बिहार में अपनी पार्टी के गठबंधन के खिलाफ ही भाजपा नेता ने खोला मोर्चा, गोपाल नारायण सिंह ने दिया ये बयान
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बिहार में अपनी पार्टी के गठबंधन के खिलाफ ही भाजपा नेता ने खोला मोर्चा, गोपाल नारायण सिंह ने दिया ये बयान

बिहार में NDA की सरकार चल रही है. सरकार की अगुवाई नीतीश कुमार कर रहे हैं लेकिन भाजपा और जदयू के नेताओं के बीच जुबानी जंग लगातार जारी रहती है. जिससे विपक्ष को भी हमला करने का मौका मिल जाता है.

(फाइल फोटो)

पटना : बिहार में NDA की सरकार चल रही है. सरकार की अगुवाई नीतीश कुमार कर रहे हैं लेकिन भाजपा और जदयू के नेताओं के बीच जुबानी जंग लगातार जारी रहती है. जिससे विपक्ष को भी हमला करने का मौका मिल जाता है. इस सब के बीच भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने भी अपनी ही प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला है. 

अपनी पार्टी की नीतियों पर भी बरसे गोपाल नारायण
गोपाल नारायण सिंह ने अपने बयान में कहा कि बीजेपी के विरोधी देश में कम रहें इसलिए बीजेपी अपने नीतियों और सिद्धांतों से समझौता करके बिहार में सरकार चला रही है, दुर्भाग्य है कि हम इस मजबूरी में सरकार चला रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी सिर्फ कुर्सी के लालच में अपनी नीतियों के साथ समझौता कर रही है.

बिहार की सरकार को सिर्फ कुर्सी की चिंता- गोपाल नारायण
गोपाल नारायण सिंह ने आगे कहा कि बिहार में जिस तरह जातिवाद है, अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति चल रही है. इसलिए हम समझौता कर रहे हैं. बीजेपी साथ सरकार चला रही है इसलिए बिहार सम्भला हुआ है. बिहार की सरकार को सिर्फ कुर्सी की चिंता है, बिहार की आर्थिक स्थिति पर किसी का ध्यान नहीं है. 

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गोपाल नारायण सिंह ने NDA में कोऑर्डिनेशन कमेटी को लेकर भी हमला बोला, उन्होंने कहा कि गठबंधन की सरकार में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम होना चाहिए, लेकिन बीजेपी के ही लोग कुर्सी के लालच में बिना नीति सिद्धांत बनाए हुए कुर्सी पर बैठ गए हैं. जिसका परिणाम आज दिख रहा है. पहले कोऑर्डिनेशन की बात होती थी लेकिन अब बिहार बीजेपी में वैसा नेता नहीं और नीतीश कुमार भी अब कमजोर होते जा रहे हैं. वह कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. बिहार के भविष्य के बारे में उन्हें चिंता नहीं है. 

बिहार में PFI के बढ़ते प्रभाव पर भी गोपाल नारायण ने साधा निशाना 
गोपाल नारायण सिंह ने आगे कहा कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के कारण बिहार में PFI जैसे संगठन चल रहे हैं. एंटी नेशनल जो भी संगठन चला रहे हैं उनका सॉफ्ट कार्नर क्षेत्रीय पार्टियां हैं. क्योंकि क्षेत्रीय पार्टियों को कुर्सी चाहिए इसलिए कड़ा रुख नहीं अपना सकते और इस कमजोरी का फायदा PFI जैसे संगठन उठाते हैं. सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करती इसलिए PFI जैसे संगठन बिहार में सुरक्षित महसूस करते हैं और संगठन चला रहे हैं. जहां के राजनीतिज्ञों की अपनी वोट बैंक खिसक रही है और वो राजनीतिक दल अल्पसंख्यक पर निर्भर करते हैं वहां एंटी नेशनल संगठन जानते हैं कि कोई कार्रवाई नहीं होगी. 

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