Mohan Bhagwat: मोहन भागवत के खिलाफ मुजफ्फरपुर में परिवाद दायर, ब्राह्मणों पर की गई टिप्पणी से नाराजगी
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Mohan Bhagwat: मोहन भागवत के खिलाफ मुजफ्फरपुर में परिवाद दायर, ब्राह्मणों पर की गई टिप्पणी से नाराजगी

RSS Chief Mohan Bhagwat: सीजेएम कोर्ट में आईपीसी की धारा 500,501,504,505,506 और 153 और 153(ए) के तहत परिवाद दर्ज कराया गया है. इसमें परिवादी सह अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने जाति को लेकर दिए गए उनके बयान को लेकर असहमति और नाराजगी जताई है.

Mohan Bhagwat: मोहन भागवत के खिलाफ मुजफ्फरपुर में परिवाद दायर, ब्राह्मणों पर की गई टिप्पणी से नाराजगी

पटनाः RSS Chief Mohan Bhagwat: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की कोर्ट में RSS प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ परिवाद दायर कराया गया है. सीजेएम कोर्ट में दर्ज ये परिवाद उनके मुंबई में की गई एक जातीय टिप्पणी के खिलाफ दर्ज कराया गया है. RSS प्रमुख ने यह बयान संत रविदास की जयंती के मौके पर मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जाति भगवान ने नहीं बनाई है. ये ब्राह्मणों की देन है. इसे लेकर राजनीतिक गलियारों से भी कई तरह की प्रतिक्रिया आ रही है.

इन धाराओं में दर्ज हुआ परिवाद
सीजेएम कोर्ट में आईपीसी की धारा 500,501,504,505,506 और 153 और 153(ए) के तहत परिवाद दर्ज कराया गया है. इसमें परिवादी सह अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने जाति को लेकर दिए गए उनके बयान को लेकर असहमति और नाराजगी जताई है. इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख कोर्ट द्वारा 20 फरवरी को निर्धारित की गई है. अधिवक्ता ने कोर्ट से इस मामले में करवाई करने की मांग की है और बताया कि जिस प्रकार से मोहन भागवत के द्वारा ही समुदाय विशेष में द्वेष भावना और तोड़ने की बात कही गई थी वह समाज के लिए घातक है. 

RSS ने दिया ये स्पष्टीकरण
असल में पांच फरवरी को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि जाति भगवान ने नहीं बनाई है, जाति पंडितों ने बनाई जो गलत है. भगवान के लिए हम सभी एक हैं. हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया.उनके इस बयान पर RSS ने स्पष्टीकरण दिया कि मोहन भागवत जब पंडितों के बारे में बात करते हैं तो उनका मतलब कुछ विद्वानों से होता है. उन्होंने कहा कि असल में भागवत का बयान था कि ईश्वर हर व्यक्ति में मौजूद है. इसलिए नाम और रूप के बावजूद किसी की क्षमता और सम्मान में कोई अंतर नहीं है. ईश्वर की दृष्टि में न कोई ऊंचा है न कोई नीचा. लेकिन कुछ पंडित जाति-आधारित विभाजन पैदा करने के लिए शास्त्रों का इस्तेमाल करते हैं, जो झूठ है.

 

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