Bihar Politics: बिहार विधानसभा में विश्वासमत पेश करने के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने पीएम मोदी के खिलाफ खुलकर हमला किया. उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी दल एकजुट हो जाएं तो 2024 में बीजेपी का सत्ता से हट जाएगी.
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पटना: बिहार में सियासी हालात क्या बदले, नीतीश के जज्बात बदल चुके हैं. जब उन्होंने बिहार में पार्टनर बदला तो कहा गया कि ये बिहार में अपनी पार्टी को बचाने के लिए किया. लेकिन अब साफ है कि वो बिहार पर रुकने वाले नहीं है. मौका तो था बिहार विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का, लेकिन जिस तरह से उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले किए हैं वो काफी कुछ कहता है.
काम नहीं सिर्फ प्रचार हो रहा है: नीतीश
उन्होंने मोदी का नाम लिए बिना कहा कि वो नहीं चाहते थे कि 2013 में मोदी पीएम बने. उन्होंने सीधे मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि कोई काम नहीं हो रहा है, सिर्फ प्रचार हो रहा है. एक बार फिर उन्होंने विपक्ष से अपील की कि 2024 के लिए एकजुट हो जाएं तो चुनावों के परिणाम अलग होंगे.
इससे पहले इसी मौके पर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी धारदार भाषण दिया. उन्होंने कहा कि घाटे के रेलवे को मुनाफा दिलाने वाले पर लालू यादव (Lalu Yadav) पर केस दर्ज हो रहा है और रेलवे को बेचने वालों के खिलाफ कुछ नहीं हो रहा.
विपक्ष को एकजुट करने की कवायद
उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर बीजेपी एकजुट महागठबंधन के आगे घुटने टेक सकती है और इसी आशंका से डरकर बीजेपी के इशारे पर ED, CBI को विपक्षी नेताओं के खिलाफ लगा दिया गया है.
बिहार के लोग जानवर हैं?
बिहार में बीजेपी विपक्ष में हो तो 'जंगलराज' का जुमला सुर्खियों में नजर आने लगता है. इसपर तेजस्वी ने पूछा कि क्या यहां बैठे तमाम लोग और बिहार के लोग जानवर हैं.
विपक्ष का चेहरा बनेंगे नीतीश?
कुल मिलाकर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और तेजस्वी अब सीधे नरेंद्र मोदी के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं और विपक्ष को संकेत दे रहे हैं. 3 सितंबर को जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है. ऐसे में देखना बहुत अहम होगा कि क्या वहां पार्टी भी नीतीश को विपक्ष के चेहरे के तौर पेश करती है.
2024 के लिए नीतीश कुमार की मंशा क्या रंग लाती है, ये इसपर पर निर्भर करेगा कि विपक्ष उनके आह्वान को किस तरह लेता है.
विपक्ष को एकजुट करना बड़ी चुनौती
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्ष में नजर आईं दरारों के बीच विपक्षी एकजुटता अभी दूर की कौड़ी लगती है. ऊपर से केंद्रीय एजेंसियों की सक्रियता के बीच कितने विपक्षी नेता बीजेपी के सामने वाले खेमे में खड़े रह पाते हैं, ये भी एक बड़ा सवाल रहेगा.
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