Lok Sabha Election 2024: बिहार में बीजेपी के लिहाज से सबसे मुफीद सीट पटना साहिब बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि यहां वोटर को यह फर्क नहीं पड़ता कि बीजेपी की ओर से कौन चुनाव लड रहा है. बंदा बीजेपी से होना चाहिए, बस! जीत मिलनी तय है.
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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी राजनीतिक दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है. पटना में जहां विपक्षी दलों की ओर से बड़ी बैठक की जा चुकी है, वहीं बीजेपी की ओर से बिहार में अमित शाह ने भी लखीसराय में रैली कर चुनावी शंखनाद फूंक दिया है. गठबंधन के स्वरूपों की बात करें तो जीतनराम मांझी स्पष्ट रूप से एनडीए का हिस्सा बन चुके हैं और उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान और मुकेश साहनी को लेकर आधिकारिक तौर पर घोषणा होना बाकी है. यह माना जा रहा है कि बिहार की राजनीति के ये तीनों धड़े भी एनडीए का दामन थामने वाले हैं. बिहार में ऐसा पहली बार होगा कि लोकसभा चुनाव एनडीए बनाम महागठबंधन होगा, अगर कोई बहुत बड़ा फेरबदल न हुआ तो. पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में एक तरह से क्लीन स्वीप किया था और 40 में से 39 सीटें जीती थीं. एक सीट कांग्रेस के हिस्से में गई थी. राजद पिछले लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमट गया था.
इस बार नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एनडीए के सामने होंगे और जातिगत समीकरण के आधार पर अपना पलड़ा बुलंद होने का दावा कर रहे हैं. दोनों नेताओं और उनके दलों की ओर से यह भी दावा किया जा रहा है कि बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में जो रिजल्ट आया था, उसके उलट रिजल्ट इस बार आएगा. यानी महागठबंधन को 39 और एनडीए को 1. उधर, बीजेपी की ओर से अमित शाह ने 40 में से 40 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है. इस बीच बताया जा रहा है कि बीजेपी ने एक आंतरिक सर्वे किया है, जिसके आधार पर कुछ सीटों के बारे में कहा जा रहा है कि वहां बीजेपी को हराना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. यह सर्वे सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर किया गया है. राजनीतिक पंडित भी बीजेपी के इस सर्वे को तार्किक बता रहे हैं.
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सर्वे के अनुसार, बिहार में बीजेपी के लिहाज से सबसे मुफीद सीट पटना साहिब बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि यहां वोटर को यह फर्क नहीं पड़ता कि बीजेपी की ओर से कौन चुनाव लड रहा है. बंदा बीजेपी से होना चाहिए, बस! जीत मिलनी तय है. मतलब यह कि पटना साहिब से बीजेपी का टिकट मिलना ही सांसद बनने की गारंटी है. पिछली बार पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद ने विरोधी दलों को धूल चटाई थी, लेकिन इस बार संकेत मिल रहे हैं कि पटना साहिब सीट पर बीजेपी प्रत्याशी बदलेगी. रविशंकर प्रसाद कायस्थ हैं और कायस्थ वोट इंटैक्ट रखने के लिए हो सकता है कि बीजेपी पटना साहिब से डा. अजय आलोक को चुनाव लड़ा दे. बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव ऋतुराज सिन्हा को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है.
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बीजेपी के लिहाज से दूसरी सबसे मजबूत सीट मुजफ्फरपुर बताई जा रही है. बजेपी की ओर से दावा किया जा रहा है कि मुजफ्फरपुर सीट पर भी वह कोई भी उम्मीदवार उतार दे तो वह जीत जाएगा. 2024 के लोकसभा चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश साहनी मुजफ्फरपुर सीट पर नजर गड़ाए हुए हैं और उनकी इच्छा है कि वह यहां से लड़कर लोकसभा में पहुंचें. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में यह सीट बीजेपी ने जीती थी और कैप्टन अजय प्रसाद निषाद जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.
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गोपालगंज रिजर्व सीट को लेकर भी बीजेपी का मानना है कि यह सीट उससे कोई जीत नहीं सकता. 2008 में परिसीमन के बाद से यह सीट एनडीए के कब्जे में है. उससे पहले साधु यादव वहां से चुनाव जीतते रहे थे. गोपालगंज सीट 2019 के चुनाव में जेडीयू के खाते में चली गई थी और आलोक सुमन ने वहां से जीत हासिल की थी. इसके अलावा शिवहर को भी बीजेपी परंपरागत सीट मानती है और वह यह भी मानती है यहां से उसे कोई हरा नहीं सकता. अगर शिवहर में महागठबंधन की ओर से मुसलमान उम्मीदवार न उतारकर लवली आनंद को उतारा जाए तो वहां लड़ाई कांटे की हो सकती है. मुसलमान उम्मीदवार होने पर चुनाव जय श्रीराम बनाम मुसलमान हो जाता है. हालांकि लवली आनंद के वैशाली से भी चुनाव लड़ने की बात हो रही है.
उधर, बीजेपी हाजीपुर सीट को अपनी यानी एनडीए की सीट मानती है. यानी हाजीपुर का सामाजिक समीकरण एनडीए को सूट करता है. बशर्ते यहां चिराग पासवान उम्मीदवार हों. हाजीपुर के अलावा मधुबनी सीट को भी बीजेपी गारंटी वाली मान रही है. वैशाली सीट को भी बीजेपी एनडीए के लिए मुफीद मानती है. इस बार वैशाली से बीजेपी किसी भूमिहार को लड़ाने की सोच रही है. हालांकि चिराग पासवान ने वैशाली सीट पर भी दावा ठोका है. सीवान की बात करें तो बीजेपी मानती है कि वह इस सीट को शहाबुद्दीन के जबड़े से छीना है तो यह सीट उसी के पास रहेगी. अब देखना होगा कि महागठबंधन किस पर दांव लगाता है. आजकल चिराग पासवान और ओवैसी शहाबुद्दीन के परिवार से मिल रहे हैं.
नवादा की बात करें तो जब यह रिजर्व सीट थी तब यह संजय पासवान के पास थी. अभी सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह यहां से सांसद हैं. चंदन सिंह अभी पशुपति कुमार पारस की पार्टी के सांसद हैं. इस सीट से 2014 में गिरिराज सिंह ने फतह हासिल की थी. इसके बाद बात करते हैं आरा की. इसे बिहार का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है. अभी केंद्रीय मंत्री आरके सिंह यहां से सांसद हैं. पिछले दिनों मीना सिंह ने यहां बीजेपी ज्वाइन की हैं और भोजपुरी के सुपरस्टार पवन सिंह भी इस सीट को ललचाई नजरों से देख रहे हैं.
गया सीट को भी बीजेपी एनडीए के लिए गारंटी वाली सीट मानती है. वहां बीजेपी भरपूर संभावनाएं देखती है. बेगुसराय यानी बिहार का लेनिनग्राद. पिछली बार केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ कन्हैया कुमार ने चुनाव लड़ा और देश-दुनिया की मीडिया की नजरें भी वहां थीं, लेकिन गिरिराज सिंह ने बड़ी जीत हासिल की थी. चंपारण की बात करें तो 2019 में तीनों सीटें एनडीए ने जीती थीं, लेकिन मोतिहारी, बेतिया और वालमीकिनगर सीट को बीजेपी अभी कन्फर्म नहीं मान नहीं है.