Gumla: नाबालिग छात्रा के सिर से उठा माता-पिता का साया, पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने को विवश
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Gumla: नाबालिग छात्रा के सिर से उठा माता-पिता का साया, पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने को विवश

Gumla News: राजकुमारी ने कहा कि उसके घर में ना तो खाने के लिए कुछ है और न ही रहने के लिए अच्छा मकान. टूटे-फूटे घर में किसी तरह मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रही है. 

नाबालिग की दर्दभरी कहानी

Gumla News: झारखंड के गुमला से एक दिल को झकझोरने वाली खबर सामने आई है. यहां घाघरा प्रखंड मुख्यालय के ग्रीन गोला रोड निवासी 16 वर्षीय राजकुमारी के माता-पिता की आकस्मिक मृत्यु के बाद वह बिल्कुल अनाथ हो गई है. माता-पिता के निधन के 5 महीने बीत जाने के बाद भी न तो प्रशासनिक अधिकारियों ने और न ही जनप्रतिनिधियों ने उसकी सुध ली. युवती की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि उसे अपनी पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. राजकुमारी ने बताया कि उसके माता-पिता ने उसका नामांकन कस्तूरबा गांधी स्कूल में कराया था, जहां वह कक्षा 9 में पढ़ रही थी. गर्मी की छुट्टियों में घर लौटने पर उसे दाने-दाने को मोहताज होना पड़ा. 

उसने कहा कि मां-बाप के गुजर जाने के बाद अपने पेट की आग बुझाने के लिए पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करना उसकी मजबूरी बन गई है. राजकुमारी ने कहा कि उसके घर में ना तो खाने के लिए कुछ है और न ही रहने के लिए अच्छा मकान. टूटे-फूटे घर में किसी तरह मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रही है. राजकुमारी ने कहा कि आज ना तो मेरे सगे संबंधी साथ खड़े हुए और न ही प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को मेरी बेबसी दिखी.

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राजकुमारी ने बताया कि उसके पिता की मृत्यु लगभग 4 साल पहले हो चुकी थी. इसके बाद उसकी मां लाखिया देवी मजदूरी कर उसे पढ़ा रही थी, लेकिन 9 फरवरी 2024 को मां की भी मृत्यु हो गई, जिससे वह बिल्कुल बेसहारा हो गई. अब पढ़ाई छोड़कर रोजाना 250 रुपये में दिहाड़ी मजदूरी कर करके पेट पाल रही हूं. पढ़ने की इच्छा तो है, पर समझ में नहीं आता कि पढ़ाई करूं या पेट पालूं. उसने कहा कि मेरे माता-पिता की मृत्यु के बाद न तो कोई सरकारी अधिकारी और न ही कोई जनप्रतिनिधि मेरी हालत की सुध लेने आया. पिता की मृत्यु के बाद मां मजदूरी कर मुझे पढ़ा रही थी, अब वह भी नहीं रहीं, जिससे मैं अकेली हो गई हूं.

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राजकुमारी ने बताया कि टूटे हुए मकान में रहने के कारण और शौचालय की सुविधा न होने के कारण उसे सुबह के अंधेरे या सूर्यास्त का इंतजार करना पड़ता है. उसकी मां लाखिया देवी के नाम पर अबुआ आवास पास हुआ था, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि उसकी मां की मृत्यु हो जाने के कारण अब उसे आवास नहीं मिलेगा. उसने कहा कि अगर मुझे सरकारी सहायता मिले तो मैं आगे पढ़ाई कर सकती हूं और बड़े अधिकारी बनकर दुनिया को दिखा सकती हूं. पर पता नहीं मेरा सपना पूरा होगा या नहीं. इतना कहकर वह फुट-फुट कर रोने लगी.

रिपोर्ट- रणधीर

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