झारखंड की सत्ता को लेकर कई सवालों पर सस्पेंस बरकरार है. हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद राज्य में नई सरकार बनेगी या नहीं? बनेगी तो इसकी कमान वापस हेमंत सोरेन के हाथ में होगी या फिर कोई नया नेता चुना जाएगा?
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रांची: झारखंड की सियासत का तापमान अभी बढ़ा हुआ है. मिल रही जानकारी के मुताबिक यह तय हो गया है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस्तीफा देंगे. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में राज्यपाल रमेश बैस ने उनकी विधानसभा की सदस्यता खारिज करने का आदेश दे दिया है, लेकिन प्रक्रिया के अनुसार इस संबंध में आधिकारिक पत्र निर्वाचन आयोग जारी करेगा. संभावना है कि आयोग आज (शनिवार) ही पत्र जारी करेगा. इसके तत्काल बाद संवैधानिक बाध्यताओं के चलते हेमंत सोरेन को त्यागपत्र देना पड़ेगा.
वहीं, झारखंड की सत्ता को लेकर कई सवालों पर सस्पेंस बरकरार है. हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद राज्य में नई सरकार बनेगी या नहीं? बनेगी तो इसकी कमान वापस हेमंत सोरेन के हाथ में होगी या फिर कोई नया नेता चुना जाएगा? क्या हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन सरकार का नया चेहरा होंगी? क्या नया सीएम कांग्रेस से हो सकता है? ऐसे कई सवाल हैं, जिन पर तरह-तरह की चर्चा से झारखंड की सियासी फिजां में गजब की सरगर्मी है.
ऐसे ही सवालों पर निर्णायक स्टैंड तय करने के लिए यूपीए विधायकों की आज (शनिवार) 11 बजे सीएम हाउस में बैठक हुई. बता दें कि, पिछले तीन दिनों में चौथी बार यूपीए विधायकों की बैठक हुई.
सीएम हेमंत सोरेन, मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता, चंपई सोरेन, सत्यानंद भोक्ता सहित लगभग 40 विधायक बैठक में मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द संबंधी राज्यपाल के निर्णय की औपचारिक तौर पर सूचना मिलते ही यूपीए नए सिरे से सरकार बनाने के लिए अपने एक्शन प्लान पर अमल शुरू करेगी. संभावना यही है कि अगर चुनाव आयोग की ओर से जारी होनेवाली चिट्ठी में हेमंत सोरेन के लिए आगे चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगती तो वह इस्तीफा देने के बाद दोबारा सरकार बनाने की दावेदारी पेश करेंगे.
इस बीच यह संभावना भी जताई जा रही है कि नई सरकार के गठन की कवायद शुरू होने के पहले यूपीए के विधायकों को एकजुट रखने के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ या रांची से बाहर किसी रिसॉर्ट में शिफ्ट किया जा सकता है.
दरअसल, नई सरकार बनने पर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट अनिवार्य होगा और इसे देखते हुए यूपीए गठबंधन कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगा. शनिवार सुबह सीएम हाउस में मीटिंग के लिए पहुंचे कई विधायकों की गाड़ी में बैग-ब्रीफकेश होने की वजह से इस चर्चा ने जोर पकड़ा. हालांकि यूपीए के कई विधायकों ने मीडिया से कहा कि हम कहीं बाहर शिफ्ट नहीं हो रहे हैं.
दूसरी तरफ, राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा 'वेट एंड वाच' की स्थिति में है. शनिवार को गिरिडीह के मधुवन में प्रदेश भाजपा का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर हुआ है, जहां प्रदेश के तमाम शीर्ष नेताओं के साथ पार्टी के सांसद, विधायक मौजूद हैं. माना जा रहा है कि इस दौरान राज्य में बदली हुई परिस्थितियों के बीच पार्टी अपनी आगामी रणनीति पर भी मंथन करेगी.
राज्य में पैदा हुए राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि में रांची के अनगड़ा में स्थित पत्थर की एक खदान है. हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए 88 डिसमिल के क्षेत्रफल वाली यह पत्थर खदान लीज पर ली थी. भाजपा ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) और जन प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का मामला बताते हुए राज्यपाल के पास शिकायत की थी. राज्यपाल ने इस पर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था.
आयोग ने शिकायतकर्ता और हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा और दोनों के पक्ष सुनने के बाद चुनाव आयोग ने गुरुवार को राजभवन को भेजे मंतव्य में इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ के पद) का मामला करार देते हुए हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी.
राज्यपाल ने शुक्रवार को यह सिफारिश स्वीकार करते हुए अपना फैसला दे दिया. अब इस फैसले पर चुनाव की चिट्ठी जारी होने के बाद ही तमाम सियासी सस्पेंस की परतें एक-एक कर खुलेंगी.
(आईएएनएस)