भारत में दंगों से उपजी हिंसा में लगातार कमी आ रही है. देश में पिछले 50 वर्षों के आंकड़ों को देखेंगे तो पाएंगे कि 1995 के बाद से दंगों की घटनाएं लगातार कम होती चली गई हैं. 1990 में जहां दंगों की संख्या 90,000 से अधिक थीं तो 9 साल बाद यानी 1999 में यह संख्या 80,000 पर आ गई.
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Riots In India: भारत में दंगों से उपजी हिंसा में लगातार कमी आ रही है. देश में पिछले 50 वर्षों के आंकड़ों को देखेंगे तो पाएंगे कि 1995 के बाद से दंगों की घटनाएं लगातार कम होती चली गई हैं. 1990 में जहां दंगों की संख्या 90,000 से अधिक थीं तो 9 साल बाद यानी 1999 में यह संख्या 80,000 पर आ गई. 2004 में इसकी संख्या और घटकर 60,000 हो गई थी. हालांकि 2004 से 2013 के बीच दंगों की संख्या में इजाफा हुआ और यह 70,000 तक पहुंच गया था. लेकिन उसके बाद इसमें फिर तेजी से गिरावट दर्ज की गई और 2021 में इसकी संख्या लगभग 40,000 दर्ज की गई. ये वे मामले हैं, जिनको पुलिस रिकाॅर्ड में दर्ज किया गया था. एनसीआरबी ने भी अपने डेटा में दंगों की संख्या में कमी को पुख्ता किया है.
आंकड़े बताते हैं कि 1998 के बाद से भारत में दंगे और तनाव बहुत तेजी से कम हुए और दंगों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई. देश में सबसे अधिक दंगे 1981 में हुए थे, जब पुलिस रिकाॅर्ड में उस समय 1,10,361 केस रजिस्टर्ड किए गए थे. तब से लेकर आजतक के हालात की तुलना की जाए तो यह साबित होता है कि आज हम कितने सुरक्षित हालात में जीवन जी रहे हैं.
Riots (violence) in India is on a steady decline. The country is most peaceful in 50 years. Here’s the updated analysis using NCRB data: https://t.co/RT5ppFdW20 pic.twitter.com/ko9FpA8g21
— Prof. Shamika Ravi (@ShamikaRavi) June 15, 2023
आपको यह भी बता दें कि एनडीए वन यानी जब अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र में सरकार बनी थी, तब भी दंगों के केसों की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई थी और उसके बाद एनडीए 2 की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी तब भी दंगों की संख्या में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिल रही है.
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1980 के बाद 1990 के दशक में भी दंगों की संख्या में तेजी से इजाफा देखा गया लेकिन 1994 के बाद से इसकी संख्या में कमी दर्ज की जाने लगी और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनने के बाद से तो इसमें भारी कमी दर्ज की गई. 2004 में केंद्र में सरकार बदली, उसके बाद दंगों की संख्या में 2013 तक लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई लेकिन 2014 में मोदी सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से लेकर अब तक इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.
आईपीसी के अनुसार क्या है दंगों की परिभाषा
आईपीसी यानी भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 159 में बताया गया है कि दंगा क्या है और इसकी परिभाषा क्या है. धारा 159 के अनुसार, 2 या उससे अधिक लोग सार्वजनिक स्थान पर लड़कर शांति में विघ्न पैदा करते हैं तो उसे दंगा कहते हैं. आसान भाषा में कहें तो दो या इससे अधिक लोगों का समूह मिलकर सामाजिक हिंसा करते हैं या उसे बढ़ावा देने की कोशिश करते हैं, आपस में लड़ते-झगड़ते हैं तो उसे दंगा कहते हैं.