CPI ML के कन्वेंशन में गए पर भारत जोड़ो यात्रा में नहीं गए, विपक्षी एकता को लेकर कितने गंभीर हैं नीतीश कुमार?
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CPI ML के कन्वेंशन में गए पर भारत जोड़ो यात्रा में नहीं गए, विपक्षी एकता को लेकर कितने गंभीर हैं नीतीश कुमार?

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माक् र्सवादी लेनिनवादी के कन्वेंशन (CPI ML Convention) में गए नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने शनिवार को विपक्षी एकता का राग अलावा और इसके लिए कांग्रेस (Congress) से अपील की कि वो इस पर गंभीरता से आगे आए.

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माक् र्सवादी लेनिनवादी के कन्वेंशन (CPI ML Convention) में गए नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने शनिवार को विपक्षी एकता का राग अलावा और इसके लिए कांग्रेस (Congress) से अपील की कि वो इस पर गंभीरता से आगे आए. कन्वेंशन में मौजूद सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) से भी नीतीश कुमार ने अपील की कि वे उनकी बात आलाकमान तक पहुंचाएं. नीतीश कुमार ने यह भी कहा, 'हमें जो करना था, हमने किया. अब कांग्रेस के आगे आने का वक्त है. वह विपक्षी एकता को लेकर आगे आए. हम भी आपका साथ देंगे और इससे बीजेपी 100 से कम सीटों पर सिमट जाएगी.' नीतीश कुमार की यह बात शनिवार को सुर्खियों में रही. करीब 6 महीने पहले तक वे बीजेपी (BJP) के साथ थे और अब उसी को 100 से नीचे सिमटने के दावे कर रहे हैं. खास बात तो यह है नीतीश कुमार कांग्रेस को विपक्षी एकता का ज्ञान तो दे रहे हैं पर जब इसकी नुमाइश के लिए भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के समापन के मौके पर बुलाया गया तब वे उपस्थित नहीं हुए. नीतीश कुमार के अलावा, तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav), अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), ममता बनर्जी (Mamata Banerjee), शरद पवार (Sharad Pawar) आदि भी भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर मौजूद नहीं हुए.

  1. 6  महीने पहले तक जिसके साथ थे, उसे 100 से नीचे निपटाने के कर रहे दावे 
  2. भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर बुलाया गया था पर नीतीश कुमार नहीं गए थे 

नीतीश सहित कई नेताओं ने बनाई थी दूरी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सितंबर में भारत जोड़ो यात्रा का आगाज किया था. यात्रा पिछले साल सितंबर में कन्याकुमारी से शुरू होकर इस साल 30 मार्च को कश्मीर में खत्म हुई. कांग्रेस की योजना थी कि भारत जोड़ो यात्रा के समापन को बड़े जलसे के रूप में तब्दील किया जाए और इसके लिए गैर भाजपा दलों के नेताओं को न्यौत भेजा गया. लेकिन उस समय गैर भाजपाई दलों ने दूरी बना ली और फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफती के अलावा कोई भी बड़े नेता ने शिरकत नहीं की.

कांग्रेस की रणनीति को लगा दिया पलीता 

दरअसल, कांग्रेस की रणनीति यह थी कि भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में अधिकांश गैर भाजपाई दल साथ आएं और देश को बड़ा सियासी संदेश दिया जाए. अगर ऐसा होता तो संसद सत्र को लेकर बीजेपी पर भी दबाव बढ़ता या उसे अपनी रणनीति बदलने को मजबूर होना पड़ता, लेकिन गैर भाजपाई दलों ने भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह से दूरी बनाकर कांग्रेस की इस रणनीति को ध्वस्त कर दिया. अब जबकि भारत जोड़ो यात्रा के बाद से कांग्रेस अचानक आक्रामक मुद्रा में आ गई है और राजनीतिक जानकार भी कांग्रेस को इसका फायदा मिलने की बात कर रहे हैं तो नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की बात छेड़ी है.

नीतीश को कैसे आया विपक्षी एकता का ख्याल? 

दरअसल, समझने वाली बात यह है कि अभी तक खुद पीएम मैटेरियल (जैसा कि जेडीयू के नेता दावा करते हैं) होने के बाद भी नीतीश कुमार को अचानक विपक्षी एकता का ख्याल कैसे आया और कैसे उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व से आगे आने की अपील की? क्या इसके साथ ही उनकी दावेदारी खत्म समझी जाए? क्या जेडीयू में जारी उठापटक से नीतीश कुमार को अपना भविष्य समझ में आ गया है? अब कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि आखिरकार नीतीश कुमार को समझ में आ गया कि कांग्रेस के नेतृत्व में ही बीजेपी को टक्कर दिया जा सकता है.

केसी वेणुगोपाल ने नीतीश पर कस दिया तंज 

वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार ने भारत जोड़ो यात्रा के प्रभाव को स्वीकार किया है और इस बात को स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि बीजेपी को केवल कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन ही टक्कर दे सकता है. वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि देश में कांग्रेस इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसने कभी बीजेपी से समझौता नहीं किया. वेणुगोपाल हालांकि यह कहते वक्त भूल गए कि बीजेपी से समझौता तो राजद, एनसीपी, सपा आदि दलों ने भी नहीं किया. हालांकि यह कहते हुए वेणुगोपाल ने नीतीश कुमार पर तंज कसा. उनका इशारा नीतीश कुमार का बीजेपी से बार बार गठबंधन तोड़ने और जोड़ने पर रहा होगा. जाहिर सी बात है कि नीतीश कुमार को यह बात नागवार गुजरेगी.

क्या तेजस्वी की राह का रोड़ा बनेंगे नीतीश?

भाकपा माले कन्वेंशन के मंच से नीतीश ने कांग्रेस नेतृत्व से जो अपील की, उससे कई सवाल उठते हैं. पहला, क्या नीतीश कुमार की ओर से पीएम पद की दावेदारी वापस ले ली गई? अगर हां तो फिर दिल्ली में नीतीश और पटना में तेजस्वी की बात करने वाली राजद का क्या रुख होगा? अगर पीएम प्रत्याशी नहीं बनते हैं तो राजद से हुई कथित डील का क्या होगा? अगर पीएम प्रत्याशी नहीं बनते हैं या फिर राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार मानते हैं तो तेजस्वी यादव सीएम कब बनेंगे? क्या तेजस्वी यादव को सीएम बनने के लिए 2025 के विधानसभा चुनावों का इंतजार करना होगा? ऐसे कई सवाल सामने हैं और कई सवाल पैदा होंगे. देखना होगा कि नीतीश कुमार इन सवालों के जवाब देते हैं या फिर समय खुद ब खुद इन सवालों का उत्तर तलाश लेगा.

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