डोमिसाइल नीति पर बवाल के बीच सरकार के बचाव में आए अधिकारी, रखा अपना पक्ष
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डोमिसाइल नीति पर बवाल के बीच सरकार के बचाव में आए अधिकारी, रखा अपना पक्ष

बिहार में शिक्षक बहाली को लेकर सरकार के द्वारा डोमिसाइल नीति में बदलाव करने और अन्य राज्यों के छात्रों के इस परीक्षा में हिस्सा लेने के रास्ते खोलने को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर संग्राम कर रहे हैं. सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं.

(फाइल फोटो)

पटना: बिहार में शिक्षक बहाली को लेकर सरकार के द्वारा डोमिसाइल नीति में बदलाव करने और अन्य राज्यों के छात्रों के इस परीक्षा में हिस्सा लेने के रास्ते खोलने को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर संग्राम कर रहे हैं. सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं. पूरे बिहार में इसको लेकर जगह-जगह प्रदर्शन हो रहा है. राजधानी पटना में तो प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस की तरफ से लाठी चार्ज भी दो दिन पहले की गई. हालांकि अब इस नीति में बदलाव को लेकर सरकार के बचाव में तर्क देने के लिए बिहार के मुख्य सचिव बिहार अमीर सुबहानी और अपर मुख्य सचिव के के पाठक आए. उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर इस मामले पर सरकार का पक्ष रखा. 

मुख्य सचिव बिहार सरकार अमीर सुबहानी और अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि बीपीएससी के द्वारा बनायी गयी प्रक्रिया के तहत ही शिक्ष बहाली के लिए नियमावली जारी की गई है. उन्होंने आगे कहा कि बीपीएससी के द्वारा ली जाने वाली परीक्षा में बिहार के स्थाई निवासी ही भाग लेंगे इसको इसलिए हटाया गया क्योंकि यह विधि सम्मत नहीं है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 के सब्क्लोज 2 में जन्मस्थान निवास को लेकर कोई विभेद नहीं किया जा सकता. ऐसे में किसी भी परीक्षा में बैठने और चयन में इसको लेकर किसी भी उम्मीदवार को अयोग्य नहीं बनाया जा सकता है. 

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इन दोनों ने आगे कहा कि चयन मेधा के आधार पर होगा लेकिन किसी की उम्मीदवारी इस आधार पर नहीं हटायी जा सकती कि वह बिहार का निवासी नहीं है. वह भारत में पैदा हुआ है तो उसे देश के किसी भी परीक्षा में बैठने का अधिकार है. बताया गया कि नियमावली जिसके आधार पर 1994, 1999 में चयन हुआ यह 1991 में बनाया गया था. 

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उन्होंने बताया कि जब नियुक्ति की गई थी तब 1 लाख 68 हज़ार बहाली में 3000 से कुछ अधिक राज्य के बाहर के अभ्यर्थी थे जो उतीर्ण हुए थे यानी बहुत कम लोग बाहर के इसमें आ पाए थे. इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यहां 50 फीसदी आरक्षण यहां के लोगों के लिए है. यह आरक्षण का नियम है. यह नियमावली में नहीं है. यानी 50 फीसदी तो यहां के अभ्यर्थी होंगे ही. 

मीडिया के सामने मुख्य सचिव बिहार सरकार अमीर सुबहानी ने कहा कि देश का कोई भी नागरिक यहां आवेदन दे सकता है. यही नियम दूसरे राज्यों में भी है. ऐसे में जिस नियम की मांग बिहार में अभ्यर्थी कर रहे हैं दूसरे राज्यों में यह नियम लग जाये तो बिहार के छात्र भी वहां बाहर हो जाएंगे और आवेदन नही दे पाएंगे. उन्होंने कहा कि यह जो नियम लागू है इस नियम से बिहार के छात्रों का कोई नुकसान नहीं होगा. 

(रिपोर्ट- रजनीश)

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