दुमका में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. रैली के दौरान छात्र छात्राओं के बीच आदिवासी संस्कृति एवं परम्परा की झलक देखने को मिली.
Trending Photos
रांचीः दुमका में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इस मौके पर दुमका के एसपी महिला कॉलेज से आदिवासी युवा और महिलाओं ने विशाल रैली निकाली. वहीं रैली के दौरान छात्र छात्राओं के बीच आदिवासी संस्कृति एवं परम्परा की झलक देखने को मिली. आदिवासियों द्वारा दुमका के विभिन्न चौकों में स्थित प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया. रैली दुमका के महिला कॉलेज से निकलकर बिरसा मुंडा चौक से भीमराव अम्बेडकर चौक होते हुए सीधो कान्हू चौक होते हुए संथाल परगना महाविद्यालय पहुँचीए जहां विश्व आदिवासी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
मूलभूत सुविधा से वंचित है आदिवासी समाज
आदिवासी समाज के द्वारा सरकार से 1932 आधारित खतियान झारखंड में लागू करने की भी मांग की गई. आदिवासी समाज में महिलाओं की स्थितिए आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारए आदिवासी युवाओं के भविष्य पर भी सवाल खड़े किए गये. आदिवासी युवाओं की मानें तो आज आदिवासी समाज काफी पिछड़ा है व आज भी आदिवासी समाज मूलभूत सुविधा से वंचित है. उन्हें आज सशक्त बनाने की जरूरत है. वर्ष 1993 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आदिवासियों का दशक घोषित किये जाने के बाद से विश्व आदिवासी दिवस मनाने की परम्परा की शुरुआत हुई थी, लेकिन आज भी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में बसने वाले आदिवासी समाज के लोग सड़क बिजली पानी के लिए तरस रहे हैं. बहुत खुशी की बात है हमलोगों के द्वारा विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है लेकिन हमलोगों को आत्मचिंतन की भी जरूरत हैं.
1932 आधारित खतियान क्या है ?
झारखंड में 1932 खातियान को लागू करने की मांग लंबे समय से हो रही है. इसके तहत, 1932 में दर्ज लोगों के वंशज ही झारखंड के असल निवासी माने जाएंगे. 1932 के सर्वे में जिसका नाम खतियान में चढ़ा हुआ है. उसके नाम का ही खतियान आज भी है. उसी को लागू करने की मांग हो रही है.
यह भी पढ़िएः विश्व आदिवासी दिवस आज, जंगलों पर आधारित उत्पाद पर निर्भर रहने को मजबूर गुमला के आदिवासी