Koderma News: झारखंड के कोडरमा के युवा लड़के अभिज्ञान सिन्हा ने जेईई मेन 2024 परीक्षा में सफलता हासिल की है. अभिज्ञान सिन्हा ने जेईई मेन परीक्षा के पहले प्रयास में 1,118वीं रैंक हासिल हुई है. अभिज्ञान झुमरी तिलैया के भागोडीह रोड न्यू कॉलोनी का रहने वाला है.
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कोडरमाः Koderma News: झारखंड के कोडरमा के युवा लड़के अभिज्ञान सिन्हा ने जेईई मेन 2024 परीक्षा में सफलता हासिल की है. अभिज्ञान सिन्हा ने जेईई मेन परीक्षा के पहले प्रयास में 1,118वीं रैंक हासिल हुई है. अभिज्ञान झुमरी तिलैया के भागोडीह रोड न्यू कॉलोनी का रहने वाला है.
अभिज्ञान सिन्हा के पिता सुनील कुमार सिन्हा और माता स्मिता सिन्हा दोनों शिक्षक हैं. अभिज्ञान ने कक्षा 10वीं में 99 प्रतिशत अंकों से कोडरमा जिले में टॉप किया था. उन्होंने 10वीं में गणित विषय में पूरे 100 अंक प्राप्त किए थे. उसके बाद इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाने की सोची थी. अभिज्ञान कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग और इसरो में एक वैज्ञानिक के रूप में सेवा देने की इच्छा रखते हैं. इसको ध्यान में रखते हुए देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए दिन रात 12 से 14 घंटे पढ़ाई की.
अभिज्ञान को कड़ी मेहनत का फल तब मिला जब उन्होंने जेईई मेन के नतीजों में 99.93 परसेंटाइल हासिल किया है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, दादा-दादी, शिक्षकों और दोस्तों के समर्थन को देते हैं. उनका सपना अब आईआईटी मुंबई में दाखिला लेना है.
अभिज्ञान की मां स्मृति सिन्हा ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे के सपनों का समर्थन करने के लिए कोडरमा के एक निजी स्कूल में अपनी शिक्षण नौकरी से छुट्टी ले ली थी. जिसके बाद वे उसके साथ बोकारो चली गई, जहां उसने जेईई एडवांस की तैयारी के लिए एक निजी संस्थान में दाखिला लिया. मां और बेटा दोनों वर्तमान में बोकारो में रहते हैं. जिसके वजह से अभिज्ञान को अपनी पढ़ाई में कोई बाधा न आए.
स्मिता ने अपने बेटे की उपलब्धि पर बेहद खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि कोडरमा से बोकारो स्थानांतरित होने का उनका निर्णय सही साबित हुआ है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परिवार अभिज्ञान के भविष्य के प्रयासों में उसके साथ खड़ा रहेगा. अभिज्ञान के पिता सुनील कुमार सिन्हा ने बताया कि उन्हें शुरू में उम्मीद थी कि उनका बेटा मेडिकल की पढ़ाई करेगा. छोटी उम्र से ही अभिज्ञान की प्रतिभा को पहचानते हुए, उन्होंने 10वीं कक्षा में शानदार प्रदर्शन के बाद इंजीनियरिंग करने के अपने बेटे के फैसले का समर्थन किया. कक्षा 12वीं तक बाहरी कोचिंग न लेने के बावजूद, अभिज्ञान के दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत ने उन्हें जेईई मेन्स परीक्षा में सफलता दिलाई.
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