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Agusta Westland: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ब्रिटिश नागरिक और अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की बेंच ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 436ए मौजूदा मामले में लागू नहीं होगी. धारा 436ए उन विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने की अनुमति देती है, जिन्होंने दोषी ठहराए जाने पर अधिकतम सजा की आधी सजा पूरी कर ली हो.
शीर्ष अदालत को बताया गया कि मिशेल 4 साल से अधिक समय से हिरासत में है. सुनवाई के दौरान, बेंच ने मिशेल के वकील से सवाल किया: आप कैसे आश्वस्त करेंगे कि वह देश से बाहर नहीं जाएंगे होगा?, इस उन्होंने जवाब दिया कि एजेंसियों ने तीन बार दुबई में उनके मुवक्किल से मुलाकात की, जहां उन्होंने पूरा सहयोग किया था.
मिशेल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अल्जो जोसेफ ने तर्क दिया कि सभी सह-आरोपियों को एक ही अपराध के संबंध में प्रत्यर्पित किया गया था, उन्हें जमानत दे दी गई है, हालांकि उनके मुवक्किल ने आधी सजा काट ली है.
ईडी और सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि आरोपों में मनी लॉन्ड्रिंग, जैसे कई बड़े मामले शामिल हैं. हालांकि, पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई चार्जशीट दायर नहीं की गई है और जांच के साथ-साथ हिरासत अभी भी जारी है.
पीठ ने सवाल किया: आखिरकार आप उन्हें कब तक हिरासत में रखेंगे, कुछ कहें.. एक समय बताएं.
पीठ ने जैन से कहा कि यह उनकी तरफ से ओपन एंडेड नहीं हो सकता है और जांच पूरी करने के लिए एक समय अवधि होनी चाहिए. जैन ने जवाब दिया कि जब तक रोगेटरी (एलआर) लेटर का जवाब नहीं दिया जाता तब तक कस्टडी जरूरी होगी. बेंच ने पूछा, 'एलआर की प्रक्रिया कब तक चलेगी?'
दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने मिशेल की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया.
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(एजेंसी इनपुट के साथ)