चीनी लाईटों को टक्कर देने 33 करोड़ गोबर से बने दिये बाजार में लाये जायेंगे
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चीनी लाईटों को टक्कर देने 33 करोड़ गोबर से बने दिये बाजार में लाये जायेंगे

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग अगले महीने दिवाली के दौरान चीनी उत्पादों का मुकाबला करने के लिए, गाय के गोबर से बने 33 करोड़ पर्यावरण अनुकूल दीये के उत्पादन करने का लक्ष्य तय कर रहा है. आयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने सोमवार (12 अक्टूबर) को यह जानकारी दी

चीनी लाईटों को टक्कर देने 33 करोड़ गोबर से बने दिये बाजार में लाये जायेंगे

नई दिल्लीः राष्ट्रीय कामधेनु आयोग अगले महीने दिवाली के दौरान चीनी उत्पादों का मुकाबला करने के लिए, गाय के गोबर से बने 33 करोड़ पर्यावरण अनुकूल दीये के उत्पादन करने का लक्ष्य तय कर रहा है. आयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने सोमवार (12 अक्टूबर) को यह जानकारी दी. देश में स्वदेशी मवेशियों के संवर्धन और संरक्षण के लिए 2019 में स्थापित किए गए इस आयोग ने आगामी त्यौहार के दौरान गोबर आधारित उत्पादों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए एक देशव्यापी अभियान शुरू किया है.

  1. कामधेनु आयोग ने शुरू किया चीन निर्मित दिया को खारिज करने का अभियान
  2. ग्रामीण भारत में नौकरी के अवसर पैदा करने कर रही राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की गौशालाएं
  3. लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करता है राष्ट्रीय कामधेनु आयोग

देशी दियों से मिलेगा स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष कथीरिया ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘चीन निर्मित दीया को खारिज करने का अभियान प्रधानमंत्री के स्वदेशी संकल्पना और स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देगा.’’ उन्होंने कहा कि 15 से अधिक राज्य, इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए सहमत हुए हैं. उन्होंने कहा कि लगभग तीन लाख दीये पावन नगरी अयोध्या में जलाए जाएंगे, जबकि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक लाख दीये जलाये जायेंगे.

वर्तमान में होता है 192 किलो गोबर का उत्पादन
कथीरिया ने कहा, ‘‘विनिर्माण का काम शुरू हो गया है. हमने दिवाली से पहले 33 करोड़ दीयों को बनाने का लक्ष्य तय किया है.’’ वर्तमान में भारत में प्रतिदिन लगभग 192 करोड़ किलो गोबर का उत्पादन होता है. उन्होंने कहा कि गोबर आधारित उत्पादों की विशाल संभावनाएं मौजूद हैं. अयोग ने कहा कि हालांकि यह सीधे तौर पर गोबर आधारित उत्पादों के उत्पादन में शामिल नहीं है, लेकिन यह व्यवसाय स्थापित करने को इच्छुक स्वयं सहायता समूहों और उद्यमियों को प्रशिक्षण देने की सुविधा प्रदान कर रहे हैं.

मार्केट में आएंगी गोबर और दूध से बनीं लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां
दीयों के अलावा, आयेग गोबर, गौमूत्र और दूध से बने अन्य उत्पादों जैसे कि एंटी-रेडिएशन चिप, पेपर वेट, गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों, अगरबत्ती, मोमबत्तियों और अन्य चीजों के उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं. कथीरिया ने कहा कि इस पहल से गाय आश्रयों (गौशालाओं) को मदद मिलेगी, जो वर्तमान में कोविड-19 महामारी के कारण वित्तीय मुसीबत में हैं. ये गौशालायें ग्रामीण भारत में नौकरी के अवसर पैदा करने के अलावा लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकती हैं.

बदलेगा ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों का जीवन
उन्होंने कहा, ‘‘पूरे के पूरे रुख में बदलाव करने की जरूरत है तथा गाय आधारित कृषि और गाय आधारित उद्योग के बारे में लोकप्रिय धारणा को तत्काल दुरुस्त किये जाने की जरुरत है ताकि समाज का सामाजिक और आर्थिक कायाकल्प हो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों का जीवन बदले.’’ उन्होंने कहा कि किसानों, गौशाला संचालकों, उद्यमियों को इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए कई तरह की वेबिनार आयोजित की जा रही हैं.

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