि देने के साथ ही भारतीय राजनीति के एक युग का अंत हो गया. नमिता भट्टाचार्य ने अटल जी को मुखाग्नि देने के साथ ही भावुक स्वर में 'अटल बिहारी अमर रहे' कहा. इस दौरान उनका गला एकदम रुंध गया था, और उनकी आवाज में उस दर्द को साफ महसूस किया जा सकता था, जिससे आज पूरा देश गुजर रहा है.
नातिन को सौंपा गया तिरंगा
इससे पहले नमिता भट्टाचार्य की बेटी निहारिका को अटल जी के शरीर पर ओढ़ाया गया तिरंगा सौंपा गया. निहारिका बड़ी मुश्किल से अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन बीच बीच में उनके सब्र का बांध भी टूट जाता था. अटल बिहारी अविवाहित थे. हालांकि उन्होंने राजकुमारी कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को गोद लिया था. राजकुमारी कौल उनके साथ ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में पढ़ती थीं. इस विद्यालय का नाम अब बदल कर लक्ष्मी बाई कॉलेज कर दिया गया है. नमिता का विवाह रंजन भट्टाचार्य से हुआ और उन्होंने ओएसडी के रूप में कार्य किया.
अटल जी का अंतिम संस्कार स्मृति स्थल पर हिंदू रीति-रिवाज से किया गया. इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लाल कृष्ण आडवाणी, अमित शाह सहित विपक्ष के प्रमुख नेताओं और कई देशों के प्रमुख तथा प्रतिनिधियों ने अटल जी को श्रद्धासुमन अर्पित किए.