अतीक का ऐसा अंत किसी ने नहीं सोचा था, मरे पति का चेहरा तक नहीं देख पाई शाइस्ता, 2 बेटे जेल तो 1 अस्पताल में
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अतीक का ऐसा अंत किसी ने नहीं सोचा था, मरे पति का चेहरा तक नहीं देख पाई शाइस्ता, 2 बेटे जेल तो 1 अस्पताल में

Atiq Ahmad: प्रयागराज में शनिवार को पुलिस हिरासत में हमलावरों की गोलियों से मारे गये माफिया-नेता एवं पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ के शवों को रविवार रात स्थानीय कब्रिस्तान में दफना दिया गया.

अतीक का ऐसा अंत किसी ने नहीं सोचा था, मरे पति का चेहरा तक नहीं देख पाई शाइस्ता, 2 बेटे जेल तो 1 अस्पताल में

Atiq Ahmad: प्रयागराज में शनिवार को पुलिस हिरासत में हमलावरों की गोलियों से मारे गये माफिया-नेता एवं पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ के शवों को रविवार रात स्थानीय कब्रिस्तान में दफना दिया गया.

राज्य सरकार ने इस हत्याकांड की जांच के लिये इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी (द्वितीय) की अगुवाई में एक न्यायिक आयोग गठित किया है. इस मामले में दर्ज रिपोर्ट में पुलिस ने दावा किया है कि तीनों हमलावरों ने अपने इकबालिया बयान में कहा है कि वे अतीक और अशरफ गिरोह का सफाया कर राज्य में अपनी पहचान बनाना चाहते थे. बहरहाल, तीनों आरोपियों को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

वर्ष 2004 में इलाहाबाद की फूलपुर सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक और उससे पहले कुल पांच बार विधायक रहे अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के शवों को रविवार रात प्रयागराज के कसारी मसारी कब्रिस्तान में कड़ी सुरक्षा के बीच दफना दिया गया. इस दौरान मृतकों के कुछ चुनिंदा दूर के रिश्तेदार ही इस मौके पर मौजूद रहे.

दोनों शवों को अतीक के बेटे असद की कब्र के पास ही दफनाया गया, जिसे पिछले बृहस्पतिवार को झांसी में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारे जाने के बाद शनिवार की सुबह इसी कब्रिस्तान में दफनाया गया था.

अतीक और अशरफ के अंतिम संस्कार के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर कब्रिस्तान परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया. रिश्तेदारों के अलावा अन्य लोगों को आधार कार्ड देखकर ही कब्रिस्तान में दाखिल होने दिया गया. मौके पर वरिष्ठ पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे.

उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ की शनिवार देर रात पुलिस द्वारा चिकित्सा जांच कराकर वापस ले जाए जाते वक्त तीन हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस सनसनीखेज वारदात के बाद पूरे राज्य में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी है.

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के निर्देश पर घटना की उच्‍च स्‍तरीय जांच के लिये रविवार को एक न्यायिक आयोग गठित कर दिया गया. उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी (द्वितीय) की अगुवाई वाला यह आयोग दो महीने के अंदर पूरे प्रकरण की जांच कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगा. राज्य के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक सुरेश कुमार सिंह और सेवानिवृत्त न्यायाधीश बृजेश कुमार सोनी इस आयोग के दो अन्य सदस्य होंगे.

इस बीच, पुलिस ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में दर्ज रिपोर्ट में दावा किया कि पकड़े गए तीनों आरोपियों लवलेश तिवारी, मोहित उर्फ सनी तथा अरुण मौर्य ने पूछताछ के दौरान पुलिस से कहा है कि वे अतीक और अशरफ गिरोह का सफाया कर राज्य में अपनी पहचान बनाना चाहते थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले के दौरान गोलीबारी में लवलेश तिवारी को भी गोली लगी है और उसका अस्पताल में उपचार किया जा रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपियों ने पुलिस से कहा, ‘‘जब से हमें अतीक व अशरफ को पुलिस हिरासत में भेजे जाने की सूचना मिली थी, हम तभी से मीडियाकर्मी बनकर यहां की स्‍थानीय मीडिया की भीड़ में रहकर इन दोनों को मारने की फिराक में थे, लेकिन सही समय और मौका नहीं मिल पाया. आज (शनिवार को) मौका मिलने पर हमने घटना को अंजाम दिया.’’

हमीरपुर जिले के निवासी मोहित उर्फ सनी पर लूट और हत्या के प्रयास समेत कुल 14 मामले दर्ज हैं. पुलिस सूत्रों के अनुसार बांदा निवासी आरोपी लवलेश तिवारी कई बार जेल जा चुका है. उसका तथा तीसरे हत्यारोपी कासगंज निवासी अरुण मौर्य का आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है.

