गर्मी की वजह से मेदिनीनगर की लाइफ लाइन कही जाने वाली कोयल नदी भी पूरी तरह सुख चुकी है, पलामू की धरती सुखी पड़ी है वही शहरी इलाको में लोग कही टैंकरों से पानी भर रहे हैं तो कही चापानल में डब्बो की लम्बी कतार लगा कर पानी भर रहे हैं
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रांची: हर घर को शुद्ध और साफ पानी मिले इस उद्देश्य से केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री हर घर जल योजना पूरे देश में शुरू की. यह योजना हर राज्य में चालू है, लेकिन झारखंड का पलामू जिला ऐसा है जहां लोग इस योजना से वंछित है. जैसे ही गर्मी ने पलामू जिला में दस्तक दिया वैसे ही पलामू में पानी की समस्या बढ़ गई है.
गर्मी की वजह से मेदिनीनगर की लाइफ लाइन कही जाने वाली कोयल नदी भी पूरी तरह सुख चुकी है, पलामू की धरती सुखी पड़ी है वही शहरी इलाको में लोग कही टैंकरों से पानी भर रहे हैं तो कही चापानल में डब्बो की लम्बी कतार लगा कर पानी भर रहे हैं , वही ग्रामीण इलाको के लोग खेतो में जमा गंदे पानी और नदियों में चुवाड़ी खोदकर पानी पीने को बिवश हैं फिर भी यह देख सरकार कोई ठोश निर्णय नही ले पा रही है. मेदिनीनगर नगर निगम क्षेत्र के सभी वार्डो में पानी का टैंकर जाती है मगर आबादी के हिसाब से टैंकर का पानी भी कम पड़ जाता है.
मेदिनगर निवासी जैलून बीबी का कहना है कि दिन बदीन पानी का लेयर कम होते जा रहा है जिससे गर्मी की दस्तक देते ही चापानल, कुआं, नदियों के पानी सुखने लगता है जैसा हालात अभी पलामू का है वैसा लगता है की आने वाले भविष्य में पानी के लिए पलामू में लोग एक दूसरे को जान मारने के लिए बिवश हो जाएंगे. अगर जिला प्रशाशन की ओर से टैंकर भी आती है तो लोगों लाइन लगाकर पानी लेना पड़ता है और अगर पानी की टैंकर नही आती है तो यहाँ के लोग पैसे से पानी को खरीदकर अपना जीवन-यापन करते है, गर्मी में पानी की किल्ल्त और सुखाड़ पलामू वासियो को काफी रुलाती है.
मेदिनगर निवासी हरिप्रसाद का कहना है कि कोयल नदी के आस पास रहने वाले लोगों को नदी सूखने की वजह से पानी के किल्ल्त से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लोग चुवाड़ी खोदकर गंदे पानी पिने को विवश है, उनका कहना है की चुवाड़ी से निकलने वाला पानी में काफी दुर्गन्ध आती है इसे पीकर कई लोग तो गंभीर बिमारी से ग्रषित हो रहे है ,वही सप्लाई पानी की भी पाइप निगम क्षेत्र के कई वार्डो में है मगर पानी नही पहुंच पाती है और कई वार्डो में पानी गर्मी की वजह से एक ही बार सप्लाई की जाती है जिससे लोगो को खाना बनाने और पीने के लिए काफी परेसानी होती है.