Sonpur Mela 2022: सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने सोनपुर मेला को बनाया और भी खूबसूरत, बनाई गज और ग्राह की युद्धरत प्रतिमा
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Sonpur Mela 2022: सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने सोनपुर मेला को बनाया और भी खूबसूरत, बनाई गज और ग्राह की युद्धरत प्रतिमा

Sonpur Mela 2022: बिहार की राजधानी पटना से हाजीपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा से लगने वाले विश्वविख्यात सोनपुर मेला को लेकर तैयारियां अपने अंतिम चरण में है. कोरोना के कारण दो साल आयोजित हो रहे मेले को इस बार काफी भव्य आयोजन किया जा रहा है.

Sonpur Mela 2022: सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने सोनपुर मेला को बनाया और भी खूबसूरत, बनाई गज और ग्राह की युद्धरत प्रतिमा

सोनपुर:Sonpur Mela 2022: बिहार की राजधानी पटना से हाजीपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा से लगने वाले विश्वविख्यात सोनपुर मेला को लेकर तैयारियां अपने अंतिम चरण में है. कोरोना के कारण दो साल आयोजित हो रहे मेले को इस बार काफी भव्य आयोजन किया जा रहा है. इस बार के मेले में पर्यटन विभाग के मुख्य पंडाल को इंटरनेशनल सैंड आर्ट फेस्टिवल के विजेता मधुरेंद्र कुमार की सैंड आर्ट ने और भी खूबसूरत बना दिया है. इसको देखने के लिए मेला शुरू होने से पहले ही लोग जुटने लगे हैं. 

दो ट्रक बालू लगे
बता दें कि इस बार मेले का उद्घाटन बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव करने वाले हैं. मेले में उप मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की तैयारी जायजा लेने सारण के जिलाधिकारी और आरक्षी अधीक्षक भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मेला स्थल का जायजा लिया. पर्यटन विभाग के मुख्य पंडाल में हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला से जुड़े गज ग्राह के युद्ध और भगवान विष्णु के प्रकट होने की मान्यता की कलाकृति सैंड आर्ट के माध्यम से बनाई गई है. इसे बनाने वाले मधुरेंद्र ने बताया इसे बनाने में दो ट्रक बालू लगे हैं और इसको बनाने में मेरे साथ 2 और सहयोगियों ने 2 दिनों तक मदद की तब जाकर या कलाकृति तैयार हुई. 

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कहीं से कोई ट्रेनिंग नहीं ली
बिहार के मोतिहारी जिले के रहने वाले मधुरेंद्र ने बताया कि 2019 में उड़ीसा के कोणार्क में हुए इंटरनेशनल सैंड आर्ट फेस्टिवल में 7 देशों के कलाकारों को हराकर इस कला का विजेता बन अपने देश के साथ-साथ बिहार का नाम ऊंचा किया. तब से बड़े-बड़े आयोजनों में मैं अपनी कला का प्रदर्शन करता आ रहा हूं. इसके अलावा देश दुनिया में आए आपदा और ज्वलंत मुद्दों को लेकर उनकी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मैं कलाकृति बनाता रहता हूं और लोगों को इसके माध्यम से जागरूक भी करता रहता हूं. इस कला का गुण मेरे अंदर स्वतः ही आया है, इसके लिए मैंने कहीं से कोई ट्रेनिंग नहीं ली है.

इनपुट- विकास आनंद

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