Kuwait Building Fire: झारखंड का युवक पहली बार गया था कुवैत, अग्निकांड में 18 दिनों के भीतर गंवाई जान
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Kuwait Building Fire: झारखंड का युवक पहली बार गया था कुवैत, अग्निकांड में 18 दिनों के भीतर गंवाई जान

Kuwait Building Fire: दक्षिणी कुवैत के मंगाफ क्षेत्र में दो दिन पहले एक बहुमंजिला इमारत में लगी भीषण आग में झारखंड के एक युवक मोहम्मद अली हुसैन की भी मौत हो गई है. 18 दिन पहले हुसैन के कुवैत जाते समय उसके परिजन ने सोचा भी नहीं था कि वे उन्हें आखिरी बार देख रहे हैं. 

कुवैत अग्निकांड में 18 दिनों के भीतर गंवाई जान

रांची: Kuwait Building Fire: दक्षिणी कुवैत के मंगाफ क्षेत्र में दो दिन पहले एक बहुमंजिला इमारत में लगी भीषण आग में झारखंड के एक युवक मोहम्मद अली हुसैन की भी मौत हो गई है. 18 दिन पहले हुसैन के कुवैत जाते समय उसके परिजन ने सोचा भी नहीं था कि वे उन्हें आखिरी बार देख रहे हैं. 

रांची के हिंदपीढ़ी इलाके में रहने वाले हुसैन के घर पर उस समय मातम छा गया जब उनके परिजनों को यह पता चला कि कुवैत की इमारत में हुई इस त्रासदी में उसकी मौत हो गई है. उनके पिता मुबारक हुसैन (57) ने बताया कि हुसैन (24) अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटा था और वह अपने परिवार की मदद के लिए रांची से कुवैत गया था. 

पिता मुबारक ने रोते हुए बताया कि, 'वह पहली बार देश से बाहर गया था. उसने हमें बताया कि उसे वहां विक्रेता की नौकरी मिल गई है. हमने कभी नहीं सोचा था कि 18 दिनों के भीतर इतनी बड़ी घटना हो जाएगी.' हुसैन के पिता ने बताया कि बेटे के एक सहकर्मी ने बृहस्पतिवार को सुबह उसकी मौत की जानकारी दी थी, ‘लेकिन शाम तक मैं इतनी भी हिम्मत नहीं जुटा पाया कि अपनी पत्नी को इस दुखद खबर के बारे में बता सकूं.’ 

रांची में वाहनों के टायरों का छोटा सा कारोबार चलाने वाले मुबारक ने कहा, 'मेरा बेटा स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद 'सर्टिफाइड मैनेजमेंट अकाउंटेंट (सीएमए) का कोर्स कर रहा था. एक दिन अचानक उसने कहा कि वह कुवैत जाएगा.' उन्होंने कहा,'भारत सरकार से मेरा एकमात्र आग्रह है कि हुसैन के शव को रांची वापस लाने की व्यवस्था की जाए.' 

कुवैत के अधिकारियों के मुताबिक, दक्षिणी कुवैत के मंगाफ क्षेत्र में सात मंजिला इमारत के रसोईघर में भीषण आग लगने से 49 विदेशी मजदूरों की मौत हुई थी और 50 अन्य घायल हुए थे. मृतकों में करीब 40 भारतीय हैं. कुवैत के मीडिया ने बताया कि धुएं के कारण दम घुटने से अधिकतर लोगों की मौत हुई थी. उसने बताया कि इमारत में 195 प्रवासी मजदूर रहते थे और उनमें से अधिकातर केरल, तमिलनाडु और उत्तरी राज्यों से आये भारतीय थे. 

इनपुट- भाषा के साथ

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