Ahoi Ashtami 2023: अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनते समय आपके हाथ में ये 7 चीजें जरूर होनी चाहिए, नहीं तो आपको पुण्य नहीं मिलेगा
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Ahoi Ashtami 2023: अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनते समय आपके हाथ में ये 7 चीजें जरूर होनी चाहिए, नहीं तो आपको पुण्य नहीं मिलेगा

Ahoi Ashtami 2023:  साहूकार की बेटी ने अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए अपनी सात बहुओं से विनती की और सबसे छोटी ननद ने बच्चे को बचाने के लिए अपनी कोख बंधने का निर्णय लिया. इसके बाद छोटी बहु ने अपनी कोख बंधवाई और उनके सात पुत्र सात दिन बाद मर गए.

Ahoi Ashtami 2023: अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनते समय आपके हाथ में ये 7 चीजें जरूर होनी चाहिए, नहीं तो आपको पुण्य नहीं मिलेगा

Ahoi Ashtami 2023: अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है. 2023 में अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवंबर को है. इस व्रत का महत्व माताओं के लिए बहुत बड़ा होता है, खासकर जिन्हें संतान की इच्छा होती है. यह व्रत दीपावली से आठ दिन पहले आता है, इसलिए इसे 'अहोई आठ' भी कहा जाता है.

साथ ही बता दें कि एक प्राचीन कथा के अनुसार एक साहूकार के पास सात बेटे और सात बहु थीं. उनमें से एक बेटी दीपावली के अवसर पर मायके आई थी. वह सात बहु मिट्टी लेने जंगल गईं, लेकिन वहां उनकी जरूरत थी. वह जंगल में अपनी खुरपी से गलती से स्याहू के बच्चे को मार दिया. यह दुखद घटना स्याहू को क्रोधित कर गई और उन्होंने बच्चे की मृत्यु के बदले साहूकार की बेटी की कोख बंधने की धमकी दी. साहूकार की बेटी ने अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए अपनी सात बहुओं से विनती की और सबसे छोटी ननद ने बच्चे को बचाने के लिए अपनी कोख बंधने का निर्णय लिया. इसके बाद छोटी बहु ने अपनी कोख बंधवाई और उनके सात पुत्र सात दिन बाद मर गए. इसके बाद बच्चों की मृत्यु के बाद पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी.

साथ ही बता दें कि सुरही गाय के सेवा के बाद स्याहू की बेटी छोटी बहु की सेवा से खुश होती है और उन्हें अपने सात पुत्रों और सात बहुओं के लिए आशीर्वाद देती है. इसके बाद छोटी बहु के घर में सुख-शांति बरसती है और उनके पुत्र पुत्रियों के साथ खुशी-खुशी जीते हैं. इस तरहअहोई अष्टमी व्रत का महत्व और फल दिखाता है कि किस प्रकार माताएं अपने परिवार के लिए बलिदान देती हैं और किस तरह इसके परिणामस्वरूप उन्हें संतान की प्राप्ति होती है.

अहोई अष्टमी की कथा के दिन, महिलाएं अपने हाथ में सात अनाज की चीजें रखती हैं और पूजा के बाद इन अनाजों को गाय को खिला देती हैं. इस व्रत का महत्व है क्योंकि यह माताओं के लिए संतान की प्राप्ति और उनके बच्चों की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है. इस दिन कथा को सुनने और पूजा करने के साथ माताएं अपने बच्चों के साथ बैठकर इस विशेष दिन का महत्व और धर्मिक आदर के साथ मनाती हैं.

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