किसानों के भारत बंद (Bharat Bandh) का असर दिखने लगा है, लेकिन देशभर में व्यापारिक गतिविधियों और माल के परिवहन पर बंद का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.
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नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Agriculture Laws) के खिलाफ किसानों द्वारा आज (मंगलवार) बुलाए गए भारत बंद (Bharat Bandh) का असर दिखने लगा है. हालांकि देशभर में व्यापारिक गतिविधियों और माल के परिवहन पर बंद का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. रोजमर्रा की तरह दिल्ली और देशभर के बाजारों में पूरी तरह से व्यापारिक गतिविधियां चालू हैं. दिल्ली के सभी थोक बाजारों और रिटेल मार्केटों में अन्य दिनों की तरह सामान्य रूप से कारोबार हो रहा है.
व्यापारियों के शीर्ष संगठन कन्फेडेरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने सोमवार को व्यापारियों द्वारा भारत बंद (Bharat Bandh) में शामिल नहीं होने की घोषणा की थी. वहीं दूसरी ओर देश के ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सबसे बड़े संगठन ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (ऐटवा) ने भी दिल्ली सहित देश भर के ट्रांसपोर्ट सेक्टर के भारत बंद में शामिल नहीं होने की जानकारी दी थी. इसके बाद आज दिल्ली सहित देशभर में व्यापारिक और ट्रांसपोर्ट गतिविधियां चालू हैं.
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कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा, प्रदेश महामंत्री देवराज बवेजा ने बताया कि आज दिल्ली में शहरी क्षेत्र के सभी बाजार खुले हैं. इनमें चांदनी चौक, खारी बावली, नया बाजार, कश्मीरी गेट, नई सड़क, चावड़ी बाजार, सदर बाजार, दरिया गंज, करोल बाग, पहाड़गंज, कनॉट प्लेस, खान मार्केट, पटेल नगर, कीर्ति नगर, कमला नगर, रोहिणी, मॉडल टाउन, पीतमपुरा, आजादपुर, पंजाबी बाग, राजौरी गार्डन, उत्तम नगर, द्वारका, साउथ एक्सटेंशन, ग्रेटर कैलाश, लाजपत नगर, नेहरू प्लेस, सरोजिनी नगर, प्रीत विहार, लक्ष्मी नगर, मयूर विहार, दिलशाद गार्डन बाजार पूरी तरह खुले शामिल हैं.
ऐटवा के अध्यक्ष प्रदीप सिंघल और राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र आर्य ने दावा किया कि देश में परिवहन व्यवसाय भी अन्य दिनों की तरह आज भी पूरी तरह से चालू हैं. देशभर में लगभग 30 हजार ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और लगभग एक करोड़ ट्रांसपोर्ट कंपनियां और कूरियर कंपनियां हैं. लगभग 90 लाख ट्रक और अन्य वाहन प्रतिदिन सड़कों पर निकलते हैं, जिसमें से लगभग 20 लाख ट्रक प्रतिदिन विभिन्न राज्यों और बाकी वाहन शहरों में माल की आवाजाही के लिए इस्तेमाल होते हैं.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने किसान आंदोलन को देश के विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा हाईजैक करने की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि अपने निहित स्वार्थों के चलते विभिन्न राजनैतिक दल किसानों के हमदर्द होने का नाटक कर रहे हैं. ये सभी राजनैतिक दल आज से 12 दिन पहले कहां थे और तब क्यों नहीं इन्होंने कृषि बिलों पर शोर मचाया. यह बेहद खेदजनक है कि किसानों को अपनी राजनैतिक पिपासा के लिए ये सभी राजनैतक दल मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश का किसान बेहद समझदार है और वो इन दलों के झांसे में आने वाला नहीं है.
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि फॉर्म बिलों में मंडी में कारोबार करने वाले आढ़तियों को बिचौलिया कहा गया है, जिनको समाप्त किया जाएगा. उस पर कैट को एतराज है. वे सेवा प्रदाता हैं, जो किसानों के माल को मंडी में सही दाम दिलाने में न केवल उनकी सहायता करते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर किसानों को एडवांस राशि अथवा वित्तीय सहायता भी प्रदान करते हैं. वो नए कानूनों के अनुसार किस तरह व्यापार कर पाएंगे, इसके बारे में सरकार को अवश्य सोचना होगा. उन्होंने बताया कि कैट तीनों फॉर्म बिलों का गहराई से अध्यन कर रहा है और शीघ्र ही एक विस्तृत ज्ञापन सरकार को देकर संशोधन करने की मांग की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल आव्हान के तहत देश के कृषि बाजार को विदेशी कंपनियों या घरेलू बड़ी कंपनियों के हाथों की कठपुतली नहीं बनना चाहिए और किसानों को इस क्रम में अपने खेतों से वंचित नहीं होना चाहिए, इसका विशेष ध्यान सरकार को रखना होगा.