Jamui News: बिना काम के हो रही पैसों की निकासी, केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना में मची लूट
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Jamui News: बिना काम के हो रही पैसों की निकासी, केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना में मची लूट

Jamui News: बिहार के जमुई जिले में मनरेगा योजना में घोटाले की जानकारी सामने आई है. प्रखंड के पदाधिकारी से लेकर पंचायत के जनप्रतिनिधि और रोजगार सेवक की मिली भगत से पैसे का घोटाला हो रहा है. 

 

मनरेगा योजना में मची लूट

जमुई: Jamui News: बिहार के जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड के पतसंडा पंचायत में मनरेगा की क्रियान्वित योजनाओं में लूट की होड़ मची हुई है. इसमें प्रखंड के पदाधिकारी से लेकर पंचायत के जनप्रतिनिधि यहां तक की रोजगार सेवक प्रभात रंजन की मिली भगत से पैसा का बंदरबांट किया जा रहा है. ताजा मामला पतसंडा पंचायत के शुगर कौर आहार के बांध पर वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत वृक्ष लगाया गया था. लेकिन आहार पर एक भी जिंदा वृक्ष नहीं है और प्रत्येक माह चार हजार रुपये की निकासी की जा रही है. यही वजह है कि क्रियान्वित योजनाओं में योजना स्थल पर बोर्ड नहीं लगाया जा रहा है. 

बोर्ड नहीं लगने पर प्राक्कलन में आसानी से चोरी की जा सकती है. जबकि सरकार का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी योजना के कार्य स्थल पर सूचना बोर्ड जरूर लगाएं. उस बोर्ड में योजना का नाम, योजना की प्राकलित राशि, संवेदक का नाम आदि का जिक्र अनिवार्य रूप से रहना चाहिए. जानकारी के अनुसार, गिद्धौर प्रखंड में 40 से अधिक गांव में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत योजनाएं हो रही है. यहां पैन सफाई, तालाब खुदाई, वृक्षारोपण और मिट्टी भराई के कार्य के सहित सौ से अधिक योजनाओं का संचालन हो रहा है. 

बता दें कि कार्यस्थल पर योजना का बोर्ड नहीं लगाए जाने से सरकारी राशि की लूट करने की आजादी है. ऐसे में आम लोगों को योजना और प्राक्कलन की जानकारी नहीं मिल पाती है. पंचायत से लेकर प्रखंड तक के विभागीय कर्मी और पदाधिकारी की मेल से सरकारी राशि की लूट का जरिया बना लिया है. ऐसे में ग्रामीण मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए केंद्र प्रायोजित मनरेगा योजना मजदूरों को घर पर ही मनरेगा उपलब्ध कराने और चेहरे पर खुशहाली लाने के बजाय लूट, खसोट का जरिया बनकर रह गया. 

घर जो भी हो इन दोनों गिद्धौर प्रखंड भर में मनरेगा योजना में लूट मची हुई है और जिले के आला अधिकारी इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. जिससे की मजदूर की रोजी-रोटी पर खतरा मंडरा रहा है. देखने वाली बात ये होगी कि सरकार मनरेगा को कब तक विभागीय कर्मी के द्वारा लुटवाया जाएगा. यह योजना मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, मनरेगा पीओ, प्राक्कलन पदाधिकारी सहित अन्य के लिए दुधारू गाय बनकर रह गया है.
इनपुट- अभिषेक निराला 

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