विशेष राज्य पर कैबिनेट का प्रस्ताव मरे घोड़े पर चाबुक चलाने जैसा: सुशील मोदी
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विशेष राज्य पर कैबिनेट का प्रस्ताव मरे घोड़े पर चाबुक चलाने जैसा: सुशील मोदी

राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विशेष दर्जा के बिना विशेष केंद्रीय पैकेज से राज्य के 2.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए.केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में बिहार को उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा 1.02 लाख करोड़ की राशि मिलती है.

 (फाइल फोटो)

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब 14 वें वित्त आयोग ने 'विशेष राज्य' की अवधारणा को ही अमान्य कर दिया है और अब किसी भी राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता, तब इस मुद्दे पर बिहार सरकार का कैबिनेट से पारित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजना सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है.इस मरे हुए घोड़े पर नीतीश कुमार कितना भी चाबुक चलायें, घोड़ा दौड़ने वाला नहीं.

 

राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार को विशेष आर्थिक पैकेज देकर विशेष दर्जा से कई गुना अधिक मदद कर रहे हैं, लेकिन राजद-जदयू यह स्वीकार नहीं करना चाहते.

उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार और लालू प्रसाद केंद्र सरकार में ताकतवर मंत्री रहे, तब इन लोगों ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिलवाया ? राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेस बताये कि 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह की सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दे दिया?

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की पहल पर यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जो रघुरामराजन कमेटी गठित करायी थी, उसने भी "विशेष राज्य" की मांग को खारिज कर दिया था.राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब नीतीश कुमार केंद्र के विरोधी खेमे में रहते हैं, तब चुनाव निकट देख कर केंद्र को बदनाम करने के लिए विशेष दर्जे की मांग पर राजनीति शुरू कर देते हैं।
 
उन्होंने कहा कि एक लाख करोड़ से अधिक राशि खर्च कर बिहार में जो आधा दर्जन से ज्यादा मेगा ब्रिज  और 4-लेन,6- लेन सड़कों का  नेटवर्क तैयार हो रहा है, वह विशेष दर्जा मिलने से कम नहीं है.यहाँ जो भी बड़ा ढांचागत विकास हुआ, वह विशेष आर्थिक पैकेज और केंद्र की सहायता से संभव हुआ.इससे बिहार के हजारों परिवारों को रोजगार मिला।

राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विशेष दर्जा के बिना विशेष केंद्रीय पैकेज से राज्य के 2.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए.केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में बिहार को उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा 1.02 लाख करोड़ की राशि मिलती है.

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