Bettiah News: बेतिया में बाढ़ का कहर टूट पड़ा है. जिले के लगभग आधा दर्जन प्रखंडों में करीब एक महीने से लोगों को बाढ़ की इस त्रासदी को झेलना पड़ रहा है.
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Bettiah: बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में हर साल बाढ़ (Bihar Flood) अपना रौद्र रूप दिखाता रहता है. हर साल बाढ़ के तांडव में यहां के लोगों का जीवन दुश्वार हो जाता है. लेकिन इस बार हालात बद से बदतर हो गए हैं. बाढ़ का कहर यहां ऐसा टूटा है कि जिले के लगभग आधा दर्जन प्रखंडों में करीब एक महीने से लोगों को इस त्रासदी को झेलना पड़ रहा है.
जिले के सबसे बड़े प्रखंड मझौलिया की हालत तो और भी दयनीय है. यहां पिछले तीन महीने से बाढ़ के पानी का स्तर कम ही नहीं हो रहा है लेकिन यहां के स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं कि यहां बाढ़ की वजह से त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है.
'योगापट्टी और नौतन बैरिया में उफान पर गंडक'
वहीं, योगापट्टी और नौतन बैरिया में गंडक (Gandak) नदी उफान पर है. डुमरी महनवा गांव में तो बाढ़ के पानी का जमाव इतना है कि समुद्र सा नजारा देखने को मिल रहा है. चारों तरफ इस इलाके में सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है. यहां पानी और पानी के बीच केवल सड़क ही नजर आ रही है.
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बाढ़ की वजह से इस क्षेत्र की दो प्रमुख फसलें धान और गन्ना पूरी तरह बर्बाद (Crops paddy and sugarcane completely ruined)हो चुकी है. ऐसे हालत में यहां के स्थानीय लोग पिछले चार माह से इस इलाके में रहने को मजबूर हैं.
'सिकरहना नदी का पानी चारों तरफ भर गया है'
वहीं, डुमरी पंचायत के हरिजन टोली का हाल भी बेहाल है. जहां से बिन टोली के लोगों को जाना किसी खतरे से कम नहीं है. क्योंकि सिकरहना नदी का पानी चारों तरफ भर गया है और बिनटोली इससे घिरा हुआ है. बिनटोली जाने वाले रास्ते में इससे अलावा कोहड़ा नदी भी आकर मिलती है जिसकी वजह से यहां की स्थिति ज्यादा भयावह है. यहां दोनों नदियों के मिलान की वजह से पानी के धार की रफ्तार दोगुनी हो जाती है.
बिनटोली के स्थानीय निवासी जगत यादव और विनोद गिरी ने बताया कि यहां हालात काफी खराब है. इस बार पिछले चार महीने से लोग पानी के इस कहर को झेल रहे हैं और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से भी अभी तक कोई मदद नहीं मिली है.
'बाढ़ वाले क्षेत्र में जनप्रतिनिधि देखने तक नहीं आए हैं'
वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है. और इसके बीच बिनोटोली गांव टापू बना हुआ है. लेकिन ऐसे भयावह हालात में भी कोई जनप्रतिनिधि देखने तक नहीं आया है और ना कोई सरकार (Government)की तरफ से मदद भेजी जा रही है.
यहां आने जाने का एक मात्र साधन निजी नौका है जिसके सहारे लोग कुछ दिन का सामान एक बार खरीद कर लाते हैं. इसके साथ ही गांव के सरकारी विद्याल(government school) और APHC भी चार माह से बंद पड़े हैं क्योंकि गांव आने का कोई रास्ता ही नहीं है.
(इनपुट- इमरान)
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