फूटा घर फूटी किस्मत! चतरा में दर-दर भटक रहे गरीब, नहीं मिल रहा प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ
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फूटा घर फूटी किस्मत! चतरा में दर-दर भटक रहे गरीब, नहीं मिल रहा प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ

Chatra Samachar: चतरा में पिछले 10 वर्षों से अत्यंत गरीब परिवार के लोग अपने घर के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन उन्हें आज तक पक्का घर नहीं मिल पाया है.

 

चतरा में दर-दर भटक रहे गरीब. (फाइल फोटो)

Chatra: केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का हर गरीब को पक्का घर देने का वादा चतरा में सफेद हाथी साबित हो रहा है. यहां पिछले 10 वर्षों से अत्यंत गरीब परिवार के लोग अपने घर के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन उन्हें आज तक पक्का घर नहीं मिल पाया है.

हालात यह है कि अब इन गरीब परिवारों के घरों मे शहनाई भी नहीं बज रही है. गरीबी की जिंदगी गुजर बसर करनेवाले इन परिवारों ने सबों से गुहार लगाई लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला. कच्चे टूटे-फूटे मकान में प्लास्टिक की चादर बिछकर ये गरीब परिवार अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं. इतना ही नहीं बारिश ने तो इन परिवारों पर कहर बरपाया है. यह हाल है झारखंड के चतरा जिला के गंधरिया पंचायत का. 

यहां तकरीबन 126 परिवार के लोग पिछले 10 वर्षों से एक अदद आवास के लिए भटक रहे हैं लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गंधरिया पंचायत के आमडीहा गांव की महिलाओं का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर वे स्थानीय स्वयंसेवक, जनसेवक, मुखिया, बीडीओ एवं जिला के आला अधिकारियों से भी गुहार लगा चुके हैं. लेकिन अब तक महज आश्वासन ही मिला है. पंचायत की मुखिया भी मानती हैं कि जियो टैग या कुछ गड़बड़ियों के कारण ही इन गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. इस बाबत उन्होंने जिले के आला अधिकारियों एवं प्रखंड के बीडीओ से भी संपर्क किया लेकिन इन गरीबों की समस्याओं का हल अभी तक नहीं हो पाया है.

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वहीं, पंचायत के आमडीहा गांव की कई महिलाओं सरिता देवी, शोभा देवी, आशा देवी, आरती देवी एवं अन्य महिलाओं का कहना है कि घर नहीं रहने के कारण बच्चों की शादी भी नहीं हो पा रही है. गरीबी की मार झेल रहे इन परिवारों का मजदूरी से ही गुजर बसर होता है. महंगाई की मार के चलते इन परिवारों को महज दो वक्त की रोटी मिल पाती है. यही वजह है कि ये परिवार उम्र के इस पड़ाव पर भी अपना पक्का घर नहीं बना पा रहे हैं.

हालांकि, प्रधानमंत्री आवास योजना से इन्हें उम्मीद की किरण दिखाई दी थी लेकिन वह भी सरकारी फाइलों एवं बाबूओं के चक्कर में फस गई और ये लोग अब तक कच्चे एवं टूटे-फूटे मकान में रहने को विवश हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि इन गरीब परिवारों के साथ स्वयंसेवक, पंचायत सेवक अन्य कर्मियों ने धोखा किया है. बताया जाता है कि सर्वेक्षण के दौरान ही जियो टैग एवं अन्य सरकारी कागजातों को दुरुस्त नहीं किया गया जिसके कारण प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ इन तक नहीं पहुंच पाया. 

इधर, पंचायत की मुखिया भी मानती है कि इन 126 गरीब परिवारों को आवास की अत्यंत आवश्यकता है. मुखिया का कहना है कि हमारा पूरा प्रयास है कि इन सभी परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिले. दुर्भाग्य की बात है कि गरीबों को आशियाने के साथ-साथ जो इस के लिए जिम्मेदार हैं उन कर्मियों व अधिकारियों को कोई दंड भी नहीं मिल रहा है. जब पंचायत की मुखिया स्वीकार करती हैं कि अत्यंत गरीब परिवार है और इन्हें आवास मिलना चाहिए तो कथित स्स्वयं सेवक, जनसेवक या सर्वेक्षण करने वाली टीम ने जियो टैग या अन्य किसी कारण से प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में इनका नाम निर्धारित क्यों नहीं किया है, यह एक बड़ा सवाल है.

(इनपुट-यादवेन्द्र सिंह)

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