Bihar Politics: कांग्रेस विधायकों को लालू प्रसाद मंत्री क्यों नहीं बनने दे रहे, क्या तेजस्वी यादव की ताजपोशी का कर रहे इंतजार?
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Bihar Politics: कांग्रेस विधायकों को लालू प्रसाद मंत्री क्यों नहीं बनने दे रहे, क्या तेजस्वी यादव की ताजपोशी का कर रहे इंतजार?

Bihar Politics: लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) कहीं ऐसा तो नहीं सोच रहे हैं कांग्रेस (Congress) कोटे के विधायकों को सीधे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की भावी सरकार में शपथ दिलाई जाए या फिर वे कांग्रेस के साथ माइंडगेम खेल रहे हैं. 

लालू प्रसाद यादव, राहुल गांधी और नीतीश कुमार

Bihar Politics: लालू प्रसाद (Lalu Prasad Yadav) मंझे हुए राजनेता हैं. एक तरफ वे नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को भी खुश किए हुए हैं और दूसरी ओर कांग्रेस को भी. कांग्रेस को खुश रखते हुए भी वो कांग्रेस के विधायकों के मंत्री बनने में बाधा बने हुए हैं. ऐसा हम नहीं, खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से फोन पर हुई बातचीत में यह बात कही. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि लालू प्रसाद यादव कांग्रेस विधायकों के मंत्री बनने में क्यों बाधा पैदा कर रहे हैं. क्यों कैबिनेट विस्तार (Nitish Kumar Cabinet Expansion) को लेकर लालू प्रसाद का रुख अस्पष्ट है. क्या वाकई में ऐसा है या फिर नीतीश कुमार ने गेंद लालू प्रसाद यादव के पाले में जानबूझकर डाल दी है.

सबसे पहले बात करते हैं संवैधानिक पहलू पर. राज्यों में मंत्रिमंडल विस्तार विशुद्ध रूप से मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी और उनकी विशेषाधिकार होता है. मुख्यमंत्री जिसे चाहें, मंत्री बनवा सकते हैं बशर्ते वह सभी अर्हताएं यानी योगयताएं पूरी करता हो. लेकिन जब गठबंधन की सरकार बनती है तो उसमें कई तरह के गुणा गणित लगाए जाते हैं. सहयोगियों का दबाव रहता है और कई पहलुओं को ध्यान में रखकर मंत्रिमंडल विस्तार करना होता है. बिहार में नीतीश कुमार भी गठब्ंधन की सरकार ही चला रहे हैं. जाहिर है मंत्रिमंडल विस्तार में उनका विशेषाधिकार केवल सैद्धांतिक रह जाती है.

अब प्रैक्टिकली सोचकर देखिए. राजद सुप्रीमो जिस पार्टी के सर्वेसर्वा हैं, वह विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से सीधे दोगुनी सीटें लेकर राजद नेता ​तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने हुए हैं. वहीं नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद को सुशोभित कर रहे हैं. जाहिर सी बात है कि नीतीश कुमार सरकार के मुखिया जरूर हैं पर सरकार में चलती है राजद की और ऐसा होना स्वाभाविक भी है. अब अगर नीतीश कुमार कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ऐसा कह रहे हैं कि लालू प्रसाद यादव के अस्पष्ट रुख के चलते कैबिनेट का विस्तार अटका पड़ा है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात तो बिल्कुल नहीं होनी चाहिए.

अब सवाल यह है कि लालू प्रसाद यादव कांग्रेस विधायकों को मंत्री क्यों नहीं बनने दे रहे. इसके लिए आपको राजद और जेडीयू गठबंधन के मूल में जाना होगा. राजद और जेडीयू दोनों दलों के नेताओं की ओर से कई बार यह बात कही जा चुकी है कि महागठबंधन इस आधार पर बना कि नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति करेंगे और तेजस्वी यादव राज्य की. यानी नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन का संयोजक या फिर पीएम पद के लिए चेहरा बनाने की बात कही गई थी. 

ऐसा होने पर नीतीश कुमार बिहार की गद्दी तेजस्वी यादव के लिए खाली करने वाले थे, लेकिन इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम इन दोनों पदों के लिए उछाला गया. नीतीश कुमार का किसी ने नाम भी नहीं लिया. यहां तक कि तेजस्वी यादव या फिर लालू प्रसाद यादव ने भी नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव नहीं रखा. फिर नीतीश कुमार बिहार की गद्दी कैसे छोड़ें. उधर, लालू प्रसाद यादव की सोच यह हो सकती है कि कांग्रेस कोटे के विधायकों को सीधे तेजस्वी यादव की भावी कैबिनेट में शपथ दिलाई जाए. 

तेजस्वी यादव को गद्दी सौंपने को लेकर बीच बीच में राजद की ओर से दबाव भी बनाया जाता रहा है. राजद के कई नेता खुलेआम तेजस्वी यादव की ताजपोशी की मांग करते रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार को बिना केंद्र में सेट किए ऐसा होता नहीं दिखता. अब देखना यह है कि जब नीतीश कुमार ने कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को लेकर गेंद लालू प्रसाद यादव के पाले में डाल दी है तो उनका क्या रख रहता है.

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