तेजस्वी के दावों में कितना दम है ये तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन आंकड़े कहते हैं कि उन्होंने नीतीश कुमार को सपना बेंच दिया है. मोदी के सामने राजद को हमेशा मुंह की खानी पड़ी है.
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Bihar Politics: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. मिशन 2024 के लिए सभी दलों की ओर से अभी से रणनीति तैयार हो चुकी है और उस पर काम भी शुरू हो चुका है. बीजेपी एक बार फिर से पीएम मोदी की कप्तानी में खेलेगी, वहीं विपक्ष की ओर से नीतीश कुमार सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभर रहे हैं. कांग्रेस के सरेंडर के बाद उनकी दावेदारी और ज्यादा मजबूत हो गई है. तेजस्वी यादव लगातार दम भर रहे हैं कि इस बार चाचा नीतीश को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बिठाकर ही मानेंगे.
तेजस्वी के दावों में कितना दम है ये तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन आंकड़े कहते हैं कि उन्होंने नीतीश कुमार को सपना बेंच दिया है. मोदी के सामने राजद को हमेशा मुंह की खानी पड़ी है. 2014 में पहली बार नीतीश और तेजस्वी ने मोदी से मुकाबला किया था. इस चुनाव में नीतीश को सिर्फ 2 तो तेजस्वी की पार्टी को 4 सीटें मिली थीं. बीजेपी के साथ होने से रामविलास पासवान की पार्टी ने इनसे ज्यादा सीटें हासिल की थीं.
नीतीश कुमार का भ्रम भी टूटा
जदयू से ज्यादा सीटें तो उस वक्त उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा को मिली थीं. लोजपा और रालोसपा को ये सफलता बीजेपी के साथ होने के कारण मिली थी. 2019 में नीतीश भी बीजेपी के साथ आ गए थे और राजद का पूरी तरह से सफाया हो गया था. उस वक्त बीजेपी ने अपनी जीती हुई 6 सीटें जदयू को दे दी थीं. यदि 2019 की उस प्रचंड जीत का श्रेय नीतीश कुमार को दें, तो 2020 के विधानसभा चुनाव से वह शंका भी खत्म हो जाती है.
मोदी ने बचाई थी नीतीश की साख
2020 में नीतीश के लिए तेजस्वी बड़ी चुनौती बनकर सामने आए थे. नीतीश की रैलियों में जबरदस्त हूटिंग होती थी. अंत में मोदी को ही कमान संभालनी पड़ी थी. नतीजा ये निकला कि सत्ता महागठबंधन के हाथों में जाते-जाते रह गई. उस चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और जदयू के सिर्फ 43 उम्मीदवार ही विधानसभा पहुंच पाए थे. राजनीतिक पंडितों का तो यहां तक कहना था कि बीजेपी यदि अकेले चुनाव लड़ती तो पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाती.
नीतीश के गुब्बारे में हवा भर रहे तेजस्वी!
तेजस्वी के पास मौजूदा दौर में लोकसभा में एक भी सांसद भी नहीं, फिर वह किस कुव्वत से नीतीश कुमार को पीएम बनाने की बात कह रहे हैं. सवाल ये है कि आखिर तेजस्वी क्यों नीतीश कुमार को दिल्ली भेजने के लिए इतने आतुर दिखाई दे रहे हैं. इसका सीधा सा जवाब है- सीएम की कुर्सी. दरअसल, तेजस्वी जानते हैं कि नीतीश के रहते हुए उन्हें सीएम की कुर्सी नहीं मिल सकती. यदि वह दबाव बनाएंगे तो नीतीश फिर से पलटी मार सकते हैं.