Bihar News: बिहार में पिछले कई सालों से लगातार नए जिले बनाने की मांग हो रही है. लोगों ने इसके लिए समय-समय पर आंदोलन भी किया लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलते आया है.
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पटना: बिहार में काफी समय में कुछ नए जिले बनाने की मांग उठ रही है. इसके लिए समय-समय पर लोगों ने आंदोलन भी किया है लेकिन ज्यादातर मौकों पर लोगों को केवल आश्वासन मिलता है. अब ऐसे में ये देखना दिलचस्प हो जाता है बिहार नए जिले बनाने की मांग कब पूरी होती है. दरअसल 2000 में झारखंड जब बिहार से अलग हुआ तब बिहार में 55 जिले थे. जिसमें 18 जिलों के साथ झारखंड नया राज्य बनाया गया. जिसके बाद बिहार में कुल 37 जिले बचे. अगले साल बिहार में अरवल को नया और आखिरी जिला बनाया गया. फिलहाल बिहार में 38 जिले हैं.
बता दें कि राबड़ी देवी के कार्यकाल में अरवल नया जिला बनाया गया था. अरवल ही लालू यादव की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य का ससुराल भी है. वहीं मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार के करीब 20 साल होने को है, लेकिन इन 20 सालों में नीतीश कुमार ने एक भी नया जिला नहीं बनाया. लालू यादव ने साल 1994 में ही पाकुड़, कोडरमा और शिवहर को जिला बनाया था. बता दें कि जिला बनाने का मतलब जनता को उसके घर तक सहूलियत पहुंचाने जैसा होता है. 1995 के चुनाव में लालू यादव को इसका फायदा भी मिला. उस वक्त काफी संख्या में प्रखंड और अनुमंडल भी बनाए गए थे.
बता दें कि लालू राबड़ी के जमाने से ही बिहार में कुछ और जिलों की मांग हो रही है. कई बार नीतीश कुमार ने वादे भी किए लेकिन उसे पूरा नहीं किया. उन्हीं में से एक मांग पटना से अलग बाढ़ को जिला बनाने की भी है. मधुबनी से अलग कर झंझारपुर को और पश्चिमी चंपारण से अलग बगहा को जिला बनाने की मांग लगातार उठती रही है. पुलिस सुरक्षा के लिहाज से बिहार में बगहा और नवगछिया भी जिला है, इसका मतलब है कि बिहार पुलिस जिला 40 है, लेकिन प्रशासनिक जिला 38 ही है. बहुत दिनों से जिले की मांग तेज हुई नहीं है. लेकिन विधानसभा चुनाव में इसको मुद्दा बनाया जा सकता है. ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में विपक्ष नए जिलों की मांग को मुद्दा बना सकता है.
दूसरी तरफ पूर्वी और पश्चिमी चंपारण का नए सिरे से सीमांकन कर कम से कम दो नया जिला बनाए जाने की जरूरत है. एक बगहा दूसरा रक्सौल. मधुबनी, भागलपुर और रोहतास में भी एक एक नए जिले की जरूरत है. इसी तरह कुछ और नए जिले पर विचार हो सकता है. शाहाबाद और चंपारण को प्रमंडल बनाने की बात भी होती रही है. लेकिन हाल के साल में किसी चुनाव में ये मुद्दा नहीं बना है.