गुजरात के जनजाति बहुल भरूच से 6 बार सांसद रहे मनसुख वसावा ने 24 घंटे बाद ही अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. बुधवार को गुजरात सीएम से मुलाकात के बाद उन्होंने ये फैसला किया है. इस यूटर्न का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर मैं इस्तीफा दे देता तो 'मुफ्त' इलाज नहीं मिलता.
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अहमदाबाद: पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देने के एक दिन बाद ही भाजपा (BJP) सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनसुख वसावा (Mansukh Vasava) ने वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत के बाद बुधवार को इस्तीफा (Resignation) वापस लेने की घोषणा की. बता दें कि गुजरात के जनजाति बहुल भरूच से 6 बार सांसद रहे वसावा (63) ने मंगलवार को कहा था कि सरकार या पार्टी के साथ उनका कोई मुद्दा नहीं है और वह स्वास्थ्य कारणों से पार्टी छोड़ रहे हैं.
लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी (Vijay Rupani) से मुलाकात के बाद वसावा ने बुधवार सुबह गांधीनगर में पत्रकारों से कहा, ‘पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुझे बताया कि सांसद पद पर बने रहने पर ही मैं, अपनी कमर और गले के दर्द का मुफ्त इलाज करा सकता हूं. सांसद के तौर पर इस्तीफा देने पर यह संभव नहीं होगा. पार्टी नेताओं ने मुझे आराम करने की सलाह दी है और साथ ही यह आश्वासन भी दिया है कि पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता मेरी ओर से काम करेंगे.’
वसावा ने कहा, ‘मैंने स्वास्थ्य परेशानियों के चलते ही पार्टी से और बतौर सांसद इस्तीफा देने का निर्णय किया. मैंने आज मुख्यमंत्री से भी इस पर चर्चा की. अब, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से आश्वासन मिलने के बाद, मैंने इस्तीफा वापस लेने का निर्णय लिया है. मैं बतौर सांसद अपनी सेवाएं जारी रखूंगा.’
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इस बयान पर आदिवासी नेता ने दावा किया कि यह गलत धारणा है. वह नर्मदा जिले के आदिवासियों से संबंधित कुछ मुद्दों, विशेष रूप से ‘इको सेंसिटिव जोन’ में 121 गांवों को शामिल करने को लेकर, सरकार या सत्तारूढ़ भाजपा से नाराज हैं. उन्होंने कहा, ‘राज्य तथा केंद्र सरकार ‘इको सेंसिटिव जोन’ से जुड़े मुद्दे को सुलझाने की हर संभव कोशिश कर रही है. मुझे पार्टी या सरकार से कोई परेशानी नहीं है. बल्कि, मैं इस पर बात दृढ़ता से विश्वास करता हूं कि पिछली सरकार की तुलना में भाजपा शासन में आदिवासियों का अधिक विकास हुआ है.’
वसावा ने मंगलवार को पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि वह संसद के बजट सत्र में लोक सभा के सदस्य के तौर पर भी इस्तीफा दे देंगे. वसावा ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आरसी पाटिल को लिखे पत्र में कहा था कि वह संसद के बजट सत्र के दौरान लोक सभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद भरूच से सांसद के तौर पर इस्तीफा दे देंगे. पत्र में कहा था कि उन्होंने पार्टी का वफादार बने रहने और पार्टी के मूल्यों को अपने जीवन में आत्मसात करने की पूरी कोशिश की लेकिन वह इंसान हैं और गलतियां उनसे हो सकती हैं.
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उन्होंने पत्र में कहा था, ‘मैं अंतत: एक मनुष्य हूं और मनुष्य गलतियां कर देता है. पार्टी को मेरी गलतियों के कारण नुकसान नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं और पार्टी से माफी मांगता हूं.’ पाटिल ने कहा था कि वसावा उनके निर्वाचन क्षेत्र में पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र की घोषणा से नाखुश हैं. वसावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पिछले सप्ताह पत्र लिखकर मांग की थी कि नर्मदा जिले के 121 गांवों को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने संबंधी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना वापस ली जाए.
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