ऐसे अशुभ योगों के कारण रिश्तों में आती है दरार, रिलेशनशिप में होने लगते हैं झगड़े!
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ऐसे अशुभ योगों के कारण रिश्तों में आती है दरार, रिलेशनशिप में होने लगते हैं झगड़े!

आपकी कुंडली शिक्षा, सोच, व्यापार, व्यवसाय, नौकरी, शादी, रिश्ते, बच्चे और परिवार जैसी कई बातों के बारे में आपके वर्तमान और भविष्य की गणना करने में सक्षम हैं.

(फाइल फोटो)

Relationship According To Astrology: आपकी कुंडली शिक्षा, सोच, व्यापार, व्यवसाय, नौकरी, शादी, रिश्ते, बच्चे और परिवार जैसी कई बातों के बारे में आपके वर्तमान और भविष्य की गणना करने में सक्षम हैं. ऐसे में आप किसी अच्छे कुंडली विश्लेषक या ज्योतिष के जानकार से अपनी कुंडली की गणना कर इन बातों के बारे में पता कर सकते हैं. ऐसे में आपको बता दें कि पति-पत्नी के बीच रिश्ते, बच्चों के साथ रिश्ते, भाई-बहन के सथ रिश्ते, माता-पिता के साथ रिश्ते इन सारी बातों की जानकारी भी आपको अपनी कुंडली के माध्यम से मिल सकती है. 

वहीं प्रेम संबंध और लिव इन रिलेशनशिप जैसे आज के मॉर्डन शब्दों की सही व्याख्या भी कुंडली विश्लेषण के माध्यम से की जा सकती है. ऐसे में रिश्तों का नहीं चलना, प्रेम में धोखा, या रिलेशनशिप में आ रही दरार ये सब आपके ग्रहों के अशुभ प्रभावों के कारण ही होता है. 

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ज्योतिष शास्त्र की गणना से साफ पता चल जाता है कि रिश्तों में मर्यादा कितनी होगी, कहां तक इसमें हिंसात्मकता आ जाएगी. कब रिश्ते टूटने की कगार पर आ जाएंगे या टूट जाएंगे. ऐसे में इसके बचाव के लिए उपाय क्या हो सकता है. 

ऐसे में ज्योतिष की मानें तो कुंडली के अशुभ योग ही इस तरह की स्थिति जातक के जीवन में पैदा करते हैं. इन अशुभ योगों के कारण दो लोगों के बीच आपसी मनमुटाव, रिश्तों में दूरी, रिश्तों का टूटना, लड़ाई-झगड़े और मारपीट जैसी स्थिति बन जाती है. 

अगर किसी की कुंडली में मंगल, चंद्रमा, गुरु और शुक्र शुभ स्थिति में हों तो जातक के रिश्ते सभी के साथ मधुर ही होते हैं. ऐसे में इन ग्रहों से ही आपके प्रेम संबंधों के बारे में ज्यादा जानकारी मिलती है. यही ग्रह आपकी कुंडली में कमजोर हों या किसी पाप ग्रह के प्रभाव में हों तो रिश्तों में परेशानियां बढ़ा देते हैं. 

अगर आपका मंगल नीच का या अशुभ हो तो यौन संबंधों में ऐसे जातकों को शारीरीक हिंसा तक का सामना करना पड़ जाता है क्योंकि मंगल का प्रभाव यौन संबंधों पर असर करता है. वहीं मंगल और राहु की युति अप्राकृतिक यौन संबंधों तक की ओर ले जाती है. ऐसे में ज्योतिष में पंचम भाव  और सप्तम भाव का विचार रिश्तों को लेकर किया जाता है. इनमें से लग्न की भी गणना जरूरी होती है. 

किसी जातक की कुंडली में राहु, चंद्रमा, सूर्य एवं मंगल एक साथ मिल रहे हों या कहें कि इनकी युति से योग बन रहा हो और वहीं शुक्र नीच का हो तथा पंचम भाव, सप्तम भाव एवं लग्न की स्थिति पाप ग्रहों के प्रभाव से प्रभावित हो तो ऐसी स्थिति में रिश्ते की शुरुआत तो दमदार होती है लेकिन समय के साथ इसमें खटास बढ़ने लगता है. 

ऐसे में आपको बता दें कि आपका लग्न का घर आपके व्यक्तित्व के बारे में बताता है जबकि पंचम भाव आपके प्रम संबंध और बुद्धि को तो वहीं सप्तम भाव आपके विवाह के बारे में बताता है. 

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