अयोध्या विवाद मामले में आज की सुनवाई पूरी हुई, कल मामले की सुनवाई 10:30 बजे होगी
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अयोध्या विवाद मामले में आज की सुनवाई पूरी हुई, कल मामले की सुनवाई 10:30 बजे होगी

अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई जारी है. निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील कुमार जैन बहस कर रहे हैं.

निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि वह ओनरशिप और क़ब्ज़े की मांग कर रहे हैं.

नई दिल्ली: अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार की सुनवाई पूरी हुई. अब कल मामले की सुनवाई 10:30 बजे होगी. रामलला के वकील के. परासरण ने कहा कि लोग ऐसा मानते है उनका विश्वास है कि राम वहां विराजमान हैं और ये अपने आप मे ठोस सबूत है कि वो राम का जन्मस्थली है. रामलला के वकील के परासरन ने कहा कि ब्रिटिश राज्य में भी जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंटवारा किया था तो उस जगह को मस्जिद की बजाय, राम जन्मस्थान का मंदिर माना था. अंग्रेजों के ज़माने के फैसले में भी वहां बाबर की बनाई मस्जिद और राम जन्मस्थान का ज़िक्र किया था. 

जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या जिस तरह राम का केस सुप्रीम कोर्ट में आया है, कहीं और किसी भगवान का केस आया है? क्या जीसस बेथलम में पैदा हुए इस पर किसी कोर्ट में सवाल उठा था? रामलला के वकील के परासरण ने कहा कि वह इस मसले को चेक कराएंगे.

इससे पहले, निर्मोही अखाड़े के दस्तावेज और सबूत 1982 में डकैत ले गए. ये बात निर्मोही अखाड़े के वकील ने सुप्रीमकोर्ट में कही. अखाड़े के वकील ने यह बात कोर्ट में तब बताई जब चीफ जस्टिस ने अखाड़ा से कहा कि वह सरकार द्वारा 1949 में ज़मीन का अटैचमेंट करने से पहले के जमीन के मालिकाना हक को दर्शाने वाले दस्तावेज, रेवेन्यू रिकॉर्ड या अन्य कोई सबूत कोर्ट के समक्ष पेश करे. निर्मोही अखाड़ा ने कहा- इस मामले में वे असहाय हैं. वर्ष 1982 में अखाड़े में एक डकैती हुई थी जिसमें उन्होंने उस समय पैसे के साथ उक्त दस्तावेजों को भी खो दिया था. 

यह भी पढ़ें: अयोध्‍या केस: वकील ने SC से कहा- निर्मोही अखाड़े के दस्तावेज, सबूत 1982 में डकैत ले गए

 

जस्टिस बोबड़े ने पूछा- क्या निर्मोही अखाड़े को सेक्शन 145 सीआरपीसी के तहत राम जन्म भूमि पर दिसंबर 1949 के सरकार के अधिग्रहण के आदेश को चुनोती देने का अधिकार है? क्योंकि निर्मोही अखाडे ने इस आदेश को क़ानून में तय अवधि समाप्त होने के बाद निचली अदालत में चुनोती दी थी. अखाड़ा ने तय अवधि (6 साल) समाप्त होने पर 1959 में आदेश को चुनोती दी थी.

निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि वह ओनरशिप और क़ब्ज़े की मांग कर रहे हैं. ओनरशिप का मतलब मालिकाना हक नही बल्कि क़ब्ज़े से है, उन्हे राम जन्मभूमि पर क़ब्ज़ा दिया जाए. इससे पहले, मंगलवार को करीब साढे 4 घंटे निर्मोही अखाड़ा ने अपना पक्ष रखा था. सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील जैन ने दावा किया था कि अखाड़ा मंदिर के प्रबंधक की हैसियत से विवादित ज़मीन पर अपना दावा कर रहा है, जबकि बाकी हिंदू पक्षकार सिर्फ पूजा के अधिकार का हवाला देकर दावा कर रहे है. 1949 से वहां नमाज़ नहीं हुई, लिहाजा मुस्लिम पक्ष का कोई दावा नहीं बनता.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा से सवाल किया था कि 1949 में सरकार ने ज़मीन पर कब्ज़ा किया, निर्मोही अखाड़े ने 1959 में कोर्ट का रुख किया, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने 1961 में मुकदमा दायर किया.क्या ये सिविल केस में दावे के लिए मुकदमा दायर करने की समयसीमा का उल्लंघन नहीं करता? निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील जैन ने जवाब दिया था कि ज़मीन पर हमारा दावा पुराना है, ऐतिहासिक है और1934 से हमारा कब्जा है.समयसीमा का यहां उनकी ओर से उल्लघंन नहीं हुआ है. 

 

इससे पहले मंगलवार को सुबह सुनवाई के दौरान पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष के एन गोविंदाचार्य की ओर से वकील वान्या गुप्ता ने अयोध्या मामले की सुनवाई की ऑडियो रिकॉर्डिंग या फिर संसद की तर्ज पर लिखित ट्रांसक्रिप्ट तैयार कराने की मांग की थी. CJI ने उक्त मांग को स्वीकार करने से फिलहाल इंकार किया था.उन्होंने कहा था कि पहले मामले की सुनवाई शुरू होने दे. निर्मोही अखाड़ा की ओर से पेश वकील सुशील जैन ने कहा था कि बरसों से इस जमीन और मंदिर पर अखाड़े का अधिकार रहा है.पहले शुरू से केस स्टेटस और तथ्यों पर पेश की दलीलें जायेंगी.साथ ही पक्षों के अधिकार के आधार पर होगी बहस.पहला मुकदमा 1959 में निर्मोही अखाड़े ने दायर किया जब जमीन छीन ली गई थी.

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