DNA Analysis on West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल की राजनीति में अब हिंसा सारी हदें पार कर रही है. आज के DNA में जानिए क्या है ममता बनर्जी का खेला.
Trending Photos
DNA Analysis on West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल में बदले की राजनीति की जो एक के बाद एक राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं की बलि लेती जा रही है. ममता बनर्जी के शासन में राजनीतिक हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है. कोलकाता में भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता अर्जुन चौरसिया की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई. अर्जुन चौरसिया का शव रेलवे काशीपुर रेलवे कॉलोनी के खाली पड़े Quarter में फंदे से लटकता पाया गया. लेकिन हैरानी की बात है कि शव के पैर जमीन को छू रहे थे. जिसकी वजह से परिवार ने आरोप लगाया कि अर्जुन चौरसिया की हत्या कर उनके शव को लटका दिया गया, परिवार का कहना है कि हत्या को आत्महत्या बनाने की कोशिश की जा रही है.
अर्जुन चौरसिया बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता थे. वो एक फैक्ट्री में काम करते थे. कल ही उन्हें सैलरी मिली थी और रात साढ़े आठ बजे वो घर से निकले लेकिन फिर लौट नहीं सके. सीधे आई उनकी मौत की खबर. इसके बाद उनके घर पर बीजेपी कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगने लगा. पुलिस अर्जुन चौरसिया के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाना चाहती थी कि लेकिन बीजेपी कार्यकर्ता और अर्जुन के परिवार वालों ने रोक दिया. परिवार के लोग सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे. यहां बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की हल्की झड़प भी हुई. अर्जुन चौरसिया के परिवार का आरोप है कि शव को ले जाने से रोकने पर पुलिस ने उनकी पिटाई की.
घर का बेटा खोने के बाद अर्जुन चौरसिया के परिवार की एक ही मांग है. वो अर्जुन चौरसिया के लिए इंसाफ चाहता है. हालांकि, अभी ये साफ नहीं है कि अर्जुन चौरसिया की मौत किन हालात में हुई और उसके लिए कौन जिम्मेदार है. पुलिस मामले की जांच कर रही है लेकिन राजनीति कैसे रुकती. बीजेपी इस हत्या के लिए TMC को जिम्मेदार ठहरा रही है, वहीं TMC का आरोप है कि बीजेपी इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है.
ये घटना ऐसे समय हुई है, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिन के बंगाल दौरे पर हैं. अमित शाह ने आज अर्जुन चौरसिया के परिवार से मुलाकात की और उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया. इसके बाद अमित शाह ने मीडिया से बात की और सीधे तौर पर कहा कि ये हत्या राजनीतिक है. अर्जुन चौरसिया की मौत के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संज्ञान लिया है और पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट तलब की है.
इस घटना की टाइमिंग भी महत्वपूर्ण है. 5 मई 2021 को ममता बनर्जी ने तीसरी बार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उन्हें मौजूदा कार्यकाल में सत्ता संभाले एक साल पूरा हुआ और अब कोलकाता में एक बीजेपी कार्यकर्ता की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. अमित शाह ने कहा कि पिछले एक साल में बंगाल में कानून और व्यवस्था की हालत बद से बदतर हुई है. TMC सरकार भय का माहौल बना रही है. राजनीतिक विरोधियों को कुचला जा रहा है.
बंगाल में राजनीतिक हत्याओं की खबर हांलाकि अब चौंकाती नहीं हैं. बीजेपी और TMC दोनों पार्टियां एक दूसरे पर हिंसा का आरोप लगाती है. ऐसे में आंकड़े क्या कहते हैं, वो बताते हैं- 'पश्चिम बंगाल पुलिस के मुताबिक 2019 में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राजनीतिक हिंसा में 47 लोगों की जान गई. इनमें बीजेपी के 28 कार्यकर्ता थे, जबकि TMC के 18 सदस्य थे. पश्चिम बंगाल में 2 मई 2021 को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए. इसके बाद राज्य में राजनीतिक हिंसा की करीब 15 हजार घटनाएं हुईं. इनमें हत्या, बलात्कार और आगजनी जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं. आरोप है कि इस दौरान करीब 7000 महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया. NHRC की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव के नतीजे आने के बाद डेढ़ महीने के अंदर राजनीतिक हिंसा की 1934 शिकायतें पुलिस के पास आईं.
बीजेपी का दावा है कि पिछले एक साल में उसके 60 कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई. कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में post-poll violence से प्रभावित 300 से अधिक लोगों को पुलिस सुरक्षा देने का आदेश दिया है. जनवरी 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई ने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले में 51 केस दर्ज किए थे और 100 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. इसी साल मार्च में बीरभूम जिले में TMC के एक स्थानीय नेता की हत्या के बाद आगजनी की गई, जिसमें आठ लोग जिंदा जल गए.
ममता बनर्जी ने पिछले विधानसभा चुनाव में एक नारा दिया था- खेला होबे. बंगाल में पिछले कई दशकों से राजनीतिक हिंसा का खेला चल रहा है. जब भी कोई नई हिंसा होती है, उस पर कई दिन राजनीति होती है. कुछ मामले CBI तक पहुंचते हैं, फिर जांच को लेकर केंद्र वर्सेस राज्य का टकराव होता है. लेकिन हिंसा का खेला चलता रहता है.