सुपौल के कन्या प्राथमिक विद्यालय के बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर, असुविधाओं के कारण हो रही परेशानी
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सुपौल के कन्या प्राथमिक विद्यालय के बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर, असुविधाओं के कारण हो रही परेशानी

सुपौल जिले के कन्या प्राथमिक विद्यालय सुखपुर की हालत बेहद खराब है. यहां पर बीते कई सालों से अर्ध निर्मित विद्यालय में सुविधाओं का अभाव है. इसके अलावा यहां पर महज एक चापाकल और एक शौचालय है.

सुपौल के कन्या प्राथमिक विद्यालय के बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर, असुविधाओं के कारण हो रही परेशानी

Supaul: बिहार के सुपौल जिले के कन्या प्राथमिक विद्यालय सुखपुर की हालत बेहद खराब है. यहां पर बीते कई सालों से अर्ध निर्मित विद्यालय में सुविधाओं का अभाव है. इसके अलावा यहां पर महज एक चापाकल और एक शौचालय है. जिसके कारण विद्यार्थियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. 

2003 से अर्धनिर्मित हालत में है स्कूल
दरअसल, बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर अक्सर सवाल खड़े होते रहे हैं. वहीं, सुपौल जिले के कन्या प्राथमिक विद्यालय सुखपुर 1967 में स्थापित किया गया था. इसका निर्माण शिक्षा विभाग के द्वारा किया गया था. इस विद्यालय का निर्माण गांव के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए किया गया था. वहीं, साल 2003 में इस विद्यालय को अपना भवन मिला था. हालांकि उस विद्यालय का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हुआ है. यह विद्यालय अभी तक अर्ध निर्मित हालातों में चल रहा है. विद्यालय में सुविधाओं के नाम पर महज एक चापाकल है और एक ही शौचालय है. जबकि इस स्कूल में 170 छात्र और छात्राएं हैं. जिसपर 7 शिक्षक हैं. 

बच्चों को नहीं मिल रहा पौष्टिक आहार
सरकार ने एमडीएम योजना को लेकर एनजीओ के माध्यम से इस विद्यालय के छोटे बच्चों को पौष्टिक आहार देने का दावा किया था. मगर छात्र-छात्राएं का कहना है कि उन्हें पौष्टिक आहार नहीं मिल रहा है. हालांकि स्कूल के हेडमास्टर भी इस असुविधा को लेकर शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों से कई बार शिकायत कर चुके हैं. जिसके बाद कुछ दिनों तक हालात ठीक रहते हैं. उसके बाद वापस से वही स्थिति पैदा हो जाती हैं. साल 2022- 23 के पढ़ाई के इस सेशन को आठ महीने बीत चुके हैं.उसके बाद भी सरकारी किताबें बच्चों को नहीं मिल सकी है. बच्चों का कहना है कि उनके परिजनों के पास इतने पैसे नहीं आए हैं कि वह किताब खरीद कर उन्हें दे सके.

बच्चों को अभी तक नहीं मिले किताब खरीदने के पैसे
नियम के मुताबिक सरकार की ओर से बच्चों के खाते में किताबों के लिए पैसे भेजे जाते हैं. लेकिन सेशन के 8 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार की तरफ से इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है. जिसके कारण छात्र छात्राओं के पास पढ़ने के लिए किताबें नहीं हैं. वहीं बच्चे या तो अपने साथियों के साथ मिलकर पढ़ रहे हैं या फिर एक ही किताब से काम चला रहे हैं. 

फर्श पर बैठने को मजबूर हैं बच्चे
साल 2003 में स्कूल के निर्माण में भी भारी अनियमितता बरती गई है. जानकारी के मुताबिक स्कूल के तत्कालीन हेड मास्टर ने विद्यालय के निर्माण को लेकर लाखों रुपये अपने निजी कामों के लिए खर्च किए हैं. जिसकी वसूली तत्कालीन हेड मास्टर की पेंशन से की जा रही है. लेकिन अर्ध निर्मित विद्यालय अभी तक उसी हाल में है. स्कूल के हेड मास्टर से लेकर छात्र छात्राओं ने बुनियादी सुविधाओं को लेकर खुलकर चर्चा की. कन्या प्राथमिक विद्यालय सुखपुर में 170 नामांकित विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या ज्यादा है. वहीं, क्लास 1 टू 5 तक में महज पांचवी क्लास में बेंच डेस्क है. जबकि 1 से लेकर चौथी क्लास तक के बच्चे फर्श पर अपने घर से लाए हुए बोर या फिर त्रिपाल पर बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं. 

(रिपोर्टर-मोहन प्रकाश)

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