Pitru Paksha 2023: भगवान राम के पिता का देवी सीता ने क्यों किया श्राद्ध? जानें यह दुर्लभ प्रसंग
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Pitru Paksha 2023: भगवान राम के पिता का देवी सीता ने क्यों किया श्राद्ध? जानें यह दुर्लभ प्रसंग

Pitru Paksha 2023: आचार्य मदन मोहन ने कहा कि मार्कंडेय पुराण में भी वर्णन किया गया है कि अगर किसी का पुत्र नहीं होता है तो पत्नी ही बिना मंत्रों के श्राद्ध कर सकती हैं. साथ ही अगर घर में कोई बुजुर्ग महिला है तो युवा महिला से पहले श्राद्ध करने का अधिकार होता है.

धर्म की खबरें (File Photo)

Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष पितरों की आत्मा को शांति देने का समय होता है, उसमें श्राद्ध का महत्व होता है. आचार्य मदन मोहन का कहना है कि धार्मिक ग्रंथों में यह कहा गया है कि पितरों को मोक्ष पाने के लिए उनके बेटों द्वारा श्राद्ध किया जाना चाहिए. धर्म सिंधु ग्रंथ, मनुस्मृति, मार्कंडेय पुराण और गरुड़ पुराण के अनुसार, महिलाएं भी तर्पण और पिंड दान करने का अधिकार प्राप्त करती हैं.

रामायण में सीता के जरिए राजा दशरथ के श्राद्ध का है प्रसंग
आचार्य मदन मोहन के अनुसार बता दें कि वाल्मीकि रामायण में देवी सीता के जरिए ससुर राजा दशरथ का श्राद्ध करने का एक महत्वपूर्ण प्रसंग है. इस प्रसंग के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के लिए गए. वहां एक ब्राह्मण ने उन्हें श्राद्ध के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने के लिए कहा, लेकिन राम और लक्ष्मण बहुत देर बाद भी नहीं लौटे. इसके बाद ब्राह्मण देव ने माता सीता से पिंडदान करने की अपील की.

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देवी सीता ने किया राजा दशरथ का श्राद्ध
माता सीता भी समय के चलते चिंतित हो रही थी, तब राजा दशरथ ने माता सीता को दर्शन दिए और उनसे ही पिंडादान करने की कामना की. माता सीता ने समय की महत्वपूर्णता को समझते हुए अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान करने का निर्णय लिया. देवी सीता ने एक बालू के पिंड को बनाया और फिर वटवृक्ष, केतकी फूल, नदी और गाय को साक्षी मानकर स्वर्गीय राजा दशरथ का पिंडदान किया. इससे राजा दशरथ की आत्मा बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने देवी सीता को आशीर्वाद दिया. जब श्रीराम को इस बात का पता चला, तो उन्हें यह सच्चाई स्वीकारनी पड़ी, क्योंकि राम जानते थे कि बिना सामग्री और पुत्र के श्राद्ध कैसे हो सकता है. इसके बाद वटवृक्ष ने इस घटना की सच्चाई की गवाही दी.

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श्राद्ध कर सकती हैं महिलाएं
आचार्य मदन मोहन ने कहा कि मार्कंडेय पुराण में भी वर्णन किया गया है कि अगर किसी का पुत्र नहीं होता है तो पत्नी ही बिना मंत्रों के श्राद्ध कर सकती हैं. साथ ही अगर घर में कोई बुजुर्ग महिला है तो युवा महिला से पहले श्राद्ध करने का अधिकार होता है.

Disclaimer: जानकारी के लिए बता दें कि यह बातें सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है और किसी भी धार्मिक विशेषज्ञ से पुष्टि की आवश्यकता हो सकती है। कृपया ध्यान दें कि Zee Bihar Jharkhand किसी भी तरह की मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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