High Court का फैसला: किसी Member के अश्‍लील पोस्‍ट के लिए WhatsApp Group Admin नहीं हो सकता दोषी
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High Court का फैसला: किसी Member के अश्‍लील पोस्‍ट के लिए WhatsApp Group Admin नहीं हो सकता दोषी

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यदि वॉट्सऐप ग्रुप का कोई सदस्य आपत्तिजनक पोस्ट करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. एडमिन किसी को नियंत्रित नहीं कर सकता है, उसके पास सीमित अधिकार होते हैं. वह केवल ग्रुप के सदस्यों को जोड़ने या हटाने का काम कर सकता है.

 

फाइल फोटो

नागपुर: बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ (Nagpur Bench of the Bombay High Court) ने वॉट्सऐप ग्रुप्स के एडमिन्स (WhatsApp Group Administrators)  को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने कहा है कि वॉट्सऐप ग्रुप के किसी सदस्य द्वारा पोस्ट किए गए अश्लील कंटेंट के लिए एडमिन जिम्‍मेदार नहीं होगा. ग्रुप एडमिन पर गलत या अपत्तिजनक पोस्ट (Objectionable Post) के लिए आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती है. इसी के साथ अदालत ने 33 वर्षीय युवक के खिलाफ दायर केस रद्द कर दिया.  

  1. बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने सुनाया फैसला
  2. वॉट्सऐप ग्रुप में अश्लील पोस्ट से जुड़ा था मामला
  3. एडमिन पर कई धाराओं में दर्ज हुआ था केस

Admin के पास Post रोकने की क्षमता नहीं  

अदालत का यह आदेश पिछले महीने आया था, लेकिन इसकी कॉपी 22 अप्रैल को उपलब्ध हुई है. जस्टिस जेडए हक (Justice Z.A. Haq) और जस्टिस एबी बोरकर (Justice A.B. Borkar) की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि वॉट्सऐप के एडमिन के पास केवल ग्रुप के सदस्यों को जोड़ने या हटाने का अधिकार होता है और ग्रुप में डाली गई किसी पोस्ट या विषयवस्तु को नियंत्रित करने या उसे रोकने की क्षमता नहीं होती है. 

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Kishor Tarone की याचिका पर सुनाया फैसला

कोर्ट ने एक वॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन किशोर तरोने (Kishor Tarone) की याचिका पर यह फैसला सुनाया है. तरोने ने गोंदिया जिले में अपने खिलाफ 2016 में धारा 354-ए (1) (4) (अश्लील टिप्पणी), 509 (महिला की गरिमा भंग करना) और 107 (उकसाने) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में आपत्तिजनक सामग्री का प्रकाशन करना) के तहत दर्ज मामलों को खारिज करने का अनुरोध किया था. 

Tarone पर लगाए गए थे ये Allegations

किशोर तरोने पर आरोप था कि वह अपने वॉट्सऐप ग्रुप के उस मेंबर के खिलाफ कदम उठाने में नाकाम रहें, जिसने ग्रुप में महिला सदस्य के खिलाफ अश्लील और अमर्यादित टिप्पणी की थी. तरोने पर यह भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने संबंधित सदस्य को न तो ग्रुप से हटाया और न ही उससे माफी मांगने को कहा. सभी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने तरोने के पक्ष में फैसला सुनाया और दर्ज FIR और आरोपपत्र खारिज कर दिया.

Objectionable Post करने वाला ही दोषी

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यदि वॉट्सऐप ग्रुप का कोई सदस्य आपत्तिजनक पोस्ट करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. एडमिन किसी को नियंत्रित नहीं कर सकता है, उसके पास सीमित अधिकार होते हैं. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अश्लील कंटेंट के लिए किसी एडमिन को तब तक जिम्मेदार नहीं माना जा सकता जब तक कि यह साफ न हो जाए कि वो भी उस योजना का हिस्सा था. किशोर तरोने ने अपने पक्ष में कहा था कि ग्रुप में पोस्ट कंटेंट से उसका कोई नाता नहीं है.  

 

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