Gaya Wolf Attack: उत्तर प्रदेश के बहराइच के बाद अब बिहार के गया में भी भेड़ियों का आतंक कायम हो गया है. भेड़ियों ने अब तक 4 ग्रामीणों को घायल कर दिया है, जिससे इलाके में दहशत फैल गई है.
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उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों के आतंक के बाद अब बिहार के गया में भी इनका आतंक फैल गया है. गया के खिजरसराय थाने के मकसूदपुर गांव में भेड़ियों ने अब तक 4 ग्रामीणों को घायल कर दिया है. इससे पिछले कई दिनों से ग्रामीण दहशत में हैं. शाम होते ही लोग घरों से निकलना बंद कर देते हैं. आज हम भेड़िये के बारे में विस्तार से बताएंगे. दरअसल, यह कुत्ते के स्वरूप में जंगली जानवर होता है. वैज्ञानिक नजरिए से भेड़िये को कैनिडाय पशु परिवार का सबसे बड़े शरीर वाला सदस्य माना जाता है. पहले भेड़िये यूरेशिया, उत्तरी अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका में पाए जाते थे, लेकिन जैसे जैसे मानव आबादी बढ़ती गई, भेड़ियों का क्षेत्र कम होता चला गया. जेनेटिक स्टडी में पाया गया है कि कुत्तों की नस्लें भेड़ियों से ही निकली हैं.
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भेड़िया उच्च कोटि का शिकारी जानवर होता है. माना जाता है कि शेर और इंसानों के अलावा भेड़ियों से मुकाबला लेने की किसी भी जीव में हिम्मत नहीं होती. भेड़ियों का स्वभाव ऐसा होता है कि इन्हें पालतू नहीं बनाया जा सकता. भेड़िये अकेले नहीं होते. अकसर यह झुंड में चलते हैं. इसकी चाल 55 से लेकर 70 किलोमीटर प्रति घंटे होती है और यह क्षैतिज रूप से 5 मीटर यानी 16 फीट तक छलांग लगा सकता है. 20 मिनट तक यह फुर्ती से किसी का पीछा कर सकता है. इसका पैर बड़ा और लचीला होता है.
कहते हैं कि अगर भेड़िये के बच्चे को नुकसान पहुंचता है तो वह पूरे इलाके में तबाही मचा देते हैं. आकार और प्रकार की बात करें तो भेड़ियों के थूथन बड़े होते हैं. कान अधिक गोल और छोटे, पूंछ छोटी और झाड़ीदार होती है. इनका रंग अलग अलग होता है.
भेड़ियों के बारे में यह भी जानकारी है कि ये 13 साल तक जीवित रह सकते हैं और 10 साल से अधिक उम्र तक प्रजनन कर सकते हैं. भोजन को लेकर ये हिरण और चूहों पर निर्भर होते हैं. ये अपने झुंड के अन्य सदस्यों को अपना स्थान बताने और दुश्मनों के झुंड को अपने क्षेत्र से भगाने के लिए चिल्लाते हैं.
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भारत में भेड़ियों की 2 उपप्रजातियां मिलती हैं: भूरा भेड़िया यानी ग्रे वुल्फ और तिब्बती भेड़िया. भेड़ियों से अगर सामना हो जाए तो धीरे धीरे पीछे हटें. भेड़िया अगर हमला करता है तो ध्वनि पैदा करने वाले यंत्रों का प्रयोग कर सकते हैं. भेड़ियों से मुकाबले के लिए भालू स्प्रे या आग्नेयास्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं. ये पेड़ों के नीचे घास में आसाम करते हैं. अगर इनके झुंड में कोई मादा भेड़िया बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार होती है तो पूरा झुंड किसी मांद में चला जाता है. ऐसे मांद पानी के स्रोत के पास होते हैं.
भेड़िए आम तौर पर उदबिलाव, मछली और खरगोश का शिकार करते हैं तो जामुन भी इनका प्रिय आहार है. ये रोजाना 3 से 4 पाउंड भोजन करते हैं.