उद्योग धंधे ही नहीं फिर भी पटना में प्रदूषण क्यों? IIT कानपुर कर रहा रिसर्च
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उद्योग धंधे ही नहीं फिर भी पटना में प्रदूषण क्यों? IIT कानपुर कर रहा रिसर्च

Patna News: पटना शहर में वायु प्रदूषण का स्तर खराब रहता है..बिहार के कई शहरों में भी स्थिति चिंताजनक बनी रहती है. एयर क्वालिटी इंडेक्स के खतरनाक होने का कारण स्पष्ट नहीं है. लिहाजा स्पष्ट कार्ययोजना नहीं बन पा रही है, लेकिन अब यहां विशेषज्ञों की निगरानी में विशिष्ट संस्थानों को जांच का दायित्व सौंपा गया है, जिससे स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सके.

पटना में प्रदूषण (File Photo)

Patna: बिहार की राजधानी पटना में इस मौसम में कमोबेश वायु प्रदूषण की स्थिति ठीक है, लेकिन ठंड के साथ ही यहां स्थिति खराब होनी शुरू हो जाएगी. पटना में औद्योगिक प्रदूषण या फिर वाहनों के जरिए प्रदूषण बहुत ज्यादा नहीं है. बावजूद इसके यहां वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब रहती है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया का सकता है कि कोरोना संक्रमण के दौर में जब लॉकडाउन लगाया गया और उत्तरी बिहार से हिमालय श्रृंखला दिखनी शुरू हो गई, तब भी यहां के वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक को नहीं पूरा कर पाई थी. अब बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पार्षद ने निर्णय लिया है कि यहां के वायु प्रदूषण की जांच उच्च स्तरीय संस्था से कराई जाए, जिससे इसका सटीक निदान निकाला जा सके.

सचिव एस चंद्रशेखर ने कहा कि देश में पहली बार पटना के वायु में पाए जाने वाले कार्बन की मौजूदगी और उसकी मात्रा का अध्ययन कराया जा रहा है. साथ ही दूसरे शहरों का भी अध्ययन कराया जा रहा है. पटना के हवा की जांच बीएचयू की तरफ से कराया जा रहा है. डॉक्टर कृपा राम की देखरेख में यह रिसर्च हो रहा है. मुजफ्फरपुर में हवा की जांच आईआईटी दिल्ली कर रही है.

बीराप्रनिप सदस्य सचिव एस चंद्रशेखर ने कहा कि पूरे बिहार की हवा में प्रदूषण तत्व की जांच आईआईटी कानपुर की तरफ से कराया जा रहा है. वहीं, पटना के वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण मोटे और महीन धूलकण हैं, जिसमें गंगा नदी का विस्तृत बालू और मिट्टी का खुला मैदान शहर के किनारे होना प्रमुख हो सकता है. उन्होंने कहा कि गंगा की ओर से आने वाले धूलकण में कार्बन की मात्रा कितनी है और शहर के धूलकण में कार्बन की मात्रा कितनी है, इसकी भी सटीक जानकारी यहां अभी तक नहीं है. इस अध्ययन का बड़ा लाभ इसके पूरा हो जाने पर मिल पाएगा.

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एस चंद्रशेखर ने कहा कि इसके अलावा बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा हैं जिससे मौसम की तरह ही राजधानी में धूलकण की संद्रता की स्थिति अगले तीन दिन तक के लिए फोरकास्ट की जा सकेगी. दिसंबर महीने से पटना में 72 घंटा पहले ही यह बताया जा सकेगा कि धूलकन की स्थिति क्या रहने वाली है और इसके अनुसार उपयुक्त कदम उठाए जा सकेंगे.

रिपोर्ट: रजनीश

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