Strawberries Cultivation: पलामू जिले के मेदिनीनगर और छतरपुर मुख्यमार्ग के कंडा गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. इससे किसानों को काफी फायदा मिल रहा है और अच्छी आमदनी भी हो रही है. स्ट्रॉबेरी की खेती में गांव के ही लोगों को रोजगार भी मिल जा रहा है.
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पलामू: Strawberries Cultivation: पलामू जिले के मेदिनीनगर और छतरपुर मुख्यमार्ग के कंडा गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. इससे किसानों को काफी फायदा मिल रहा है और अच्छी आमदनी भी हो रही है. स्ट्रॉबेरी की खेती में गांव के ही लोगों को रोजगार भी मिल जा रहा है. जिससे उन्हें अब कमाने के लिए बाहर दूसरे स्थान पर नही जाना पड़ रहा है. किसान कहते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती बहुत ही बारीकी तरीके से की जाती है और उनके द्वारा स्ट्रॉबेरी की विभिन्न प्रजातियों की खेती की जा रही है.
45 दिन में तैयार होती है फसल
किसानों के द्वारा 6 एकड़ के प्लॉट में एक लाख बीस हजार स्ट्रॉबेरी की प्लांटेशन की गई है. किसान बताते है की 45 दिन में स्ट्रॉबेरी का पौधा तैयार हो जाता है. उसके बाद उसे तोड़कर बाजारों में बेचा जा सकता है. स्ट्रॉबेरी की खेती ऑर्गेनिक तरीके से तैयार कर 2 से 3 लेयर में प्लांटेशन किया जाता है. वही पूरा प्रोसेस करने में एक एकड़ ने 3.50 लाख रुपया का खर्च आता है.बाजार ने 2 किलो का तकरीबन 600 रुपए में मिलता है. वहीं पलामू की स्ट्रॉबेरी की मांग झारखंड,बिहार, बंगाल,यूपी,दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में है.
हर महीने लाखों की कमाई
स्ट्रॉबेरी की खेती में होने वाले फायदे को देखकर यहां के किसानों ने भी इसकी खेती करनी शुरू की है. किसानों ने बताया कि कोलकाता के बाजारों में स्ट्रॉबेरी की मांग अधिक है. स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए टपक सिंचाई विधि अपनाई जाती है. स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान लाखों की कमाई कर रहे हैं. किसान इसकी खेती करके समृद्ध बन सकते हैं. इसके जरीए किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.
इनपुट- अमित कुमार
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