Darbhanga Football Tournament: सीमित साधनों के बीच हरिहरपुर गांव के लोग 47 वर्षों से फुटबॉल खेल को सीने से लगाए हुए है. हर वर्ष दुर्गा पूजा पर फुटबॉल मैच का भव्य आयोजन होता है. राज्य की बड़ी-बड़ी टीमों के साथ नेपाल की टीम भी भाग लेती है.
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दरभंगा: Darbhanga Football Match: बिहार के दरभंगा जिले के सिंहवाड़ा प्रखंड अंतर्गत हरिहरपुर गांव में वर्ष 1978 से दुर्गा पूजा के मौके पर फुटबॉल टूर्नामेंट का भव्य आयोजन होता है. यहां के लोग आज भी फुटबॉल खेल को सीने से लगाए बैठे हैं. इसी कड़ी में फुटबॉल टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला दरभंगा और मुजफ्फरपुर के बीच खेला गया. जिसमें दरभंगा के राजा विश्वेश्वर सिंह की टीम ने जीत हासिल की. जीतने वाली टीम को 75 हजार रुपये का चेक और ट्रॉफी से नवाजा गया तो रनर रही मुजफ्फरपुर की टीम को 45 हजार रुपये के चेक के साथ ट्रॉफी से नवाजा गया.
वहीं मौके पर पहुंचे दरभंगा राज परिवार के युवराज कपिलेश्वर सिंह ने यहां के लोगों की तारीफ की और कहा कि जहां मिथिला से स्पोर्ट्स कल्चर समाप्त हो चुका है. वहीं यहां के लोग सीमित साधनों के बीच भी आज इस खेल को जिंदा रखे हुए हैं, जो काबिले तारीफ है. उन्होंने यहां के लोगों को इस खेल में हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां के लोगों ने तत्कालीन जमींदार से अपनी लड़ाई लड़कर इस खेल मैदान को बचाया ।इस कड़ी में 55 लोगों ने जेल की यात्रा की थी और उन्हीं के याद में इस टूर्नामेंट का आयोजन शुरू हुआ. इसमें यहां के स्थानीय निवासी गंगा प्रसाद झा गुरु ने काफी तन और मन से सहयोग किया और उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर और अपनी जमीन को बेचकर इस खेल में लगा दिया. जिसकी सराहना आज के मुख्य अतिथि युवराज कपिलेश्वर सिंह ने की.
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इस बाबत कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि यहां आकर बहुत अच्छा लगा।खेल मैदान पूरी तरह यहां मेंटेन है. मिथिला से स्पोर्ट्स कल्चर पूरी तरह खत्म हो चुका है. बावजूद यहां के लोग सीमित साधनों के बीच इस खेल को मेंटेन करके रखा हुआ है, यह काबिले तारीफ है. वर्ष 1978 से ही ये लोग इस मैच का आयोजन कर रहे है. इस गांव के गुरु जी है, जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर और जमीन बेचकर इस खेल में लगा दिया. ऐसे समर्पित लोगों की जरूरत है. पढ़ाई के साथ-साथ खेल भी जरूरी है. झारखंड में अमिताभ चौधरी थे उन्होंने लड़कर स्टेडियम बना लिए, आज वहां से एक से एक खिलाड़ी निकल रहे है. वैसा जज्बा होना चाहिए.
इस बाबत स्थानीय गंगा प्रसाद झा गुरु ने बताया कि इस आयोजन को देख कर खुशी होती है कि हमारा परिश्रम सफल हुआ. विद्यार्थियों के सहयोग से इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे है. इस खेल मैदान के लिए तत्कालीन जमींदार से यहां के लोगों ने लड़ाई लड़ी और 55 लोगों को जेल जाना पड़ा. जब यह मैदान बचा और हम टीम के कैप्टन बने तो उन 55 लोगों के जेल जाने की याद में इस टूर्नामेंट का आयोजन शुरू किया. जो 1978 से लगातार चल रहा है. इसमें राज्य की कई टीमों के अलावा नेपाल की टीम भी भाग लेती है. कठिनाई तो कई आती है, लेकिन युवाओं के सहयोग से यह चल रहा है.
इनपुट- मुकेश कुमार
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