Shani Dev : ज्योतिष में इसके उपायों के माध्यम से साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है. शनिवार को शाम में दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करने से भी इस प्रभाव को कम किया जा सकता है.
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Shani Dev: शनि देव जिन्हें नवग्रहों का राजा माना जाता है, अपने राशि भ्रमण के दौरान विभिन्न प्रभावों को लाए हैं. जब वह किसी राशि के 12वें भाव या दूसरे भाव में रहते हैं. साढ़ेसाती कहलाती है, जो तीन चरणों में होती है और तीन ढाई साल तक चलती है. इसके अलावा जब शनि गोचर में जन्मकालीन राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में स्थित होते हैं, तो इसे शनि ढैय्या कहा जाता है, जो ढाई वर्ष की होती है.
शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या को आमतौर पर अशुभ और कष्टदायक माना जाता है, लेकिन यह सच नहीं है. इसका प्रभाव कुंडली की स्थिति पर निर्भर करता है. ज्योतिष में इसके उपायों के माध्यम से साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है. शनिवार को शाम में दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करने से भी इस प्रभाव को कम किया जा सकता है.
इसके अलावा शनि देव की कृपा पाने के लिए शनिवार को शनि से संबंधित चीजों का दान करना भी उपयुक्त है, जैसे कि काली उड़द दाल, काले वस्त्र, सरसों तेल, लोहा और गुड़ आदि.
Disclaimer: शनि देव की पूजा को सूर्यास्त के बाद ही करें और पूजा में तिल या सरसों तेल का प्रयोग करें. शनिवार को मांसाहार भोजन न करें और पूजा में नीले या काले रंग के वस्त्र पहनें. आखिरकार, काले कुत्तों को सताने से बचें. ये सावधानियां अनुसरण करने से शनि देव की कृपा प्राप्त हो सकती है और जीवन में सुख-शांति का अनुभव हो सकता है.
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