मगध विश्वविद्यालय, दरभंगा विश्वविद्यालय के बाद अब पूर्णिया विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की बात सामने आई है. आप जानकर हैरत में पड़ जाएंगे तीन साल पहले स्थापित पूर्णिया विश्वविद्यालय में अरबों रुपये की धांधली का आरोप बिहार विधानपरिषद के सदस्य लगा रहे हैं.
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पटनाः बिहार के विश्वविद्यालयों में लगातार भ्रष्टाचार की बात सामने आ रही है. शिक्षण संस्थानों में सीधे तौर पर उगाही का काम चल रहा है. दरअसल तमाम तरह की परंपरागत यूनिवर्सिटी से जिस तरह से धांधली की शिकायतें आ रही हैं उसने बिहार के उच्च शैक्षणिक संस्थानों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. शैक्षणिक जगत के साथ ही तमाम सियासी दिग्गजों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है.
अरबों रुपये की धांधली का आरोप
मगध विश्वविद्यालय, दरभंगा विश्वविद्यालय के बाद अब पूर्णिया विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की बात सामने आई है. आप जानकर हैरत में पड़ जाएंगे तीन साल पहले स्थापित पूर्णिया विश्वविद्यालय में अरबों रुपये की धांधली का आरोप बिहार विधानपरिषद के सदस्य लगा रहे हैं. विश्वविद्यालयों में धांधली की गहरी होती जड़ों के बीच बिहार विधान परिषद में अलग-अलग दलों के 18 सदस्यों ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाकर चर्चा की और सरकार से कार्रवाई की मांग की है.
संजीव कुमार सिंह बिहार विधान परिषद के सदस्य के साथ-साथ पूर्णिया विश्वविद्यालय में सिनेट सदस्य भी हैं. संजीव कुमार सिंह के मुताबिक तीन साल पहले स्थापित पूर्णिया विश्वविद्यालय में जो घोटाला हुआ है वो लाखों और करोड़ों में नहीं बल्कि अरबों का है. ये घोटाला आंसर शीटों के बड़े पैमाने पर जरूरत से ज्यादा ऑर्डर देकर हुआ. संजीव कुमार सिंह बताते हैं कि पूर्णिया विश्वविद्यालय में स्नातक में छात्र और छात्राओं की संख्या महज 30 हजार है.
आंसरशीट खऱीदने में कर लिया घोटाला
अगर एक छात्र की परीक्षा के लिए पांच आंसर शीट होनी चाहिए तो 30 हजार छात्रों के लिए डेढ़ लाख कॉपी के ऑर्डर दिए जाने थे, लेकिन कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह ने वित्तीय उगाही के लिए नियमों को दरकिनार कर 11 लाख आंसरशीट के ऑर्डर दिए. घोटाले को अंजाम सिर्फ आंसरशीट के जरिए ही नहीं दिया गया बल्कि एक और दूसरा तरीका अपनाया गया.
जानकारी के मुताबिक, बिना शिक्षा विभाग की अनुमति के पूर्णिया विश्वविद्यालय में 18 नए कोर्स शुरू किए गए. पूर्णिया विश्वविद्यालय ने न सिर्फ नए कोर्स शुरू किए बल्कि इनकी परीक्षा ली और परिणाम भी जारी कर दिया गया. अमान्य कोर्स को भी पूर्णिया विश्वविद्यालय में चलाया जा रहा है. दूसरी ओर सरकार ने बिहार विधानपरिषद में सवालों के जवाब दिए हैं. सरकार की तरफ से बिहार विधान परिषद में अशोक चौधरी ने जवाब दिए हैं.
प्रभार पर चल रहे हैं कुलपति जैसे पद
इसके अलावा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में भी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. यहां के कुलपति सुरेंद्र प्रताप सिंह हैं. कुछ दिन पहले तक इन पर पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का प्रभार भी था. इसके अलावा सामने आया कि मीठापुर स्थित आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के अपने दफ्तर में एसपी सिंह कभी कभार ही पहुंचते थे.
इस बारे में प्रोफेसर शिवजतन ठाकुर बताते हैं कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 की धारा 10(3) में ये प्रावधान है कि विश्वविद्यालय के कुलपति पूर्णकालिक अधिकारी यानि होलटाइम अफसर होंगे. हकीकत ये है बिहार के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति जैसे पद प्रभार पर चल रहे हैं. हालांकि पटना में मौजूद पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपतियों के काम में कोई दोष नजर नहीं आता है.
धांधली के आरोपों से घिरे कई प्रोफेसर
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के मीडिया इंचार्ज बीके मंगलम के मुताबिक, एक कुलपति या किसी भी शख्स के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी होना कोई बुरी चीज नहीं है. बल्कि अगर कोई शख्स बेहतर प्रदर्शन करता है तो उसे दूसरे संस्थानों का काम भी सौंपा जा सकता है. हम जिस पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की बात कर रहे हैं उस विश्वविद्यालय के पहले कुलपति रह चुके प्रोफेसर गुलाबचंद राम जायसवाल पर भी धांधली के गंभीर आरोप लगे हैं.
गुलाबचंद राम जायसवाल उत्तरप्रदेश के राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति थे. उन पर धोखाधड़ी, दस्तावेजों में हेराफेरी जैसे आरोप लगे थे. समझा जा सकता है कि अगर किसी व्यक्ति पर धांधली के आरोप हों तो वो कैसे किसी दूसरी यूनिवर्सिटी के कुलपति बन सकते हैं. यानि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की शुरुआत ही खराब हुई है. अब इस विश्वविद्यालय के सिनेट मेंबर आलोक तिवारी और बिजेंद्र कुमार धांधली के आरोप लगाते हुए जांच की मांग कर रहे हैं.