23 जून को विपक्षी दलों की महाबैठक, बैठक देश में देगी 'विपक्षी एकता' का संदेश: भाकपा माले
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23 जून को विपक्षी दलों की महाबैठक, बैठक देश में देगी 'विपक्षी एकता' का संदेश: भाकपा माले

भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बृहस्पतिवार को कहा कि पटना में 23 जून को गैर-भाजपा नेताओं की बैठक पूरे देश में 'विपक्षी एकता' का संदेश देगी. 

23 जून को विपक्षी दलों की महाबैठक, बैठक देश में देगी 'विपक्षी एकता' का संदेश: भाकपा माले

पटना: भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बृहस्पतिवार को कहा कि पटना में 23 जून को गैर-भाजपा नेताओं की बैठक पूरे देश में 'विपक्षी एकता' का संदेश देगी. भाजपा पर लोगों को धार्मिक आधार पर विभाजित करके 'देश को तोड़ने' की साजिश करने का आरोप लगाते हुए दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में महागठबंधन सरकार ऐसी भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता का एक 'मॉडल' है. 

पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि ‘देश में विपक्षी एकता को मजबूत करने की जरूरत है. पटना में 23 जून को सभी गैर-भाजपा दलों के नेताओं की बैठक पूरे देश में 'विपक्षी एकता' का संदेश देगी.' उन्होंने आगे कहा, ‘बिहार ने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राज्य ने कई जनांदोलनों को जन्म दिया और 23 जून को पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक भी एक संदेश देगी कि लोग संविधान पर हमला करने वाली ताकतों और नफरत की राजनीति फैलाने वालों के खिलाफ हथियार उठा रहे हैं.’ 

भट्टाचार्य ने कहा कि, ‘अगला लोकसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं. इस बात की पूरी संभावना है कि चुनाव इसी साल हों, इसलिए विपक्षी दलों को 23 जून के बाद तैयारी शुरू कर देनी चाहिए’ भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह द्वारा पहलवानों के यौन शोषण से जुड़े मामलों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए भाकपा माले के महासचिव ने कहा, ‘सिंह के खिलाफ सबूत पर्याप्त होने के बाद भी उन्हें अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और भाजपा इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं?’ 

भट्टाचार्य ने आगे कहा कि, ‘भाजपा के कुशासन ने देश को गहरे संकट में डाल दिया है. अब समय आ गया है कि फासीवादी ताकतों से मुकाबला किया जाए जो साम्प्रदायिक उन्माद भड़का कर देश की सामाजिक समरसता और अखंडता को भंग करने का प्रयास कर रही हैं. भाजपा नेता बढ़ती बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं, मूल्य वृद्धि और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात नहीं करेंगे. लोगों को भाजपा की ‘साजिशों’ से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि यह राजनीतिक विमर्श को हिंदू बनाम मुस्लिम की ओर ले जाने की कोशिश कर रही है.’ 

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अगुआई वाले हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के महागठबंधन से नाता तोड़ने के फैसले पर भट्टाचार्य ने कहा, ‘हम इसका विश्लेषण कर रहे हैं, लेकिन इस कदम के पीछे भाजपा के समर्थन की संभावना है.’ 

गौरतलब है कि 23 जून की बैठक से पहले बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन को एक बड़ा झटका लगा, मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन ने मंगलवार को नीतीश कुमार कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. सुमन अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री थे. सुमन ने नीतीश के नेतृत्व वाले जद (यू) पर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) का अपनी पार्टी में विलय करने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसे में उनके पास मंत्री पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था. इस बीच, महागठबंधन के सभी गठबंधन सहयोगियों ने बृहस्पतिवार को राज्य के सभी जिलों में नौ साल के कुशासन और राजग नीत केन्द्र सरकार की विफलताओं के खिलाफ विरोध मार्च निकाला. बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिला पहलवानों के समर्थन में भी संयुक्त विरोध प्रदर्शन किया गया. जद (यू), राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा और भाकपा (माले) लिबरेशन सहित सभी महागठबंधन सहयोगियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राज्य भर के सभी प्रखंड कार्यालयों के बाहर आयोजित संयुक्त विरोध में भाग लिया. 

इनपुट- भाषा 

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