Bihar Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार की सियासी तस्वीर धीरे-धीरे पूरी तरह से साफ होती जा रही है. एनडीए की ओर से पहले ही प्रदेश की सभी 40 सीटों पर कैंडिडेट उतार दिए गए हैं. अब धीरे-धीरे महागठबंधन की ओर से भी उम्मीदवार फाइनल किए जा रहे हैं. लंबे इंतजार के बाद राजद ने भी बीते मंगलवार (9 अप्रैल) को अपने हिस्से की 22 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. वाम दल भी अपने प्रत्याशी घोषित कर चुके हैं. कांग्रेस की ओर से अभी तक सिर्फ 3 सीटों पर कैंडिडेट दिए गए हैं और 6 अभी बाकी हैं. इसी तरह से वीआईपी ने एक झंझारपुर को क्लियर कर दिया है. गोपालगंज और पूर्वी चंपारण को लेकर सस्पेंस अभी बरकरार है. राजद अध्यक्ष लालू यादव भी सिवान सीट पर अभी तक मंथन कर रहे है. इन सबके बीच सियासी जानकारों का कहना है कि प्रदेश में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशियों के बीच होगा. हालांकि, लेकिन कुछ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार भी नजर आ रहे हैं. इन सीटों में पूर्णिया लोकसभा सीट सबसे आगे है.
- पूर्णिया को लेकर महागठबंधन में सहमति नहीं बन पाई और कांग्रेस नेता पप्पू यादव बागी हो गए. दरअसल, यहां से कांग्रेस के नए-नवेले नेता पप्पू यादव चुनाव लड़ना चाहते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने सशर्त अपनी पार्टी को कांग्रेस में मर्ज किया था. पेंच तब फंस गया जब राजद अध्यक्ष लालू यादव ने इस सीट को अपने पास रख लिया और यहां से बीमा भारती को उतार दिया. पप्पू यादव आखिरी वक्त तक लालू यादव से सीट छोड़ने की गुहार लगाते रहे. जब बात नहीं बनी तो उन्होंने निर्दलीय मैदान में उतरकर महागठबंधन का गेम बिगाड़ दिया. पप्पू की उम्मीदवारी से अब राजद प्रत्याशी बीमा भारती फंस गई हैं. सियासी जानकारों का कहना है कि त्रिकोणीय मुकाबले में एनडीए उम्मीदवार जेडीयू के संतोष कुमार भारी पड़ सकते हैं.
- इसी तरह से लालू यादव ने वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट को भी अपने पास रख लिया. जिससे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हाजी अहमद हुसैन अंसारी बागी हो गए और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. लालू ने वाल्मीकिनगर से दीपक यादव को टिकट दिया है. एनडीए की ओर से जेडीयू के सिटिंग सांसद सुनील कुमार मैदान में हैं. पिछले चुनाव में वाल्मीकिनगर से जीते बैद्यनाथ प्रसाद महतो (अब मृत) ने कांग्रेस के शाश्वत केदार को 3,54,616 वोट से हराया था. बैद्यनाथ प्रसाद महतो के निधन के बाद 2020 में हुए उपचुनाव में जेडीयू के सुनील कुमार ने कांग्रेस के प्रवेश कुमार मिश्रा को 22,000 से अधिक मतों से हराया था.
- काराकाट सीट से एनडीए की ओर से इस सीट रोलोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेद्र कुशवाहा खुद चुनाव लड़ने जा रहे हैं. तो वहीं महागठबंधन से सीपीआई (ML) के राजा राम सिंह प्रत्याशी हैं. अब यहां से भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने बीजेपी से बगावत करके चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इससे इस सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला होना तय माना जा रहा है. पिछले चुनाव की बात करें तो काराकाट सीट से जेडीयू के महाबली सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा को 84,542 मतों से हराया था.
- किशनगंज सीट महागठबंधन में कांग्रेस के हिस्से में आई है. पार्टी ने यहां से अपने सिटिंग सांसद मोहम्मद जावेद पर फिर से भरोसा जताया है. वहीं एनडीए की खेमे से जेडीयू ने भी मुस्लिम नेता को मैदान में उतारा है. जेडीयू ने इस बार मुजाहिद आलम को टिकट दिया है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने किशनगंज सीट से अख्तरुल ईमान को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस की परेशानी में डाल दिया है. पिछले चुनाव की बात करें तो किशनगंज ही एकमात्र सीट थी जिसे महागठबंधन ने जीता था. कांग्रेस के डा. मोहम्मद जावेद ने यहां से जीत हासिल करके कांग्रेस पार्टी की इज्जत बचाने का काम किया था. मोहम्मद जावेद ने अपने प्रतिद्वंदी जेडीयू के सैयद मोहम्मद अशरफ को केवल 34,466 वोटों से हराया था.
- राजद की ओर से नवादा सीट श्रवण कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. इससे पार्टी में बगावत देखने को मिल रही है. यहां पूर्व मंत्री राजबल्लभ प्रसाद यादव के भाई विनोद यादव ने राजद से बगावत करके निर्दलीय ताल ठोक दी है. राजद के 2 विधायक (विभा देवी और प्रकाश वीर) विनोद यादव के लिए प्रचार कर रहे हैं. दोनों विधायक निर्दलीय विनोद यादव को ही वोट करने की अपील कर रहे हैं. वहीं क्षेत्र के तीसरे विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र से ही गायब हैं. एनडीए की ओर से इस सीट से बीजेपी के राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर मैदान में हैं.
- मधेपुरा लोकसभा सीट से जेडीयू के सिटिंग सांसद दिनेश चंद्र यादव को फिर से मैदान में हैं. वहीं RJD की ओर से प्रो. कुमार चंद्रदीप को टिकट दिया गया है, जबकि इस सीट से शांतनु यादव चुनाव लड़ना चाहते हैं. टिकट नहीं मिलने पर शांतनु यादव का दर्द छलका पड़ा. शांतनु यादव ने जिस तरह से प्रतिक्रिया दी, उससे सियासी अटकलें तेज हो गई हैं. सियासी जानकारों का कहना है कि हो सकता है कि शांतनु भी पप्पू यादव का रास्ता चुन सकते हैं. मधेपुरा सीट को शरद यादव की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है. मध्य प्रदेश के मूल निवासी होने के बाद भी शरद यादव ने यहां लालू यादव को शिकस्त दे दी थी. अगर शांतनु ने राजद से बगावत कर दी तो मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा.
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