झारखंड: महिला कैदियों के बच्चों का भविष्य संवारेगी सरकार, जेल से बाहर स्कूल में मिलेगी शिक्षा
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झारखंड: महिला कैदियों के बच्चों का भविष्य संवारेगी सरकार, जेल से बाहर स्कूल में मिलेगी शिक्षा

सीडब्ल्यूसी की टीम ने बच्चों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से रिसीव कर लिया है. अब इन बच्चों की देखभाल और पढ़ाई बाल कल्याण समिति के द्वारा कराई जाएगी.

CWC ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से बच्चों को लिया अपने संरक्षण में.

Ranchi: बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा (Birsa Munda Central Kara) में सजायाफ्ता 4 महिला कैदियों के बच्चों को अपने भविष्य सुधारने के लिए जेल से बाहर निकाला गया है. इन बच्चों को अब अच्छी शिक्षा दी जाएगी. जेल प्रशासन के आग्रह पर बाल कल्याण समिति (CWC) ने इस पर सहमति प्रदान की है.

महिला कैदियों ने जेल प्रशासन से बच्चों के भविष्य को लेकर की थी गुजारिश 
बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार, रांची (Ranchi) में सजा काट रही महिला कैदियों ने जेल प्रशासन (Jail Administration) से आग्रह किया था कि उनके बच्चों को जेल से बाहर अच्छी शिक्षा (Education) मिले. जेल के अंदर उनका भविष्य खराब हो सकता है. चारों महिलाओं के आवेदन पर सहमति देते हुए जेल प्रशासन ने इन महिलाओं के 4 बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बाल कल्याण समिति, रांची इकाई से आग्रह किया. बाल कल्याण समिति ने जेल प्रशासन के आग्रह को स्वीकार कर लिया है.

बाल कल्याण समिति ने बच्चों को लिया संरक्षण में
बाल कल्याण समिति के आदेश के बाद CWC की टीम ने चार बच्चों को जेल से बाहर निकाला है. सीडब्ल्यूसी की टीम ने चारों बच्चों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से रिसीव कर लिया है. अब इन बच्चों की देखभाल और पढ़ाई बाल कल्याण समिति के द्वारा कराई जाएगी. फिलहाल चारों बच्चे CWC के संरक्षण में रहेंगे. इन बच्चों का आवासीय स्कूल में दाखिला कराया जाएगा.

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3 बच्चियां और 1 बच्चा निकले जेल से बाहर 
दरअसल सिमडेगा जिले की आजीवन कारावास की सजा काट रही अनिता बा ने जेल प्रशासन से गुहार लगाई कि उसकी बेटी उसके साथ जेल में है, जिसकी उम्र पांच वर्ष है. इसलिए उसकी बेटी को शिक्षा दिलाने की पहल शुरू की जाए. वहीं, लातेहार की सुनीता देवी वर्ष 2019 से सजा काट रही है और उसकी चार वर्ष की बेटी है. जेल के बाहर ऐसा कोई नहीं है, जो उसकी बेटी की देखरेख कर सके. सिमडेगा की सुरजीत बा भी वर्ष 2018 से जेल में बंद है. उसने आग्रह किया कि वह गरीब परिवार से है और कोई मदद नहीं मिल रही है. इसलिए उसके पांच साल के बेटे का स्कूल में नामांकन कराया जाए. इसके अलावा, खूंटी की असरिता मुंडाईन ने विनती की थी कि उसकी छह वर्षीय बेटी का उचित लालन- पालन के साथ उसे शिक्षा से जोड़ा जाए.

जिले के सभी असहाय बच्चों के संरक्षण के लिए सीडब्ल्यूसी तैयार
बाल कल्याण समिति की मेंबर तनुश्री सरकार (Tanushri Sarkar) ने कहा कि रांची (Ranchi) जिले में जितने भी ऐसे असहाय परिजन हैं, जिनके बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में कोई परेशानी आ रही है तो उन्हें हक दिलाने के लिए बाल कल्याण समिति तत्पर है. उन्होंने ऐसे परिजनों से भी सीडब्ल्यूसी से संपर्क करने की अपील की है.

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