बिना डिग्री वाला फर्जी डॉक्टर करता रहा इलाज, CBI ने खोली पोल तो हो गया फरार
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बिना डिग्री वाला फर्जी डॉक्टर करता रहा इलाज, CBI ने खोली पोल तो हो गया फरार

कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होता है.  ऐसे में अगर आपका इलाज कर रहा डॉक्टर ही फर्जी निकले तो फिर आपकी जिंदगी तो सच में भगवान भरोसे ही है. बता दें कि ऐसा ही कुछ बिहार की राजधानी पटना के नामी-गिरामी अस्पताल पारस हॉस्पिटल में हुआ है. यहां एक फर्जी डॉक्टर तीन साल तक लोगों का इलाज करता रहा.

(फाइल फोटो)

पटना: कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होता है.  ऐसे में अगर आपका इलाज कर रहा डॉक्टर ही फर्जी निकले तो फिर आपकी जिंदगी तो सच में भगवान भरोसे ही है. बता दें कि ऐसा ही कुछ बिहार की राजधानी पटना के नामी-गिरामी अस्पताल पारस हॉस्पिटल में हुआ है. यहां एक फर्जी डॉक्टर तीन साल तक लोगों का इलाज करता रहा. वह भी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में. 

बता दें कि यह पारस हॉस्पिटल से आने वाला कोई पहला मामला नहीं है. इस अस्पताल से अनियमितता की कई खबरें आए दिन आती रहती हैं. ऐसे में पटना के इतने बड़े और प्रतिष्ठित अस्पताल में इतना बड़ी फर्जीवाड़ा लोगों के अंदर खौफ पैदा कर रहा है. बता दें कि जिस फर्जी डॉक्टर के बारे में खुलासा हुआ है उसका नाम मोहम्मद शमीम फारूकी है जो बिहार के ही दरभंगा जिले का रहनेवाला है. यह फर्जी डॉक्टर 2020 से 2023 तक पारस हॉस्पिटल में MBBS डाक्टर के तौर पर काम कर मरीजों की जिंदगी से खेल रहा था. अब जब इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है तो पारस हॉस्पिटल ने ही इसके खिलाफ FIR कराया है. 

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बता दें कि  मोहम्मद शमीम फारूकी किसी और की डिग्री पर अस्पताल में तीन साल तक मरीजों की जान से खेलता रहा. अस्पातल प्रबंधन को जब इस बात का पता चला तो वहां कोहराम मच गया. बता दें कि अस्पताल ने उसे नौकरी से निकाल दिया और शास्त्री नगर थाने में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया. इससे पहले CBI के पास भी इस फर्जी डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज था. 

अब सूचना मिल रही है कि फर्जी डॉक्टर मोहम्मद शमीम फारूकी फरार हो गया है. बता दें कि इस फर्जी डॉक्टर के पिताजी के बारे में भी बताया जा रहा है कि वह भी डॉक्टर हैं. इसके साथ ही पुलिस की मानें तो मोहम्मद शमीम फारूकी काठमांडू विश्वविद्यालय से MBBS की डिग्री  के लिए पढ़ाई कर रहा था. जहां वह परीक्षा में फेल हो गया और उसकी डिग्री पूरी नहीं हो पाई. इसके बाद आरोपी मोहम्मद शमीम फारूकी फर्जी डिग्री के सहारे फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम में भी बैठा था. यहां भी उसे सफलता नहीं मिली. इसके बाद से वह मोहम्मद जावेद नाम के एक अन्य उत्तीर्ण छात्र की डिग्री का इस्तेमाल कर प्रैक्टिस करने लगा. 

वह पारस अस्पताल में काम की शुरुआत से पहले हरियाणा के एक अस्पताल में भी काम कर चुका था. यहां से उसे निकाला गया तो 2020 में उसने पारस अस्पताल ज्वाइन कर लिया. CBI की रिपोर्ट के अनुसार वह मोहम्मद जावेद के नाम का फर्जी दस्तावेज लगाकर प्रैक्टिस कर रहा था. CBI ने 2022 में 74 फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. इसी में मोहम्मद शमीम फारूकी का नाम भी था. अस्पताल को 10 मई को इस बात की जानकारी मिली तो उसने उसे नौकरी से निकाल दिया. 

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