Gaya News: गया में अभी से ही होटल और धर्मशाला की बुकिंग चालू, 17 सितंबर से शुरू हो रहा पितृपक्ष मेला
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Gaya News: गया में अभी से ही होटल और धर्मशाला की बुकिंग चालू, 17 सितंबर से शुरू हो रहा पितृपक्ष मेला

Gaya Pitru Paksha Mela 2024: इस साल बिहार के जिला गया में 17 सितंबर से पितृपक्ष मेला शुरू होने वाला है. जिसे लेकर तीर्थयात्रियों ने अभी से ही वहां के होटल और धर्मशाला में बुकिंग करना शुरू कर दिया है. 

गया में अभी से ही होटल व धर्मशाला बुकिंग, 17 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृपक्ष मेला

Pitru Paksha Mela 2024: बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर गया में पितृपक्ष मेला शुरू होने वाला है. इसे लेकर तीर्थयात्रियों ने पहले से ही वहां के होटलों और धर्मशाला में बुकिंग करना शुरू कर दिया है. 17 सितंबर से गया में पितृपक्ष मेला आरंभ हो जाएगा. जिला गया बिहार के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है. यहां लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए आते हैं. हर साल भारी मात्रा में पर्यटक इस स्थान पर आते हैं. गया का पितृपक्ष मेला बिहार के प्रसिद्ध मेलों में से एक है. 

पितृपक्ष मेला के दौरान पिंडदान के लिए अभी से ही वहां के होटल, धर्मशाला, पिंडदान की व्यवस्था आदि की प्री बुकिंग शुरू हो गई है.अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए देश-विदेश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में हिंदू सनातन धर्मावलंबी यहां आते हैं. यहां आए तीर्थयात्रियों के लिए सभी तरह की व्यवस्था करवाने में पंडा समाज जुटे हैं. विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल ने बताया की इस बार 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक पितृपक्ष मेला का आयोजन किया जाना है. इसे लेकर तीर्थ यात्री अपने अपने पंडा से बात कर होटल, धर्मशाला की बुकिंग और पिंडदान की व्यवस्था की जानकारी ले रहे हैं. वहीं पंडा समाज के द्वारा भी कई घरों को किराए पर लिया जा रहा है, ताकि यहां आने वाले तीर्थयात्रियों को आवासन में किसी तरह की कोई समस्या नहीं हो.

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धार्मिक महत्व 
गया में अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म, तर्पण विधि और पिंडदान करने के बाद कुछ भी शेष नहीं रह जाता है. इस पवित्र स्थल पर पिंडदान करने से मनुष्य पितृऋण से मुक्त हो जाता है. आपको बता दें कि जब भगवान राम माता सीता समेत भ्राता लक्ष्मण के साथ वनवास काल भोग रहे थे, उस समय वो सभी भ्रमण करते हुए गया आ पहुंचे थे. तब समय पितृपक्ष का समय चल रहा था. तो प्रभु राम ने अपने पिता दशरथ और पूर्वजों का पिंडदान गया के फल्गु नदी के तट पर ही किया था. उसी समय से गया में पिंडदान किया जा रहा है. लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए, हर साल हजारों की संख्या में गया आकर श्राद्ध कर्म और पिंडदान किया करते हैं. 

इनपुट - पुरुषोत्तम कुमार 

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