इस बीच, तीनों आरोपियों को रविवार को एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

अतीक अहमद के वकील मनीष खन्ना ने बताया कि अतीक-अशरफ हत्याकांड के तीनों आरोपियों को स्थानीय अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

इधर, लखनऊ में पुलिस ने प्रयागराज में अतीक-अशरफ की हत्या का घटनाक्रम जारी किया.

विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार द्वारा जारी बयान के अनुसार, अतीक और अशरफ को शाहगंज क्षेत्र स्थित मोतीलाल नेहरू क्षेत्रीय अस्पताल में शनिवार रात करीब साढ़े दस बजे स्वास्थ्य जांच के लिए ले जाया गया, जहां मीडियाकर्मी लगातार दोनों से बात करने का प्रयास कर रहे थे.

उन्होंने बयान में कहा, ‘‘मीडियाकर्मियों का समूह आरोपियों का ‘बाइट’ लेने के लिए सुरक्षा घेरा तोड़ रहा था. इसी क्रम में अतीक और अशरफ दोनों जब मीडियाकर्मियों को ‘बाइट’ दे रहे थे और पुलिस उन्हें मीडियाकर्मियों की भीड़ से दूर ले जा रही थी तभी वीडियो कैमरा, माइक और मीडियाकर्मी का पहचान पत्र लगाए तीन लोग उनके पास पहुंचे और अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी. इससे दोनों घायल हो गए और (जमीन पर) गिर पड़े.’’

रविवार शाम को जारी बयान में कहा गया है कि भगदड़ के कारण कुछ मीडियाकर्मी और एक पुलिस कर्मी मान सिंह भी घायल हो गए. घायल अतीक और अशरफ को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. घायल पुलिसकर्मी को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया.

कुमार ने बयान में कहा कि तीनों हमलावरों को पुलिसकर्मियों ने पकड़ लिया. तीनों की पहचान बांदा के लवलेश तिवारी (22), हमीरपुर के मोहित उर्फ सनी (23) और कासगंज के अरुण कुमार मौर्य (18) के रूप में हुई है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार सनी एक पेशेवर अपराधी और ‘हिस्ट्रीशीटर’ है और उसके खिलाफ हमीरपुर में हत्या, लूट, नशीले पदार्थों की तस्करी और हत्या के प्रयास समेत 14 आपराधिक मामले दर्ज हैं.

उन्होंने बताया कि लवलेश तिवारी के खिलाफ बांदा शहर और बेबेरू थाना, बांदा में अवैध शराब बेचने, मारपीट, छेड़खानी, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत मामले दर्ज हैं. तीसरे अभियुक्त अरुण कुमार मौर्य के आपराधिक इतिहास का पता लगाया जा रहा है. तीनों के पास से पुलिस ने एक 30 पिस्तौल (7.62) देशी, एक नौ एमएम गिरसन पिस्तौल (तुर्की में निर्मित), एक 9 एमएम जिगाना पिस्तौल, तीन आग्नेयास्त्र बरामद किए. इस संबंध में शाहगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है.

इस बीच, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रयागराज में माफिया व पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ की हत्या पर रविवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना उत्तर प्रदेश सरकार की क़ानून व्यवस्था व उसकी कार्यप्रणाली पर कई गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है. उन्होंने मामले में देश की शीर्ष अदालत से उचित कार्रवाई की मांग की है.

उधर, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने भी एक ट्वीट कर आशंका जताते हुए कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी अगर निकट भविष्य में अतीक के बाकी बेटे भी मारे जाएं.

उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री जी का फरमान था कि ‘‘मिट्टी में मिला देंगे’’. अतीक अहमद ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दी, पुलिस अभिरक्षा में हत्या की आशंका के चलते सुरक्षा की मांग की, लेकिन कोई राहत नहीं मिली. फिर फर्जी मुठभेड़ और पुलिस के घेरे में सुनियोजित हत्याएं तो होनी ही हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि अतीक के शेष बेटे भी मारे जाएं.’’

इसी साल 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल और उसके दो सुरक्षाकर्मियों की गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना के बाद विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अतीक अहमद की तरफ इशारा करते हुए कहा था, ‘‘हम इस माफिया को मिट्टी में मिला देंगे.’’

उमेश पाल हत्याकांड मामले में 13 अभियुक्तों में से अतीक, उसके भाई अशरफ और बेटे असद समेत अब तक छह मुल्जिम पुलिस के साथ मुठभेड़ या गोलीकांड में मारे जा चुके हैं.

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(एजेंसी इनपुट के साथ)

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