Ram Mandir Ayodhya: जब बनवारी लाल 8 दिसंबर तक अपने घर नहीं पहुंचे और घर वालों को इनका कोई अता पता नहीं मिल रहा था. तो उस दौरान किसी ने घर वालों को सूचना दे दी, वो शहीद हो गए हैं
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Pran Pratishtha: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होने वाला है. इसी बीच मंदिर आंदोलन से जुड़ी कहानियां सामने आ रही हैं. इसी कड़ी में दिल्ली के उस कार सेवक से मिलिए जिसने बाबरी मस्ज़िद विध्वंस के बाद रामलला को गोदी में उठाकर अस्थाई टेंट में शिफ्ट किया था. असल में दिल्ली के सदर बाजार इलाके में रहने वाले कारोबारी बनवारी लाल पूरी तैयारी के साथ 22 जनवरी 2024 का इतंजार कर रहे हैं जब रामलला पूरे ठाट बाट के साथ भव्य मंदिर में विराजमान होंगे.
बनवारी लाल की ये तस्वीर 2 दिसंबर 1992 की है जब इनकी उम्र 22 साल की थी. उस दौरान इनके अपने दोस्तों के जरिए पता चला कि अयोध्या पहुंचने का आह्वान किया जा रहा है..तभी बनवारी लाल अपने 14 और साथियों के साथ कर सेवक बनकर अयोध्या के लिए निकल गए. लेकिन अयोध्या जाने से पहले सदर बाज़ार में इनको फूल माला और ढोल बजाकर इनको विदा किया गया..जब लखनऊ के रास्ते अयोध्या पहुंचे तो वहां भारी संख्या में कार सेवक पहुंच रहे थे.
खुद बताया- क्या हुआ था उस दिन?
53 साल के हो चुके बनवारी लाल ने बताया कि बचपन से ही श्रीराम की भक्ति का जुनून सवार है...अयोध्या जाने के लिए पहले पूरी तैयारी की और अपने साथ झंडे तक दिल्ली से लेकर गए थे..और जब नेता लाल कृष्ण अडवाणी वहाँ पहुंचे तो उनके साथ शामिल होकर अंदर दाखिल हो गए और जब विवादित ढांचा गिराया गया तो उसके बाद जब देखा की राम लला को नुकसान पहुंच सकता है बनवारी लाल ने राम लाल को गोदी में उठाकर पास में विराजमान किया इस दौरान इनके कई साथी इनके साथ थे
'वो शहीद हो गए'
जब बनवारी लाल 8 दिसंबर तक अपने घर नहीं पहुंचे और घर वालों को इनका कोई अता पता नहीं मिल रहा था. तो उस दौरान किसी ने घर वालों को सूचना दे दी वो शहीद हो गए हैं. घर वालों का रो रोकर बुरा हाल हो गया लेकिन 9 दिसंबर को बनवारी लाल अपने घर पहुंचे... आज भी उस दिन को याद कर भावुक हो जाते हैं. बनवारी लाल जैसे हज़ारों की तादाद में कार सेवक राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा बने...लेकिन अब 500 साल बाद मंदिर का सपना पूरा होने जा रहा है..